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कांग्रेस का नया फॉर्मूला : ‘एकछत्र राज नहीं, संगठन की मजबूती ही प्राथमिकता’

राव नरेंद्र सिंह का सख्त संदेश - गुटबाजी खत्म कर बूथ तक पहुंचाएंगे कांग्रेस
राव नरेंद्र सिंह। -फाइल फोटो
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हरियाणा कांग्रेस को लंबे समय से गुटबाजी और अंदरूनी कलह ने कमजोर किया है। कई बार यही अंतर्कलह पार्टी को सत्ता से दूर कर चुकी है। ऐसे हालात में कांग्रेस हाईकमान ने नया दांव खेलते हुए राव नरेंद्र सिंह को प्रदेश अध्यक्ष बनाया है। दिलचस्प बात यह है कि राव ने पदभार संभालने से पहले ही साफ संकेत दे दिए – ‘अब कांग्रेस में किसी का भी एकछत्र राज नहीं चलेगा। सबको साथ लेकर चलना ही मेरी पहली प्राथमिकता है।’

राव नरेंद्र सिंह 6 अक्टूबर को चंडीगढ़ स्थित कांग्रेस मुख्यालय में औपचारिक रूप से पदभार ग्रहण करेंगे। लेकिन उनका असली इम्तिहान अगले ही दिन से शुरू होगा। 7 अक्टूबर को वे सभी जिलाध्यक्षों की बड़ी बैठक बुलाने जा रहे हैं। इसमें आगामी संगठनात्मक रणनीति पर विस्तार से चर्चा होगी। बीएलए (बूथ लेवल एजेंट) और बीएलए-।। की नियुक्तियों का खाका तय किया जाएगा। ब्लॉक अध्यक्षों और प्रदेश कार्यकारिणी की संरचना पर भी रोडमैप बनेगा।

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राव का स्पष्ट मानना है कि चुनाव जमीनी स्तर पर बूथ पर ही जीते जाते हैं। इसलिए हमारी सबसे बड़ी प्राथमिकता बूथ पर कांग्रेस को मजबूत करना है। हरियाणा कांग्रेस की सबसे बड़ी कमजोरी है गुटबाजी। यही कारण है कि पार्टी बार-बार खुद की जड़ों को खोदती रही। राव नरेंद्र सिंह ने आते ही इस मुद्दे पर तल्खी दिखाई और साफ कहा – ‘गुटबाजी से कांग्रेस को नुकसान हुआ है। मैं सभी वरिष्ठ नेताओं से मिल रहा हूँ। हमें एकजुट होकर संगठन को मजबूत करना होगा।’

उन्होंने अब तक रणदीप सिंह सुरजेवाला, भूपेंद्र सिंह हुड्डा, बीरेंद्र सिंह, कैप्टन अजय सिंह यादव और राव दान सिंह जैसे दिग्गजों से मुलाकात की है। वहीं, कुमारी सैलजा से फोन पर बात हो चुकी है और जल्द आमने-सामने मुलाकात भी होगी। यह संकेत है कि राव पार्टी में चल रहे खेमों को साधने की हरसंभव कोशिश करेंगे। ऐसा भी कहा जा रहा है कि पार्टी नेतृत्व ने राव को जिम्मेदारी सौंपने से पहले सभी दिग्गज नेताओं को साधने का टॉस्क दे दिया था।

असंतुष्टों को मनाने का भरोसा

पूर्व विधानसभा अध्यक्ष कुलदीप शर्मा और पूर्व वित्त मंत्री प्रो़ संपत्त सिंह की नाराजगी को लेकर जब उनसे सवाल किया गया तो उनका सीधा जवाब था – ‘मैं सभी से बात करूंगा। मुझे भरोसा है कि हम सबको साथ लेकर चलने में सफल रहेंगे।’ यानी, राव खुली बातचीत और संवाद की राजनीति से ही असंतोष की आग को ठंडा करने की रणनीति बना रहे हैं। यहां बता दें कि 25 सितंबर को ताऊ देवीलाल की जयंती पर रोहतक में हुए कार्यक्रम में संपत्त सिंह इनेलो को मंच भी शेयर कर चुके हैं।

