चंडीगढ़, 27 जुलाई (ट्रिन्यू)
राज्यसभा सदस्य दीपेंद्र हुड्डा ने कहा कि सांसद जब जनहित के मुद्दे ही सदन में नहीं उठा सकते तो फिर नया संसद भवन बनाने की क्या जरुरत है। वे लगातार सरकार से आग्रह कर रहे हैं कि महंगाई, खाद्य पदार्थों पर जीएसटी, बेरोजगारी, अग्निपथ और केंद्रीय जांच एजेंसियों के दुरुपयोग जैसे जरूरी मुद्दों पर सदन में चर्चा हो, लेकिन सरकार इन मुद्दों पर चर्चा कराना नहीं चाहती।
बुधवार को नयी दिल्ली में मीडिया से बातचीत में दीपेंद्र ने कहा कि हर रोज जब इन मुद्दों पर चर्चा की मांग उठाई जाती है तो विपक्ष के सांसदों को सस्पेंड कर दिया जाता है। देश में सांसदों को नहीं संविधान को सस्पेंड किया जा रहा है। महंगाई, बेरोज़गारी, भ्रष्टाचार, कुशासन जैसे जरूरी मुद्दों से देश की जनता का ध्यान भटकाने के लिए ही जांच एजेंसियों का दुरुपयोग कर कांग्रेस के शीर्ष नेतृत्त्व को परेशान किया जा रहा है। विपक्ष द्वारा जनहित के मुद्दों को लेकर सड़कों पर लोकतांत्रिक विरोध प्रदर्शन को कुचलने के लिए सरकार अलोकतांत्रिक हथकंडों का इस्तेमाल कर रही है।
उन्होंने कहा कि शांतिपूर्ण विरोध करने पर भी पुलिस जबरन उठा कर पुलिस लाइन ले जाती है और घंटों हिरासत में रखती है। उन्होंने सवाल उठाते हुए कहा कि सांसदों का स्थान संसद की बजाय क्या पुलिस लाइन में है। दीपेंद्र बुधवार को फिर लगातार दूसरे दिन धरने पर बैठे। पुलिस ने सभी सांसदों के साथ उन्हें भी गिरफ्तार कर लिया। उन्होंने कहा कि सरकार में बैठे लोगों को याद रखना चाहिए कि उन्होंने बिना राग-द्वेष के काम करने की शपथ ली थी और उन्हें उस शपथ पर कायम रहना चाहिए। सत्ता के अहंकार में भाजपा सरकार प्रजातंत्र पर रोज प्रहार कर रही है।