वोट चोरी के प्रदर्शन में कांग्रेस की 'एकता' चोरी'!
हरियाणा कांग्रेस सरकार पर 'वोट चोरी' का आरोप लगाकर हिसार में अपने सबसे बड़े राजनीतिक प्रदर्शन की तैयारी कर रही थी। रणनीति यह थी कि सत्ता पक्ष पर संगठित हमला हो, कांग्रेस एकजुट दिखे और 'वोट चोर-गद्दी छोड़' का नारा पूरे राज्य में गूंजे।
लेकिन मंगलवार को हिसार में जो हुआ, उसने पार्टी की अपनी सियासी चुनौती को ही उजागर कर दिया। कांग्रेस वोट चोरी पर लडऩे आई थी, मगर सबसे पहले उसकी खुद की 'एकता' चोरी होती हुई दिखी। जिस मंच से सरकार पर प्रहार होना था, उसी मंच पर कांग्रेस के प्रमुख गुटों - हुड्डा और सुरजेवाला के बीच शक्ति प्रदर्शन खुलकर सामने आ गया।
जिला इकाइयों के बीच पहले से अंदरखाने पक रही तनातनी प्रदर्शन के दिन फुटकर बाहर आई। मंच संचालन पर खींचतान, तस्वीरों को लेकर हेरफेर, अध्यक्षता के लिए रस्साकशी, और कोऑर्डिनेटर की नियुक्ति पर गुटबाजी, इन सबने मिलकर प्रदर्शन को कांग्रेस की अंदरूनी लड़ाई की लाइव मिसाल बना दिया। दैनिक ट्रिब्यून ने पहले ही अपने मंगलवार के अंक में चेताया था कि प्रदर्शनी की तैयारी में गुटबाजी खुलकर सामने आ रही है, लेकिन कांग्रेस इसे रोक नहीं सकी। नतीजा, सरकार पर हमला करने की जगह पार्टी खुद अपने ही अंतर्विरोधों में उलझी दिखाई दी।
मंच पर हुआ 'माइक युद्ध'
कांग्रेस भवन में सभा शुरू होते ही मंच संचालन सोनू लंकेश, ईश्वर मोर और सुरेंद्र सहारण के हाथ में था। माहौल शांत दिख रहा था, लेकिन जैसे ही प्रदेशाध्यक्ष राव नरेंद्र सिंह और सांसद दीपेंद्र हुड्डा हॉल में पहुंचे, मंच पर अचानक उथल-पुथल मच गई। ग्रामीण जिलाध्यक्ष बृजलाल बहबलपुरिया (सुरजेवाला गुट) मंच संचालन संभालने को खड़े हुए। ठीक उसी समय शहरी जिलाध्यक्ष बजरंग गर्ग (हुड्डा गुट) भी मंच पर पहुंचे। दोनों के बीच कुछ मिनटों तक चली बातचीत ने वहां मौजूद नेताओं को भी असहज कर दिया। मंच पर फुसफुसाहट और चेहरों के भाव बता रहे थे कि मामला सामान्य नहीं है। आखिरकार तकरार को खत्म करने के लिए माइक राहुल मक्कड़ के हाथ में दे दिया गया। लेकिन तब तक यह स्पष्ट हो चुका था कि मंच पर प्रभुत्व किसका होगा, यह इस कार्यक्रम का असली 'सियासी मुद्दा' बन चुका था।
अध्यक्षता पर भी गुटों की रस्साकशी
कांग्रेस की परंपरा के अनुसार जिला स्तर के कार्यक्रम का अध्यक्ष ग्रामीण जिलाध्यक्ष होता है। लेकिन हिसार में यह परंपरा दरकिनार कर दी गई। सूत्रों के अनुसार, कार्यक्रम की अध्यक्षता शुरू में हिसार के सांसद जयप्रकाश 'जेपी' को देने का फैसला हुआ था। जब इसे लेकर आपत्ति उठी, तो समझौते के दबाव में अध्यक्षता प्रदेशाध्यक्ष के हाथ में दे दी गई। यह बदलाव भी गुटों के आपसी दावों और शक्ति संतुलन के तहत हुआ, और यही संकेत था कि मंच पर कोई भी फैसला राजनीतिक समीकरण से अलग नहीं था।
सैलजा और सुरजेवाला की फोटो गायब
