ट्रिब्यून न्यूज सर्विस
चंडीगढ़, 25 मार्च
हरियाणा के कांग्रेसी दिग्गज पार्टी नेता राहुल गांधी से एकजुटता का पाठ पढ़कर वापस लौट आए हैं। बेशक, इस दौरान सभी वरिष्ठ नेताओं ने अपने-अपने मन की बात भी राहुल के सामने रखी लेकिन किसी भी तरह के स्पष्ट संकेत राहुल की ओर से नहीं दिए गए हैं। अलबत्ता कांग्रेसियों को नसीहत देते हुए कहा है कि अगर एकजुटता के साथ लड़ाई नहीं लड़ी तो आगे भी परिणाम अच्छे नहीं होंगे।
प्रदेश कांग्रेस के नेताओं के बीच चल रही घमासान से निपटने के लिए राहुल गांधी ने यह बैठक बुलाई थी। बैठक में पार्टी के राष्ट्रीय महासचिव (संगठन) केसी वेणुगोपाल व हरियाणा मामलों के प्रभारी विवेक बंसल के अलावा प्रदेशाध्यक्ष कुमारी सैलजा, पूर्व सीएम व विपक्ष के नेता भूपेंद्र सिंह हुड्डा, राष्ट्रीय महासचिव रणदीप सिंह सुरजेवाला, पूर्व मंत्री किरण चौधरी, कैप्टन अजय सिंह यादव, महेंद्र प्रताप सिंह, राज्यसभा सांसद दीपेंद्र सिंह हुड्डा, कांग्रेस वर्किंग कमेटी के विशेष आमंत्रित सदस्य कुलदीप बिश्नोई, पूर्व प्रदेशाध्यक्ष फूलचंद मुलाना व धर्मपाल मलिक तथा नूंह विधायक आफताब अहमद मौजूद रहे।
लगभग 4 घंटे चली इस बैठक के दौरान हरियाणा के राजनीति हालात, पार्टी के सदस्यता अभियान के अलावा पार्टी संगठन गठन को लेकर चर्चा हुई। पार्टी की गुटबाजी को लेकर राहुल गांधी ने कहा कि भाजपा का मजबूत विकल्प बनने की जरूरत है। बताते हैं कि बैठक में यह मुद्दा भी उठा कि आम आदमी पार्टी लगातार आगे बढ़ रही है। पंजाब के बाद हरियाणा में भी असर देखने को मिल सकता है। ऐसे में ‘आप’ को रोकने के लिए प्रदेश के नेताओं को एकजुट होकर संघर्ष करना होगा।
सामूहिक बैठक में कांग्रेस नेताओं ने अपनी-अपनी बात राहुल के सामने रखी। कुछ नेताओं ने यह भी कहा कि प्रदेश में संगठन नहीं होने की वजह से पार्टी कमजोर हो रही है। सूत्रों की मानें तो बैठक में एक ओर नेतृत्व जहां एकजुटता का पाठ पढ़ा रहा था, वहीं दिग्गज एक-दूसरे पर आरोप लगाने का मौका नहीं चूक रहे थे। काफी तकरार और कहासुनी होने की भी खबरें दिल्ली के गलियारों से मिली हैं।
दीपेंद्र-कुलदीप में तकरार
सूत्रों के अनुसार बैठक में दीपेंद्र हुड्डा और कुलदीप बिश्नोई के बीच तकरार भी हुई। शुरूआत तब हुई जब कुलदीप ने कहा कि उनके पिता स्व. चौ. भजनलाल के प्रदेशाध्यक्ष रहते 2005 में कांग्रेस 67 सीटों पर जीती थी। इसके बाद से सीटें घटती चली गईं। उन्होंने गैर-जाट नेतृत्व को आगे बढ़ाने की बात कही। इस पर दीपेंद्र ने कहा, सब कहने की बाते हैं। सूत्रों का कहना है कि दीपेंद्र ने यहां तक कहा कि आपने (कुलदीप) अलग पार्टी भी बनाई थी तो कितनी सीटें आई थीं। यह भी कहा गया कि 2019 में विपरित परिस्थितियों, बिना कमान के भी हुड्डा के प्रभाव से ही कांग्रेस 31 सीटों पर पहुंची। विवाद बढ़ा तो रणदीप सुरजेवाला बीच-बचाव करते भी नज़र आए।
निकाली भड़ास
वरिष्ठ नेताओं के साथ सामूहिक बैठक के अलावा राहुल गांधी ने सभी के साथ दो-दो मिनट अलग से भी बातचीत की। माना जा रहा है कि इस वन-टू-वन मीटिंग में इन नेताओं ने एक-दूसरे के खिलाफ जमकर भड़ास निकाली। प्रदेश में नेतृत्व परिवर्तन की मांग भी इसी क्लोज-डोर मीटिंग के दौरान उठी। याद रखने योग्य बात यह है कि डॉ़ अशोक तंवर के खिलाफ भी इसी तरह से मुहिम चली थी। उस समय भी ऐसे ही वरिष्ठ नेताओं के साथ वन-टू-वन मीटिंग हुई थी। 15 दिन बाद ही प्रदेश में नेतृत्व परिवर्तन भी हो गया था। बहरहाल, अब यह देखना रोचक रहेगा कि कांग्रेसियों पर राहुल के इस पाठ का कितने दिन और कितना असर रहता है।