पानीपत, 17 मई (निस)
केंद्रीय पर्यावरण मंत्रालय के एयर क्वालिटी मैनेजमेंट कमीशन ने पानीपत सहित एनसीआर की कोयला आधारित इंडस्ट्री को 30 सितंबर तक पीएनजी या बायोमास फ्यूल पर शिफ्ट करने के आदेश दिये हैं। इसके बाद दिल्ली एनसीआर में क्लीनर फ्यूल का इस्तेमाल करने वाली इंडस्ट्री ही चल सकेगी और कोयला से चलने वाले बॉयलर बंद हो जायेंगे। पानीपत जिला में करीब 690 ऐसी बॉयलर वाली इंडस्ट्री हैं, जहां कोयले व लकड़ी का प्रयोग होता है। बॉयलर वाली इंडस्ट्री में से अभी तक 35-40 ने ही पीएनजी गैस पर शिफ्ट किया है। ज्यादातर बॉयलर अभी भी कोयले व लकड़ी से चल रहे हैं। वहीं गैस पर शिफ्ट करने की 30 सिंतबर की तारीख जैसे-जैसे नजदीक आ रही है तो उद्योगपतियों को इस बात की चिंता हो रही है कि वे एकसाथ सभी कोयला आधारित बॉयलरों को कैसे गैस पर शिफ्ट कर पायेंगे। यदि वे एक्यूएमसी के आदेशानुसार गैस पर शिफ्ट नहीं करते हैं तो उनकी इंडस्ट्री सील हो सकती है और यदि गैस पर शिफ्ट करते हैं तो किस तरह अपने बॉयलरों को चला सकेंगे। इसी को लेकर उद्योगपतियों में असमंजस है। हालांकि उद्योगपति कोयला आधारित बॉयलरों को गैस पर शिफ्ट करने का समय 30 सितंबर से कुछ वर्ष आगे बढ़ाने का मांग रहे हैं। वहीं बॉयलरों को गैस पर कैसे शिफ्ट किया जा सकता है, इसे लेकर मंगलवार को डायर्स एसोसिएशन के प्रधान भीम राणा की सेक्टर- 29 स्थित फैक्टरी में बैठक हुई, जिसमें कोई सहमति नहीं बन पायी कि किस तरह से शिफ्ट किया जा सकता है।
3 वर्ष का समय दे सरकार : डायर्स एसोसिएशन के प्रधान भीम राणा ने बताया कि पानीपत जिला में ही करीब 700 बॉयलर वाली इंडस्ट्री हैं, जिनमें कोयला व लकड़ी का प्रयोग होता है। वहीं दिल्ली एनसीआर में आने वाले हरियाणा, राजस्थान व यूपी के जिलों के सभी बॉयलर गैस पर शिफ्ट किये जाने हैं। उन्होंने सरकार से मांग की है कि बॉयलरों को गैस पर शिफ्ट करने का समय कम से कम तीन वर्ष बढ़ाया जाये।
गैस का प्रयोग करने से बढ़ेगी उत्पादन लागत: चुघ
हरियाणा व्यापार मंडल के युवा प्रदेशाध्यक्ष राकेश चुघ ने कहा कि कोयले व लकड़ी की बजाय गैस के रेट करीब ढाई गुणा ज्यादा पड़ते हैं। यदि इंडस्ट्री संचालक अपने बॉयलर को गैस पर शिफ्ट करते हैं तो मॉल की उत्पादन लागत बढ़ेगी। सरकार को बॉयलर इंडस्ट्री को बचाने के लिये आगे आना चाहिये।