प्रदर्शन में लगे पोस्टरों और बैनरों ने आग में घी डालने का काम किया। शुरुआती पोस्टरों में कांग्रेस की दो वरिष्ठ नेताओं - पूर्व केंद्रीय मंत्री सांसद कुमारी सैलजा और राज्यसभा सदस्य रणदीप सिंह सुरजेवाला की तस्वीरें गायब थीं। यह वही हिसार है, जहां हालिया नियुक्तियां सुरजेवाला खेमे की मजबूती का संकेत देती हैं। ऐसे में दोनों नेताओं की फोटो न होना सवाल बन गया। जैसे ही आपत्ति उठी, बैकड्रॉप बदलकर तस्वीरें लगाई गईं। लेकिन तस्वीरें वापस लगाने से पहले जो संदेश बाहर गया, वह यह कि कांग्रेस में गुट इतने सक्रिय हैं कि पोस्टर का लेआउट तक उनसे अछूता नहीं।
'कौन कोऑर्डिनेटर', इस पर भी छिड़ी लड़ाई
हिसार प्रदर्शन की जिम्मेदारी सबसे पहले रघुबीर भारद्वाज को कोऑर्डिनेटर बनाकर दी गई थी, जो सुरजेवाला समर्थक माने जाते हैं। सांसद जयप्रकाश ने कड़ा विरोध जताया। इसके बाद रोहतक के नरेश हसनपुर (हुड्डा गुट के नेता) को हिसार का नया कोऑर्डिनेटर नियुक्त कर दिया गया। इस घटना ने संकेत दे दिया कि प्रदर्शन तैयार करने में गुटों को साधना बड़ा काम था, मुद्दा छोटा। फिर जिला स्तरीय कमेटियों की सूची आई। जयप्रकाश को चेयरमैन बनाया तथा बृजलाल और बजरंग गर्ग सह-चेयरमैन बने। यह सूची भी गुटों के बीच संतुलन को साधने की मजबूरी का परिणाम थी।
गुटों के 'नरम बयान', सच्चाई छिपी नहीं
ग्रामीण जिलाध्यक्ष बृजलाल कहते हैं कि माइक पर कोई विवाद नहीं हुआ, मैंने ही मंच संचालन किया। शहरी जिलाध्यक्ष बजरंग गर्ग ने कहा कि थोड़ी बातचीत जरूर हुई। मैं तो प्रदेशाध्यक्ष के कहने पर समझाने गया था। दोनों अपने-अपने धड़ों की लाइन पकड़े दिखे, लेकिन तथ्य यह है कि मंच पर जो हुआ, वह किसी बातचीत से ज्यादा एक शक्ति-प्रदर्शन था। इसे नजऱअंदाज नहीं किया जा सकता।
पार्टी की डिसिप्लिनरी गाइडलाइन बेअसर
प्रदेशाध्यक्ष राव नरेंद्र ने महीनों पहले स्पष्ट 'फोटो प्रोटोकॉल' जारी किया था। किस कार्यक्रम में किस नेता की फोटो किस क्रम में लगेगी, यह पूरी तरह तय था। लेकिन हिसार इस प्रोटोकॉल का सबसे बड़ा उल्लंघन बन गया। वरिष्ठ नेताओं की तस्वीरें गायब, बैकड्रॉप दो-दो बार बदला, और मंच सजावट पूरी तरह गुटों के इशारों पर निर्भर दिखी। यह कांग्रेस के अंदर अनुशासन की स्थिति पर गंभीर सवाल उठाता है।
दादरी का साया, अब हिसार में फ्लैशबैक
कुछ दिन पहले चरखी दादरी में मनीषा सांगवान समर्थकों ने राव नरेंद्र की मौजूदगी में ही नारेबाजी कर दी थी। इस घटना ने पार्टी को कारण-बताओ नोटिस और अनुशासन समिति बनाने की मजबूरी में धकेला। हिसार में जो हुआ, वह दादरी की घटना का दोहराव जैसा ही था। यानी कांग्रेस में अनुशासन लागू कराने की कोशिशें नाकाम होती दिख रही हैं।
ये अनुशासनहीनता नहीं, खुली अवमानना है: प्रवक्ता
कांग्रेस के पूर्व प्रवक्ता एडवोकेट मुकेश सैनी ने कहा कि कांग्रेस की परंपरा में जिला कार्यक्रम की अध्यक्षता ग्रामीण जिलाध्यक्ष करता है। हिसार में जिस तरह उन्हें मंच पर किनारे किया गया, यह केवल अनुशासनहीनता नहीं, बल्कि पार्टी प्रोटोकॉल की सीधी अवमानना है।
