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हरियाणा में बीते 58 वर्षों में पहली बार गठबंधन में चुनाव लड़ेगी कांग्रेस

आम चुनाव के लिए कांग्रेस और आम आदमी पार्टी आए साथ

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दिनेश भारद्वाज/ट्रिन्यू
चंडीगढ़, 24 फरवरी
बदले राजनीतिक हालात में कांग्रेस ने आम आदमी पार्टी (आप) से हाथ मिला लिया है। दोनों दलों के बीच गठबंधन  में हरियाणा में लोकसभा की दस सीटों में से कुरुक्षेत्र की सीट आप को दी गई है। बाकी सीटों पर कांग्रेस चुनाव लड़ेगी। प्रदेश के गठन यानी 1966 के बाद से 58 वर्षों में यह पहला मौका है जब कांग्रेस ने किसी अन्य दल के साथ समझौता किया है। इससे पहले कांग्रेस लोकसभा और विधानसभा चुनाव अपने बूते पर लड़ती आई है।
प्रदेश में सबसे लम्बे समय तक राज भी कांग्रेस ने ही किया है। लेकिन 2009 के बाद से कुरुक्षेत्र में कांग्रेस अपना खाता भी नहीं खोल पाई है। 2014 में यहां से भाजपा के राजकुमार सैनी और 2019 में नायब सिंह सैनी ने चुनाव जीता था। इनेलो की कैलाशो सैनी भी यहां से सांसद रह चुकी हैं। 2009 में नवीन जिंदल यहां से सांसद थे। इसके बाद जिंदल ने चुनावी राजनीति से खुद को दूर कर लिया। 2019 के लोकसभा चुनावों में कांग्रेस ने कुरुक्षेत्र से पूर्व मंत्री चौ. निर्मल सिंह को मैदान में उतारा था।
पूर्व प्रधानमंत्री स्व़ लाल बहादुर शास्त्री के बेटे अनिल शास्त्री भी कुरुक्षेत्र से कांग्रेस टिकट पर चुनाव लड़ना चाहते थे, लेकिन यह सीट आप के खाते में जाने के बाद यहां उनका रास्ता बंद हो गया है। कुरुक्षेत्र से भाजपा के मौजूदा सांसद नायब सिंह सैनी हैं। पार्टी ने कुछ माह पूर्व ही उन्हें प्रदेशाध्यक्ष भी नियुक्त किया है। भाजपा गलियारों में यह चर्चा भी सुनने को मिलती है कि पार्टी यहां से नवीन जिंदल को चुनाव लड़ाने पर विचार कर रही है।
इस गठबंधन के बाद हरियाणा में सक्रिय आप नेताओं में कुरुक्षेत्र को लेकर लॉबिंग शुरू हो गई है। मूल रूप से कैथल जिला के रहने वाले आप के वरिष्ठ प्रदेश उपाध्यक्ष अनुराग ढांडा भी यहां से चुनाव लड़ने की चाह रखते हैं। प्रदेशाध्यक्ष डॉ़ सुशील गुप्ता को क्योंकि पार्टी ने इस बार राज्यसभा नहीं भेजा, ऐसे में उनके नाम पर भी मंथन संभव है। 2019 में यहां से कांग्रेस टिकट पर चुनाव लड़ चुके पूर्व मंत्री चौ़ निर्मल सिंह आप छोड़कर वापस कांग्रेस में लौट चुके हैं। इस संसदीय सीट पर जाट और सिख मतदाताओं की काफी संख्या है। वहीं दूसरी ओर, टिकट आवंटन से पहले कांग्रेस और आप में भी चर्चा होगी। ऐसा इसलिए क्योंकि टिकट आवंटन से पहले जातिगत समीकरण देखे जाएंगे। इस हिसाब से कांग्रेस पहले आप के प्रत्याशी का इंतजार करेगी। उसके हिसाब से आरक्षित – अंबाला व सिरसा को छोड़कर बाकी सीटों पर निर्णय होगा।
कांग्रेस के लिए हरियाणा में गठबंधन का यह बेशक पहला अनुभव होगा, लेकिन आप भी गठबंधन में चुनाव लड़ चुकी है। 2013 में नई दिल्ली में सरकार बनने के बाद आप ने 2014 के लोकसभा चुनावों में हरियाणा में भी अपने प्रत्याशी उतारे थे, लेकिन सभी की जमानत जब्त हो गई थी। इसके बाद जनवरी-2019 में जींद में हुए उपचुनाव में आप ने यहां से उपचुनाव लड़ रहे जजपा के दिग्विजय सिंह चौटाला का समर्थन किया। जींद उपचुनाव से ही जजपा और आप में गठबंधन की नींव पड़ गई। 2019 के लोकसभा चुनावों में दोनों पार्टियों ने मिलकर चुनाव लड़ा। दस सीटों में से सात सीटों पर जजपा ने और तीन सीटों – अंबाला, करनाल व फरीदाबाद में आम आदमी पार्टी ने चुनाव लड़ा। दोनों पार्टियां मिलकर भी प्रदेश में किसी एक सीट पर भी जीत हासिल नहीं कर पाई। हिसार को छोड़कर अधिकांश सीटों पर गठबंधन उम्मीदवारों की जमानत जब्त हो गई। हिसार से गठबंधन में दुष्यंत चौटाला ने चुनाव लड़ा था।
