चार महीने से वेतन बकाया, सरकारी स्कूलों के कंप्यूटर लैब अटेंडेंट में आक्रोश
हरियाणा के सरकारी स्कूलों में अनुबंध पर कार्यरत कंप्यूटर लैब अटेंडेंट (सीएलए) पिछले चार महीने से वेतन न मिलने के कारण गहरी परेशानियों का सामना कर रहे हैं। महज़ 12 हजार रुपये मासिक वेतन पर वर्षों से सेवाएं दे रहे इन कर्मचारियों का दशहरा बिना सैलरी के बीत गया और अब आशंका है कि दिवाली भी इसी स्थिति में गुज़र सकती है।
राज्यभर के स्कूलों में कंप्यूटर लैब अटेंडेंट पिछले 14 वर्षों से अधिक समय से लगातार सेवाएं दे रहे हैं। ये न सिर्फ लैब का रखरखाव करते हैं, बल्कि बच्चों को बेसिक कंप्यूटर शिक्षा देने से लेकर स्कूलों के तमाम डिजिटल कार्यों में भी अहम योगदान निभाते हैं। इसके बावजूद, उनकी आर्थिक स्थिति लगातार बिगड़ती जा रही है।
कंप्यूटर लैब अटेंडेंट वेलफेयर एसोसिएशन के राज्य प्रधान कर्मजीत संधू ने बताया कि शिक्षा विभाग ने आखिरी बार मई 2025 तक का वेतन जारी किया था। जून से अब तक का भुगतान लंबित है। उन्होंने कहा कि हम पिछले चार महीने से अधिकारियों के चक्कर काट रहे हैं, लेकिन समस्या जस की तस बनी हुई है। सरकार ने न तो वेतन जारी किया है और न ही ‘सर्विस सिक्योरिटी एक्ट’ के तहत सेवा सुरक्षा पत्र प्रदान किया है।
त्योहार का सीजन, जेबें खाली
संघ के राज्य महासचिव मनोज अग्रवाल ने कहा कि कर्मचारियों को आशंका है कि जिस तरह दशहरा बिना वेतन बीता, उसी तरह दिवाली भी निराशा में गुजर सकती है। उन्होंने कहा, ‘हर कर्मचारी को फेस्टिवल सीजन में पैसों की ज़रूरत होती है। हमारी जेबें खाली हैं और परिवार की ज़रूरतें पूरी नहीं हो पा रहीं। हालात ऐसे हैं कि हमें काली दिवाली मनाने पर मजबूर होना पड़ेगा।’
‘सख्त कदम उठाने को मजबूर होंगे’
संघ पदाधिकारियों ने चेतावनी दी है कि अगर जल्द बजट जारी कर वेतन भुगतान सुनिश्चित नहीं किया गया, तो कंप्यूटर लैब अटेंडेंट आंदोलन का रास्ता अपनाने को बाध्य होंगे। उनका कहना है कि लगातार उपेक्षा और असुरक्षा की स्थिति ने उनका धैर्य तोड़ दिया है। कर्मचारियों ने सरकार से अपील की है कि तुरंत वेतन जारी किया जाए और ‘सर्विस सिक्योरिटी एक्ट’ के तहत सेवा सुरक्षा पत्र भी दिया जाए, ताकि उन्हें स्थायित्व और सम्मान मिल सके।