चंडीगढ़, 13 मार्च (ट्रिन्यू)
हरियाणा में शहरी स्थानीय निकायों नगर निगम, नगर परिषद व नगर पालिका की प्रॉपर्टी के किरायेदारों व लीजधारकों को मालिकाना हक को लेकर अब विभाग विस्तृत योजना बनाएगा। मुख्यमंत्री मनोहर लाल खट्टर द्वारा बजट में इसका ऐलान किए जाने के बाद राज्य में हजारों की संख्या में लोगों को मालिकाना हक मिलेगा। इस फैसले से निकायों के खजाने में भी सैकड़ों करोड़ रुपए आएंगे।
पूर्व की हुड्डा सरकार के समय से मालिकाना हक का मुद्दा चला आ रहा है। हुड्डा सरकार ने 2007 में मालिकाना हक देने की योजना भी बना दी थी लेकिन वह सिरे नहीं चढ़ पाई। इसके बद खट्टर सरकार ने अपने पहले कार्यकाल में 2018 में इसी तरह की नीति लांच की, लेकिन उसका भी बहुत कम लोगों को लाभ हुआ। अब नये सिरे से पॉलिसी बनेगी ताकि अधिकांश लोगों को मालिकाना हक मिल सके।
निकायों की प्रॉपर्टी पर लोग कई दशकों से किराये पर लीज पर बैठे हैं। इनका किराया और लीज राशि भी बहुत कम है। निकायों को आय भी न के बराबर ही इन प्रॉपर्टी से हो रही है। ऐसे में सरकार ने कलेक्टर रेट के हिसाब से मालिकाना हक देने की योजना बनाई है ताकि निकायों को भी पैसा मिल सके और लोगों को भी किराये के झंझट से छुटकारा मिले। सभी जिलों में डीसी की अध्यक्षता में कमेटियों का गठन होगा। डीसी के पास संबंधित किरायेदारों/लीजधारकों को आवेदन करना होगा। इस कमेटी में निकायों व पीडब्ल्यूडी विभाग के अधिकारी भी शामिल रहेंगे। संबंधित एरिया में प्रॉपर्टी के मार्केट या कलेक्टर रेट के हिसाब से रेट तय होगा। कमेटियों द्वारा निर्धारित किया गया पैसा संबंधित किरायेदारों को देना होगा। इसके बाद निकायों द्वारा संबंधित जमीन की रजिस्ट्री उनके नाम करवा दी जाएगी। रजिस्ट्री होने के बाद वे जमीन के मालिक होंगे और किराया भी नहीं देना होगा। खट्टर सरकार के पहले कार्यकाल में सीएम के मीडिया एडवाइजर राजीव जैन की अध्यक्षता में व्यापारियों के मुद्दों को लेकर एक उच्च स्तरीय कमेटी का गठन किया था। कमेटी की सिफारिश पर किरायेदारों को मालिकाना हक देने का भी सरकार ने ऐलान किया था।
इसलिए सिरे नहीं चढ़ पाई योजना
निकायों की प्रॉपर्टी पर बनी दुकानों का मालिकाना हक देने के लिए मार्केट रेट के हिसाब से कीमत तय की गई तो अधिकांश शहरों में दुकानदार इससे पीछे हट गए। ऐसे में अब सरकार कलेक्टर रेट से भी कुछ कम कीमत पर उन्हें मालिकाना हक दे सकती है। बड़ी संख्या में निकायों की जमीन पर लोगों ने मकान बनाए हुए हैं। रिहायशी एरिया में उतना रेट नहीं है, जितना सरकार द्वारा तय किया गया था। ऐसे में अभी तक एक भी व्यक्ति के नाम मकान की रजिस्ट्री नहीं हो पाई। अब सरकार मकानों के मालिकाना हक के लिए कम दरें तय करेगी ताकि गरीब लोगों को इसका लाभ मिल सके।