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हरियाणा के लिए कांग्रेस ने बनाई अनुशासन समिति

हुड्डा-सैलजा-सुरजेवाला की तिकड़ी के बीच राव का ‘सेंट्रल कमांड मॉडल’, पूर्व सांसद धर्मपाल मलिक को कमान

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नयी दिल्ली में मंगलवार को लोकसभा में नेता प्रतिपक्ष राहुल गांधी के साथ हरियाणा कांग्रेस प्रदेश अध्यक्ष राव नरेंद्र सिंह। -दैनिक ट्रिब्यून
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हरियाणा कांग्रेस में अब ‘अनुशासन’ नया एजेंडा है। उसका कंट्रोल रूम सीधे प्रदेश अध्यक्ष राव नरेंद्र सिंह के हाथ में होगा। लंबे समय से खींचतान, बयानबाजी और गुटबाजी से जूझ रही पार्टी में अब एक नयी व्यवस्था लागू हो रही है, जिसमें कमान ऊपर से चलेगी और जवाबदेही नीचे तक जाएगी। इसके लिए कांग्रेस हाईकमान ने मंगलवार को हरियाणा में अनुशासन समिति के गठन को मंजूरी दी।

कांग्रेस महासचिव केसी वेणुगोपाल द्वारा जारी निर्देशों के तहत इस पांच सदस्यीय कमेटी के चेयरमैन पूर्व सांसद धर्मपाल मलिक होंगे, जबकि अकरम खान, कैलाशो सैनी, अनिल धन्तौड़ी और एडवोकेट रोहित जैन (सचिव) सदस्य बनाए गए हैं। आदेश तत्काल प्रभाव से लागू कर दिया गया है।

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इस आदेश ने हरियाणा कांग्रेस में नये समीकरणों की सरगर्मी बढ़ा दी है। यह फैसला सिर्फ एक कमेटी बनाने का नहीं, बल्कि प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष राव नरेंद्र सिंह को संगठन पर वास्तविक नियंत्रण देने का संकेत माना जा रहा है। पार्टी सूत्रों का कहना है कि यह पूरा प्रस्ताव राव ने ही दिल्ली भेजा था। एक ऐसे ‘कंट्रोल रूम मॉडल’ के तहत, जिसमें अनुशासन, संवाद और कार्रवाई तीनों केंद्र से संचालित होंगे। दिल्ली ने इसे जिस तेजी से मंजूरी दी, उसने यह भी साफ कर दिया कि हाईकमान अब हरियाणा की कमान ‘राव मॉडल’ के जरिये चलाना चाहता है। राव का अनुशासन प्रस्ताव एक सियासी जवाब और संगठनात्मक चेतावनी- दोनों के रूप में देखा जा रहा है। कांग्रेस के अंदर इसे ‘गुटबाजी पर सर्जिकल स्ट्राइक’ और संगठन के केंद्रीकरण की शुरुआत कहा जा रहा है। अब यह कमेटी यह तय करेगी कि कौन-सा नेता पार्टी लाइन में है और कौन बाहर बोल रहा है।

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गुटबाजी पर काबू पाने का प्रयास

हरियाणा कांग्रेस की तीन स्थायी गुट- भूपेंद्र सिंह हुड्डा, कुमारी सैलजा और रणदीप सुरजेवाला लंबे समय से अपने-अपने खेमों में सक्रिय हैं। यह गुटबाजी पार्टी के लिए सिरदर्द बनती रही है। मंच साझा करने से लेकर प्रेस बयान तक, सबकुछ गुटों में बंटा रहा। राव नरेंद्र ने साफ कहा है कांग्रेस अब ‘मंच की राजनीति’ नहीं, ‘अनुशासन की राजनीति’ करेगी। आदेश ऊपर से आएंगे, नीचे कोई बहस नहीं होगी। चरखी दादरी में हुई कार्यकर्ता बैठक में हुए हंगामे ने इस बदलाव को गति दी। उस बैठक में पूर्व प्रत्याशी मनीषा सांगवान के समर्थकों ने विरोध दर्ज कराया था। बाद में सांगवान को कारण बताओ नोटिस जारी किया गया और यही घटना कमेटी गठन की ‘ट्रिगर पॉइंट’ बनी। राव के समर्थक इसे संगठन को ‘स्टेबल’ बनाने का उपाय बता रहे हैं, जबकि विरोधी गुट इसे ‘सत्ता केंद्रीकरण’ का नया रूप कह रहे हैं। एक वरिष्ठ नेता के शब्दों में- यह समिति कांग्रेस में डिसिप्लिन लाएगी या डर, यह वक्त बताएगा। लेकिन इतना तय है कि अब ‘हुड्डा-सैलजा-सुरजेवाला’ लाइनें उतनी खुली नहीं रहेंगी।

अनुशासन समिति के सदस्य।

सियासी संतुलन का केंद्र बिंदु

अनुशासन समिति की कमान पूर्व सांसद धर्मपाल मलिक को देकर पार्टी ने संगठन में अनुभव और संतुलन दोनों साधने की कोशिश की है। वह पार्टी प्रदेशाध्यक्ष भी रहे हैं। पूर्व सीएम भूपेंद्र सिंह हुड्डा के नजदीकियों में उनकी गिनती होती है। जगाधरी के विधायक अकरम खान अल्पसंख्यक वर्ग का प्रतिनिधित्व करते हैं। पूर्व सांसद कैलाशो सैनी महिला चेहरा हैं। पूर्व विधायक अनिल धन्तौड़ी जमीनी संगठन से जुड़े पुराने कार्यकर्ता हैं। कानूनी पक्ष को मजबूत बनाने के लिए एडवोकेट रोहित जैन को सदस्य सचिव बनाया गया है।

हरियाणा ‘टेस्ट केस’

कांग्रेस हाईकमान इस पूरे प्रयोग को ‘पायलट प्रोजेक्ट’ की तरह देख रही है। दिल्ली में बैठे नेताओं का मानना है कि अगर हरियाणा में यह मॉडल कामयाब होता है तो इसे राजस्थान, पंजाब और झारखंड में भी लागू किया जा सकता है।

राहुल से मुलाकात के बाद जारी हुए आदेश

कांग्रेस प्रदेशाध्यक्ष राव नरेंद्र सिंह ने मंगलवार को दिल्ली में लोकसभा में नेता प्रतिपक्ष राहुल गांधी से मुलाकात की। इसके कुछ देर बात ही हाईकमान ने हरियाणा के लिए अनुशासन कमेटी के गठन के आदेश जारी कर दिए। प्रदेशाध्यक्ष बनने के बाद राव नरेंद्र की राहुल गांधी के साथ यह पहली मुलाकात थी। बताते हैं कि इस दौरान संगठन के अलावा कई अन्य राजनीतिक मुद्दों पर उन्होंने राहुल को रिपोर्ट दी। प्रदेश व जिला कार्यकारिणी के अलावा ब्लाॅक व बूथ स्तर पर संगठन को लेकर रोडमैप पेश किया।

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