अशोक अरोड़ा के साथ बदसलूकी पर कांग्रेस का वाकआउट
कांग्रेस ने इस पर विरोध जताया और कहा कि मामला महत्वपूर्ण है और इसे विलंबित नहीं किया जाना चाहिए। पूर्व मुख्यमंत्री भूपेंद्र सिंह हुड्डा ने भी शैडो विधायक बनाने की परंपरा पर सवाल उठाया। उन्होंने कहा कि चुने हुए प्रतिनिधियों का सम्मान करना जरूरी है। हुड्डा ने अशोक अरोड़ा के साथ हुई बदसलूकी पर भी जोर देकर कहा कि यह मामला सदन में सर्वसम्मति से उठाया जाना चाहिए था।
उन्होंने मुख्यमंत्री से अनुरोध किया कि वे हरिशचंद्र बनकर न्याय करें न कि धृतराष्ट्र बनकर। मुख्यमंत्री नायब सिंह सैनी ने कहा कि मामला विशेषाधिकार समिति के पास है और समिति की रिपोर्ट के आधार पर ही कार्रवाई होगी। उन्होंने यह भी कहा कि पार्षद भी चुने हुए प्रतिनिधि हैं और उनका सदन में आना केवल अपने वार्ड की जरूरतें पूरी करने के लिए था। सैनी ने विपक्ष पर पलटवार करते हुए कहा कि कांग्रेस के शासनकाल में भी कई बड़ी घटनाएं हुईं थीं, और अपराध नियंत्रण में चुनौतीपूर्ण रहा।
जून में हुई थी बदसलूकी
दरअसल, 3 जून को नगर परिषद थानेसर की बैठक के दौरान अशोक अरोड़ा के साथ बदसलूकी हुई थी। शिकायत में नरेंद्र शर्मा (पार्षद, वार्ड-2), सतीश मदान (पार्षद, वार्ड-7), सुरेश कुमार (पार्षद, वार्ड-14) और राजेश कुमार (नगर परिषद कार्यकारी अधिकारी) पर आरोप लगे हैं। कांग्रेस का कहना है कि सदन में सर्वसम्मति से प्रस्ताव पारित होना चाहिए ताकि चुने हुए प्रतिनिधियों का सम्मान बरकरार रहे।