सत्तारूढ़ भाजपा के लिए हरियाणा बरसों तक दूर की कौड़ी बना रहा। भाजपा यहां लोकसभा व विधानसभा चुनाव गठबंधन पर लड़ती रही है। भाजपा ने इनेलो, हविपा (पूर्व सीएम स्व़ चौ़ बंसीलाल द्वारा बनाई पार्टी) के साथ गठबंधन में चुनाव लड़े हैं। कुलदीप बिश्नोई की हरियाणा जनहित कांग्रेस के साथ भी गठबंधन किया था, लेकिन सिरे नहीं चढ़ पाया। 2013 में गुजरात के मुख्यमंत्री होते हुए नरेंद्र मोदी को जब भाजपा ने प्रधानमंत्री पद का उम्मीदवार घोषित किया तो हालात बदलने शुरू हो गए। मोदी ने अपने लोकसभा चुनावों का आगाज भी रेवाड़ी में पूर्व सैनिकों की रैली करके किया था। 2014 के लोकसभा चुनावों में मोदी के जलवे के चलते भाजपा ने सात सीटों पर जीत हासिल की। यह जीत ही विधानसभा चुनावों में जीत का बेस बनी। भाजपा ने पहली बार 47 सीटों पर जीत हासिल कर पूर्ण बहुमत से सत्ता हासिल की। हरियाणा में पिछले लगभग सवा चार वर्षों से गठबंधन की सरकार चल रही है। 2019 के लोकसभा चुनावों में भाजपा नब्बे में से 40 सीटों पर ही जीत हासिल कर पाई।
''पार्टी नेतृत्व का फैसला है। हमें इसमें कोई एेतराज नहीं है। गठबंधन का तो फायदा होता ही है। लोकसभा चुनाव पूरी मजबूती के साथ लड़े जाएंगे। चुनावों को लेकर प्रदेश में कांग्रेस ने सभी तैयारियां की हुई हैं। हमारी बैठकें चल रही हैं।''
-भूपेंद्र हुड्डा, पूर्व सीएम
''कांग्रेस के साथ गठबंधन का फैसला पार्टी नेतृत्व ने लिया है और हम भी इससे सहमत हैं। हमारे हिस्से में कुरुक्षेत्र सीट आई है। दोनों पार्टियां मिलकर पूरी मजबूती के साथ चुनाव लड़ेंगी। इस फैसले के बाद जल्द ही प्रदेश के नेताओं की बैठक बुलाई जाएगी।''
-सुशील गुप्ता, आप प्रदेश अध्यक्ष
''कांग्रेस पूरे देश से समाप्त हो चुकी है। आज यह साबित हो गया है कि कांग्रेस और आप आपस में भाई-बहन हैं। दोनों भ्रष्टाचार में संलिप्त हैं। हरियाणा में भाजपा-जजपा गठबंधन का फैसला केंद्रीय नेतृत्व द्वारा लिया जाएगा।''
-नायब सिंह सैनी, भाजपा प्रदेश अध्यक्ष
''हरियाणा के कांग्रेसी कहा करते थे कि हम मजबूत हैं और अकेले लड़ने में सक्षम हैं। जिस तरह से गठबंधन में गए हैं। इससे दिखता है कि कांग्रेस अंदर से कितनी कमजोर है। बाहर से कुछ दिखाते हैं, लेकिन उन्हें पता है कि कुछ हासिल नहीं होने वाला। आम चुनावों को लेकर 3 मार्च  को जजपा की राष्ट्रीय व प्रदेश कार्यकारिणी की बैठक बुलाई है।''
-दुष्यंत चौटाला, डिप्टी सीएम

चार चुनावों में कांग्रेस का रिकार्ड

2004 के लोकसभा चुनावों में कांग्रेस ने लोकसभा की 10 में से 9 सीटों पर जीत हासिल की। सोनीपत से कांग्रेस के धर्मपाल सिंह मलिक चुनाव हारे थे और उनकी जगह भाजपा के किशन सिंह सांगवान ने जीत हासिल की थी। 2009 के लोकसभा चुनावों में कांग्रेस ने फिर से नौ सीटों पर जीत हासिल की। इस बार हिसार से पूर्व सीएम स्व. चौ. भजनलाल ने हरियाणा जनहित कांग्रेस (हजकां) के सिम्बल पर चुनाव जीता। 2014 में भाजपा ने सात सीटों पर जीत हासिल की। तीन सीटों में से रोहतक में कांग्रेस के दीपेंद्र हुड्डा, हिसार में इनेलो के दुष्यंत चौटाला और सिरसा से इनेलो के ही चरणजीत सिंह रोड़ी ने चुनाव जीता। वहीं 2019 के आम चुनाव में भाजपा ने सभी 10 सीटों पर जीत हासिल की।
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