दिनेश भारद्वाज/हप्र
चंडीगढ़, 30 अप्रैल
हरियाणा की परिवहन अथॉरिटी के वीआईपी नंबरों पर अब नेताओं व अफसरों का अधिकार नहीं रहेगा। 0001 से लेकर तमाम प्रीमियम नंबर आम लोगों के लिए उपलब्ध होंगे। सरकार ने नंबरों के इस वीआईपी कल्चर से अब तौबा कर ली है। हर अथॉरिटी में उसके शुरूआती नंबर के साथ ‘जीवी’ यानी ‘गवर्नमेंट व्हीकल’ के नाम से नई सीरीज की शुरूआत होती। परिवहन मंत्रालय से यह प्रपोजल बनकर मंजूरी के लिए सीएमओ (मुख्यमंत्री कार्यालय) में पहुंच चुकी है।
वीआईपी नंबर छोड़ने की शुरूआत खुद सीएम मनोहर लाल खट्टर ने पिछले दिनों हुई राज्य मंत्रिमंडल की बैठक में की थी। उन्होंने अपने काफिले में शामिल 0001 नंबर की सभी गाड़ियों के नंबर आम लोगों के लिए सरेंडर करने का फैसला लिया था। उनके साथ ही, मुख्य सचिव संजीव कौशल ने भी अपनी गाड़ी का 0001 नंबर सरेंडर कर दिया था। शुरूआत हुई तो सभी इसके लिए राजी हो गए। अब 179 ऐसी गाड़ियां हैं, जिनके नंबर 0001 हैं और इन सभी गाड़ियों से ये नंबर हटाए जाएंगे।
0001 गाड़ियां कैबिनेट व राज्य मंत्रियों, स्पीकर व डिप्टी स्पीकर के अलावा विभिन्न बोर्ड व निगमों के चेयरमैन, आयोगों के चेयरमैन, प्रशासनिक अधिकारियों व वरिष्ठ आईएएस-आईपीएस अधिकारियों के पास हैं। इतना ही नहीं, फील्ड में मंडलायुक्तों, आईजी, डीसी-एसपी व एसडीएम सहित सभी उन अधिकारियों की गाड़ियों के नंबर भी बदले जाएंगे, जिनके पास प्रीमियम नंबर हैं। प्रदेशभर में चंडीगढ़ मुख्यालय सहित 15 हजार से अधिक गाड़ियां हैं। इन सभी गाड़ियों का नये सिरे से रजिस्ट्रेशन होगा और उन्हें संबंधित अथॉरिटी के मूल नंबर के साथ ‘जीवी’ सीरीज के साथ नया नंबर अलॉट होगा। एचआर-70 सीरीज को प्रदेश मुख्यालय के लिए अधिकृत किया हुआ है। अब ये दोनों सीरीज भी आम लोगों के लिए शुरू हो जाएंगी। एचआर-99 की सीरीज एम्बुलेंस सेवाओं में लगी गाड़ियों के लिए है, यह पहले की तरह जारी रहेगी। सीएमओ की मुहर लगने के बाद परिवहन मंत्रालय प्रदेशभर की सभी 90 रजिस्ट्रेशन अथॉरिटी को इस बाबत निर्देश जारी करेगा।
0001 नंबर का रिजर्व प्राइस 5 लाख
प्रदेश की सभी रजिस्ट्रेशन अथॉरिटी में 0001 नंबर का आरक्षित मूल्य ही 5 लाख रुपये है। एक से अधिक लोग अगर इस नंबर के लिए आवेदन करेंगे तो फिर ई-ऑक्शन के जरिये नंबर अलॉट होगा। 0002, 0007 व 0009 नंबर का आरक्षित मूल्य डेढ़ लाख रुपये तथा 0003 से 0006 और 0008 नंबर का आरक्षित मूल्य एक लाख रुपये तय है। इसी तरह से 0010, 0011, 0022, 0033 से 0044, 0055 से 0066, 0077 से 0088, 0099, 0100 तथा 0786 नंबर के लिए 75 हजार रुपये आरक्षित मूल्य तय किया हुआ है।
ये हैं 50 हजारी नंबर
प्रीमियम नंबरों की शृंखला में 0012 से 0021, 0023 से 0032, 0032, 0034 से 0043, 0045 से 0054, 0056 से 0065, 0067 से 0076, 0078 से 0087, 0089 से 0098, 0111, 0200, 0300, 0333, 0400, 0444, 0500, 0555, 0600, 0666, 0700, 0777, 0800, 0888, 0900, 0999 तथा 1000 नंबर के लिए 50 हजार रुपये फीस तय है। इन नंबरों के लिए भी एक से अधिक आवेदन होने पर ई-नीलामी होगी।
च्वाइस नंबर के लिए 20 हजार
गाड़ी मालिक अगर प्रीमियम नंबरों की शृंखला को छोड़कर सामान्य नंबरों में से भी अपनी पसंद का कोई नंबर लेना चाहते हैं तो उसे 20 हजार रुपये आरक्षित मूल्य जमा करवाना होगा। रजिस्ट्रेशन अथॉरिटी में प्रीमियम को छोड़कर बाकी नंबर अलॉटमेंट कंप्यूटर के जरिये होते हैं। इसे मानवरहित किया गया है। कंप्यूटर खुद ही गाड़ी के रजिस्ट्रेशन के साथ नंबर उठाता है।
सरकारी गाड़ियों से वीआईपी और प्रीमियम नंबर हटाए जाएंगे। कैबिनेट की बैठक में इस बारे निर्णय हो चुका है। सभी वीआईपी नंबर आम लोगों के लिए होंगे। मंत्रियों व अधिकारियों की 179 गाड़ियों का नंबर 0001 है। इन सभी गाड़ियों के नंबर नई सीरीज शुरू होने के बाद आम लोगों के लिए उपलब्ध होंगे।
-मूलचंद शर्मा, परिवहन मंत्री