अहीरवाल की चौधर पर बड़ा बयान

हरियाणा की राजनीति में अहीरवाल बेल्ट हमेशा निर्णायक मानी जाती है। खुद राव इसी क्षेत्र से आते हैं। लेकिन क्षेत्रीय चौधर के सवाल पर उनका जवाब बेहद सधा हुआ था – ‘हम चाहते हैं कि हरियाणा में कांग्रेस की चौधर हो। जब कांग्रेस सत्ता में आएगी तो अहीरवाल की भी चौधर होगी और पूरे प्रदेश की भी। किसी एक व्यक्ति का छत्रराज नहीं चलेगा।’ इस बयान के पीछे साफ संदेश है - वे केवल जातीय या क्षेत्रीय राजनीति तक सीमित नहीं रहना चाहते, बल्कि पूरे हरियाणा को साधने की तैयारी में हैं।

संगठन को नई ऊर्जा देने की तैयारी

राव की प्राथमिकता केवल बयानबाजी तक सीमित नहीं। उन्होंने साफ किया कि जल्द ही ब्लॉक अध्यक्षों की नियुक्ति होगी। इसके बाद प्रदेश कार्यकारिणी का गठन भी किया जाएगा। उनका कहना है कि जब तक संगठनात्मक ढांचे की हर इकाई सक्रिय और मजबूत नहीं होगी, तब तक जमीनी स्तर पर चुनावी लड़ाई लड़ना नामुमकिन है। इसलिए आने वाले दिनों में प्रदेश कांग्रेस में नियुक्तियों और संरचनात्मक बदलावों की बौछार देखने को मिल सकती है।

बृजेंद्र सिंह की यात्रा पर राव का बयान

5 अक्टूबर से पूर्व सांसद बृजेंद्र सिंह की सद्भाव यात्रा शुरू हो रही है। लेकिन इस पर राव ने बड़ा बयान देते हुए कहा कि बृजेंद्र सिंह ने उन्हें फोन किया था, मगर व्यस्तता के चलते वे इस यात्रा में शामिल नहीं होंगे। निवर्तमान प्रदेशाध्यक्ष चौधरी उदयभान पहले ही इस यात्रा को कांग्रेस का आधिकारिक कार्यक्रम मानने से इंकार कर चुके हैं। राव ने भी दो टूक कहा – ‘पार्टी नेताओं को किसी भी कार्यक्रम के लिए हाईकमान और प्रदेश नेतृत्व से चर्चा करनी चाहिए।’ यह टिप्पणी इशारा करती है कि आगे चलकर कांग्रेस में व्यक्तिगत एजेंडा नहीं चलेगा।

हाईकमान का पूरा भरोसा

राव ने यह भी स्पष्ट किया कि उनकी नियुक्ति कांग्रेस हाईकमान ने सर्वसम्मति से की है। उनके शब्दों में – ‘यह जिम्मेदारी मुझे संगठन को मजबूत करने और कांग्रेस की सत्ता वापसी सुनिश्चित करने के लिए दी गई है। मेरी भूमिका जोड़ने की है, तोड़ने की नहीं।’ यह संदेश सीधे तौर पर उन नेताओं के लिए है जो गुटबाजी के सहारे अपनी अलग पहचान बनाने की कोशिश करते हैं।

चुनावी मंत्र : बूथ मजबूत, जीत पक्की

आगामी लोकसभा और विधानसभा चुनाव की दिशा राव ने साफ कर दी है। वे मानते हैं कि चुनाव बूथ पर जीते जाते हैं। इसी वजह से वे बीएलए और बीएलए-।। की नियुक्तियों को सबसे गंभीर काम मान रहे हैं। हर बूथ पर कांग्रेस का सशक्त प्रतिनिधि खड़ा करना ही उनकी पहली प्राथमिकता है।

निपटना होगा इन चुनौतियों से

बहरहाल, हरियाणा कांग्रेस के नए कप्तान के रूप में राव नरेंद्र सिंह का कार्यकाल आसान नहीं होने वाला। एक ओर उन्हें पार्टी के अंदरूनी खेमों को साधना होगा। दूसरी ओर बूथ से लेकर ब्लॉक और प्रदेश कार्यकारिणी तक संगठन को नया खून देना होगा। तीसरी बड़ी चुनौती चुनावी तैयारियों को जमीनी स्तर तक ले जाना है। बेशक, उनकी रणनीति साफ है – गुटबाजी खत्म करना, किसी एक का वर्चस्व न चलने देना और संगठनात्मक ढांचे को मजबूत करना। अब देखना यह है कि राव कितनी जल्दी सभी गुटों को एक मंच पर ला पाते हैं और कांग्रेस को 2029 की चुनावी जंग के लिए तैयार कर पाते हैं।

 

 

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