कांग्रेस साबित नहीं कर पाई वोट चोरी : अनिल विज
यमुनानगर में मार्केट कमेटी के अध्यक्ष राकेश त्यागी के निवास स्थान पर पहुंचे परिवहन एवं बिजली मंत्री अनिल विज ने कहा कि कांग्रेस वोट चोरी का बेबुनियाद आरोप लगा रही है। वह अभी तक यह साबित नहीं कर पाई की वोट चोरी कैसे और कहां से हुई। उन्होंने कांग्रेस पर हमला बोलते हुए कहा कि अगर वोट चोरी हुए हैं तो उन्हीं वोटों से कांग्रेस के विधायक भी चुने गए हैं, उन्हें अपने पदों से इस्तीफा दे देना चाहिए। उन्होंने यह भी कहा कि चुनाव के समय एक महीना पहले कसरत शुरू हो जाती है। वोटर लिस्ट जारी हो जाती है, उसमें संशोधन करने की अपील की जाती है, बदलाव की प्रक्रिया भी रहती है। अगर ऐसा कुछ हुआ होता तो संबंधित कांग्रेस पार्टी के बीएलओ भी मौजूद रहते हैं, उन्हें भी कोई एतराज होना चाहिए था। अगर उन्हें एतराज नहीं हुआ तो कांग्रेस बताए कि उसने अपने बीएलओ के खिलाफ कार्रवाई क्या की है। परिवहन विभाग में सुधारों की बात करते हुए मंत्री अनिल विज ने कहा कि रोडवेज में लगातार सुधार हो रहा है, बसें खरीदी जा रही हैं।
'कांग्रेस को वोट चोर्निया' हो गया है
अम्बाला (हप्र) : ऊर्जा, परिवहन एवं श्रम मंत्री अनिल विज ने आज कांग्रेस पर तंज कसते हुए कहा कि 'कांग्रेस को वोट चोर्निया' हो गया है क्योंकि ये वही वोटर सूचियां हैं जिनके ऊपर कांग्रेस भी चुनाव लड़ती आई है और जीतते भी आई है तथा इनकी सरकारें भी बनी हैं। उन्होंने कहा कि अगर कांग्रेस इस मामले पर ईमानदार है तो जहां-जहां से कांग्रेस के विधायक बने हैं, उनको इस्तीफा दे देना चाहिए क्योंकि कांग्रेस के ये विधायक भी चोरी के वोटों से जीते हैं'। उन्होंने कटाक्ष करते हुए कहा 'अगर यह मतदाता सूचियां गलत हैं तो कांग्रेस वालो कुछ मर्यादा दिखाइए और जितने भी आपके विधायक चुनाव लड़कर जीते हैं उन सबसे इस्तीफा कराइए'। मीडिया कर्मियों के सवालों के जवाब देते हुए विज ने कहा कि 'अगर कांग्रेस कहती है कि वोट चोरी हुई है और ये ईमानदार है तो जहां-जहां से इनके विधायक बने हैं, उनको इस्तीफा दे देना चाहिए क्योंकि कांग्रेस के ये विधायक भी चोरी के वोटों से जीते हैं, क्योंकि सूचियां वही हैं और इनके ऊपर ही चुनाव हुआ है'। विज ने कहा कि राहुल गांधी की कांग्रेस पार्टी के वोट चोरी के कई मामले कोर्ट में विचाराधीन हैं और पूर्व प्रधानमंत्री स्वर्गीय इंदिरा गांधी भी वोट चोरी के मामले में ही 'अनसीट' हुई थीं। उस समय तत्कालीन जस्टिस जेएमएल सिन्हा ने उनके चुनाव को रद्द किया था, जो ऑन रिकॉर्ड है। वहीं, दूसरी ओर सोनिया गांधी नागरिक बाद में बनीं और वोट डालनी पहले शुरू कर दी। पंडित जवाहरलाल नेहरू को कोई भी वोट न मिलने पर प्रधानमंत्री बना दिया गया।
