दिनेश भारद्वाज/ट्रिन्यू
चंडीगढ़, 9 जनवरी
एक वक्त रैंकिंग के मामले में देहरादून के दून पब्लिक स्कूल से भी आगे रहे मोतीलाल नेहरू स्कूल ऑफ स्पोर्ट्स राई (सोनीपत) की दशा-दिशा फिर से बदलने जा रही है। स्कूल को स्थाई प्रिंसिपल एंड डायरेक्टर (पीएंडडी) भी मिल चुका है और अब पुराने विद्यार्थी भी मिलकर स्कूल में सुधार के लिए नई शुरुआत कर रहे हैं। 1995 बैच के पासआउट विद्यार्थियों ने मिलकर ‘राई फाउंडेशन’ की नींव रखी है। इतना ही नहीं, यहां के नये पीएंडडी कर्नल अशोक मोर भी 1989 में इसी स्कूल से पासआउट हैं। पिछले दिनों स्कूल में हुई एलुमनी मीट में 1996 बैच के पासआउट विद्यार्थी यहां इकट्ठे हुए और सभी ने मिलकर स्कूल के लिए काम करने का फैसला लिया है। पहले चरण में यहां आईआईटी पैटर्न पर कंप्यूटर लैब स्थापित करने का निर्णय लिया है। साथ ही, आधुनिक सुविधाओं से युक्त लैंग्वेज लैब भी स्थापित होगी। जगह का प्रबंध स्कूल करेगा और बाकी खर्चा ये विद्यार्थी मिलकर उठाएंगे।
इस बाबत वे स्कूल के प्रिंसिपल कर्नल अशोक मोर से बात भी कर चुके हैं। स्कूल में यह अपनी तरह की पहली कोशिश होगी। इतना ही नहीं, इन पूर्व विद्यार्थियों ने स्कूल में पढ़ने वाले गरीब बच्चों की आर्थिक मदद का भी फैसला लिया है। स्कूल में पढ़ रहे सात बच्चों की फीस का खर्चा वहन करके ये विद्यार्थी राई फाउंडेशन की शुरुआत कर चुके हैं। ऑस्ट्रेलिया में रियल एस्टेट का बिजनेस करने वाले यहां के विद्यार्थी रहे बॉकी लाकड़ा फाउंडेशन की अगुवाई कर रहे हैं। राई फाउंडेशन में शामिल हुए पुराने विद्यार्थियों में कई सरकारी नौकरियों में हैं तो कुछ अपना बिजनेस कर रहे हैं और कुछ प्राइवेट सेक्टर में अच्छे ओहदों पर हैं।
बंगलुरू, गुरुग्राम सहित देश के अन्य हिस्सों व विदेश में भी इस बैच के विद्यार्थी सैटल हैं। अहम बात है कि ये सभी पूर्व विद्यार्थी नियमित रूप से एक-दूसरे के टच में हैं। सभी ने मिलकर राई फाउंडेशन का गठन किया है।
बेशक, जिस समय ये विद्यार्थी यहां पढ़ रहे थे, उस समय में कंप्यूटर का इतना प्रचलन नहीं था। आज के दौर में कंप्यूटर काफी अहम हो चुका है। साथ ही, लैंग्वेज लैब भी विद्यार्थियों की जरूरत बन गई है। एलुमनी मीट में शामिल हुए विद्यार्थियों ने स्कूल के विद्यार्थियों व स्टाफ को 450 से अधिक गीता की प्रतियां भेंट की हैं।
गरीब विद्यार्थियों के लिए राई फाउंडेशन ने सात छात्रवृत्ति योजनाएं शुरू करने का भी निर्णय लिया है। वर्तमान में पढ़ने वाले छात्रों को अलग-अलग फील्ड में महारत लाने में ये पुराने विद्यार्थी मदद करेंगे। खुद प्रिंसिपल भी यहीं के स्टूडेंट होने की वजह से उनकी रुचि स्कूल को लेकर काफी अधिक है।
हमारे लिए यह खुशी की बात है कि स्कूल के पूर्व विद्यार्थियों ने स्पोर्ट्स स्कूल में कंप्यूटर व लैंग्वेज लैब स्थापित करने का निर्णय लिया है। पुराने छात्रों की इस पहल से स्कूल आगे बढ़ेगा और विद्यार्थियों को इससे नई दिशा मिलेगी। मैं तो खुद 1989 में इसी स्कूल से पासआउट हूं। स्कूल में खेल के साथ शिक्षा की गुणवत्ता में सुधार किया जाएगा।
-कर्नल अशोक मोर, पि्रंसिपल एंड डायरेक्टर, स्पोर्ट्स स्कूल राई