दिनेश भारद्वाज/टि्रन्यू
चंडीगढ़, 4 अप्रैल
हरियाणा कांग्रेस की गुटबाजी सड़कों पर आ चुकी है, लेकिन हरियाणा मामलों के प्रभारी विवेक बंसल मानने को तैयार नहीं हैं। सोमवार को भी चंडीगढ़ के मुद्दे पर प्रदेशाध्यक्ष कुमारी सैलजा तथा विपक्ष के नेता व पूर्व सीएम भूपेंद्र सिंह हुड्डा ने अलग-अलग बैठकें की। बंसल की नज़र में, ये दोनों ही आयोजन पार्टी की मजबूती के लिए थे। पंजाब में भगवंत मान के नेतृत्व वाली आप सरकार द्वारा विधानसभा में चंडीगढ़ पर अधिकार को लेकर पास किए प्रस्ताव का कांग्रेस विरोध कर रही है।
सैलजा ने इस मामले पर चर्चा और रणनीति तय करने के लिए सोमवार को चंडीगढ़ स्थित प्रदेश कांग्रेस मुख्यालय में वरिष्ठ नेताओं की बैठक की। हरियाणा मामलों के प्रभारी विवेक बंसल की अध्यक्षता में हुई इस बैठक में पार्टी के 31 में से 7 विधायक पहुंचे। इनमें से चार विधायक – शैली गुर्जर, रेणु बाला, शीशपाल केहरवाला व शमशेर सिंह गोगी पूरी बैठक के दौरान मौजूद रहे। वहीं हुड्डा कैम्प से जुड़े तीन विधायक – अमित सिहाग, बिशनलाल सैनी और वरुण चौधरी की ‘गेस्ट एंट्री’ रही। ये तीनों विधायक पार्टी मुख्यालय पहुंचे। कुछ देर मंच पर बैठे और दस मिनट बाद नई दिल्ली के लिए निकल गए।
वहीं दूसरी ओर, नई दिल्ली स्थित हरियाणा भवन में हुड्डा की अध्यक्षता में हुई विधायक दल की बैठक में 26 विधायक मौजूद रहे। सैलजा खेमे के चार विधायक चंडीगढ़ में थे और पूर्व मंत्री व तोशाम विधायक किरण चौधरी ने दोनों ही बैठकों से दूरी बनाकर रखी। अलबत्ता कांग्रेस वर्किंग कमेटी के विशेष आमंत्रित सदस्य और आदमपुर विधायक कुलदीप बिश्नोई नई दिल्ली की बैठक में मौजूद रहे।
राज्यसभा सांसद दीपेंद्र सिंह हुड्डा के अलावा बैठक में विधायक गीता भुक्कल, शकुंतला खटक, आफताब अहमद, बीबी बतरा, नीरज शर्मा, वरुण चौधरी, मोहम्मद इलियास, अमित सिहाग, राजेंद्र जून, धर्म सिंह छोक्कर, सुरेंद्र पवार, मामन खान, जगबीर मलिक, इंदू राज नरवाल, कुलदीप वत्स, राव दान सिंह, डॉ़ रघुवीर सिंह कादियान, जयवीर वाल्मीकि, सुभाष गंगौली, चिरंजीव राव, बिशनलाल सैनी, मेवा सिंह व बलबीर सिंह वाल्मीकि मौजूद रहे।
चंडीगढ़ में हुई बैठक के बाद मीडिया ने जब विवेक बंसल से गुटबाजी और अलग-अलग बैठकों को लेकर सवाल किया तो उन्होंने कहा, चंडीगढ़ में बैठक करके हरियाणा सरकार पर दबाव बनाया जा रहा है। लोकसभा चल रही है, इसलिए हुड्डा ने नई दिल्ली में बैठक की है ताकि केंद्र सरकार पर दबाव बनाया जा सके। हालांकि खुद बंसल भी गुटबाजी को हवा ही देते नज़र आए। उनकी अध्यक्षता में हुई बैठक में चार विधायक मौजूद रहे, जबकि इस लिहाज से उन्हें विधायक दल की बैठक में दिल्ली होना चाहिए था।
जब इस बारे उनसे पूछा तो उन्होंने कहा, इनके कुछ पारिवारिक कारण थे। बंसल ने स्वीकार किया कि प्रदेश में सात से भी अधिक वर्षों से बिना संगठन के पार्टी चल रही है। उन्होंने इसका जल्द समाधान होने के संकेत दिए।