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राजस्थान से जल समझौते पर उखड़ी कांग्रेस, सदन से दो बार वॉकआउट

हथिनीकुंड बैराज से बाढ़ का अतिरिक्त पानी ही जाएगा राजस्थान
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दिनेश भारद्वाज/ट्रिन्यू

चंडीगढ़, 28 फरवरी

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चंडीगढ़ में बुधवार को हरियाणा विधानसभा के चल रहे बजट सत्र के दौरान कांग्रेस विधायक किरण चौधरी और रघुवीर सिंह कादियान चर्चा करते हुए। -रवि कुमार

हरियाणा सरकार द्वारा राजस्थान के साथ यमुना के पानी को लेकर किए गए एग्रीमेंट को लेकर बुधवार को विधानसभा में बजट सत्र के आखिरी दिन भी हंगामा हुआ। कांग्रेस ने इस फैसले को किसान विरोधी बताते हुए समझौते को रद्द करने की मांग की। काफी देर के शोर-शराबे और विवाद के बाद कांग्रेस ने इस मुद्दे पर दो बार वॉकआउट किया। दूसरी बार वॉकआउट करने के बाद कांग्रेसी लौटकर सदन में नहीं आए।

ऐसे में कांग्रेस की गैर-मौजूदगी में भाजपा-जजपा गठबंधन सरकार ने सभी विधेयक ध्वनिमत से पास किए। वहीं दूसरी ओर, मुख्यमंत्री मनोहर लाल ने दो-टूक कहा कि पूर्व में हुए समझौते के तहत ही यह फैसला हुआ है और इससे प्रदेश के किसानों को किसी तरह का नुकसान नहीं होगा। उन्होंने कहा कि हथिनी कुंड बैराज से बारिश के दिनों में केवल अतिरिक्त पानी ही राजस्थान में जाएगा। इतना ही नहीं, हरियाणा सरकार ने यमुना कैनाल की क्षमता भी बढ़ाकर 24 हजार क्यूसेक की है। राजस्थान के साथ किए गए एग्रीमेंट में स्पष्ट किया है कि 24 हजार क्यूसेक के बाद ही अतिरिक्त पानी राजस्थान जाएगा। अपने हिस्से का पानी किसी भी राज्य को नहीं दिया जा रहा। इस दौरान सीएम ने पंजाब के मुख्यमंत्री भगवंत मान को भी आड़े हाथों लिया। हरियाणा में भाजपा की राष्ट्रवादी सरकार बताते हुए सीएम ने कहा, हम पंजाब की तरह नहीं कर सकते। पंजाब एसवाईएल नहर का निर्माण ही नहीं करवा रहा। बाढ़ के दिनों में पंजाब के सीएम ने बयान दिया कि अब हरियाणा पानी ले ले। हमें इसमें भी कोई परहेज नहीं था। अगर नहर का निर्माण होता तो पानी लाने के लिए हमारे पास पैसेज होता। मुख्यमंत्री ने कांग्रेसियों को आड़े हाथों लेते हुए कहा कि दक्षिण हरियाणा के जिलों में पानी की आपूर्ति से भी अब कांग्रेसियों को परेशानी है। इससे पहले पूर्व स्पीकर व बेरी विधायक डॉ़ रघुबीर सिंह कादियान ने 1954 में हरियाणा व राजस्थान के अलावा पांच राज्यों के बीच हुए जल समझौते का मुद्दा उठाया। साथ ही, उन्होंने कहा कि इसके बाद दोबारा भी एग्रीमेंट हुआ। राजस्थान से तीन नदियों का पानी इसके तहत हरियाणा आ रहा था, लेकिन राजस्थान सरकार ने अपने यहां 16 डैम बनाकर पूरा पानी रोक लिया। ऐसे में अब राजस्थान को पानी देने का फैसला किसी भी सूरत में सही नहीं है। इस दौरान दोनों पक्षों में जमकर हंगामा भी हुआ। तोशाम विधायक किरण चौधरी, नूंह विधायक आफताब अहमद सहित कई सदस्यों ने अपनी इसका विरोध किया। इस दौरान कृषि मंत्री जेपी दलाल के साथ भी उनकी कहासुनी हुई। डिप्टी सीएम दुष्यंत चौटाला और डॉ. कादियान के बीच भी तीखी तल्खी देखने को मिली।

पंद्रह-बीस दिन ही जाएगा पानी

सीएम ने कहा, जब पांच राज्यों के बीच जल समझौता हुआ तो उस दौरान यमुना की क्षमता 13 हजार क्यूसेक की थी। इसके बाद इसे बढ़ाकर 18 हजार क्यूसिक किया गया। अब सरकार ने इसे बढ़ाकर 24 हजार क्यूसिक कर दिया है। हालांकि पुराने समझौते के हिसाब से 13 हजार क्यूसेक के बाद का पानी देने का एग्रीमेंट राजस्थान के साथ हुआ था। उन्होंने कहा, हमने अपने अधिकारों को सुरक्षित रखते हुए एग्रीमेंट में स्पष्ट कहा है कि 24 हजार क्यूसिक के बाद ही अतिरिक्त पानी की आपूर्ति होगी। बारिश के दिनों में केवल पंद्रह-बीस दिन ही अतिरिक्त पानी होता है। इसे ही राजस्थान भेजा जाएगा।

लंच ब्रेक के बाद फिर हंगामा

लंच ब्रेक के बाद जैसे ही सदन की कार्यवाही शुरू हुई डॉ़ रघुबीर सिंह कादियान ने फिर से राजस्थान को दिए जाने वाले पानी का मुद्दा उठाया। कांग्रेस विधायक कादियान के नेतृत्व में स्पीकर वेल तक पहुंच गए। कांग्रेसियों ने प्रदेश सरकार के खिलाफ नारेबाजी की। कांग्रेस विधायकों ने ‘खट्टर तेरे राज में, पानी गया राजस्थान में’ नारे लगाए। उस समय हाउस चला रहे डिप्टी स्पीकर रणबीर सिंह गंगवा ने कई बार कांग्रेसियों को नेम करने की भी चेतावनी दी। इसके बाद कांग्रेस ने इस मुद्दे पर दोबारा से वॉकआट किए। इसके बाद कांग्रेस विधायक लौटकर नहीं आए।

सदन में मौजूद रहे चिरंजीव राव

सदन में सबसे रोचक बात यह रही कि राजस्थान के साथ जल समझौते के खिलाफ कांग्रेस विधायकों ने सदन से वॉकआउट किया। पूर्व सीएम व विपक्ष के नेता भूपेंद्र सिंह हुड्‌डा सहित कई विधायक बुधवार को सदन में मौजूद नहीं थे। मौजूदा कांग्रेस के सभी विधायकों ने कादियान व किरण के साथ वॉकआउट किया लेकिन रेवाड़ी विधायक चिरंजीव राव अपनी सीट पर ही बैठे रहे। इसी दौरान सहकारिता विभाग में हुए 100 करोड़ के घोटाले को लेकर चिरंजीव राव का ध्यानाकर्षण प्रस्ताव लगा हुआ था। वे अपना प्रस्ताव पढ़ना शुरू कर चुके थे। ऐसे में वे सदन में ही मौजूद रहे।

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