हरियाणा विधानसभा का मंगलवार का सत्र भी किसी अखाड़े से कम नहीं रहा। कहीं जमीन के दाम और कलेक्टर रेट पर बहस छिड़ी तो कभी गड्ढों वाली सड़कों और बिना दवा के अस्पतालों ने हंगामा खड़ा हो गया।
‘रेट वाला राग’ और स्पीकर संग ठनक
सफीदों से भाजपा विधायक रामकुमार गौतम कलेक्टर रेट पर गरजे। बोले, ‘जमीन के रेट आसमान छू रहे हैं, सरकार के रेट आधे में अटके हैं। राजस्व नहीं आता, नतीजा—शिक्षकों और कर्मचारियों को तनख्वाह तक मुश्किल से मिलती है। पीएचडी धारी लोग पंद्रह हजार में खट रहे हैं।’ इतना कहकर वो और धार चढ़ाते, इससे पहले ही स्पीकर हरविन्द्र कल्याण ने बेल बजा दी। गौतम का तंज – ‘मैंने तो अभी कुछ कहा ही नहीं। झगड़ा होता तो आप मुस्कुराकर सुनते।’ स्पीकर ने उनके बयान को रिकॉर्ड में डालने के निर्देश दिए और कहा –‘ इसका जवाब दूंगा’।
सीएम सिटी पर ‘गड्ढों की गिनती’
पूर्व स्पीकर व थानेसर से भाजपा विधायक अशोक अरोड़ा ने सीएम की अपनी ही सिटी कुरुक्षेत्र पर तंज कसा। बोले, ‘मुख्यमंत्री के घर तक जाने वाली सड़क पर ही 500 गड्ढे हैं। जब मुख्यमंत्री के शहर का यह हाल है तो बाकी प्रदेश का अंदाजा खुद लगा लो।’ अन्य विधायकों ने भी इस पर सवाल पूछे। तब पीडब्ल्यूडी मंत्री रणबीर गंगवा ने लंबी-चौड़ी रिपोर्ट पेश कर दी।
मामन बनाम आरती : स्वास्थ्य पर हंगामा
नूंह जिले की बदहाल स्वास्थ्य सुविधाओं पर मामन खान और स्वास्थ्य मंत्री आरती राव आमने-सामने आ गए। मामन बोले– ‘न दवाइयां, न डॉक्टर। डॉग बाइट और स्नेक बाइट का इलाज तक नहीं।’ मंत्री ने जवाब में कहा - ‘आप चाहें तो मेरी चेयर पर आकर देख लें।’ बस फिर क्या था, कांग्रेस भड़क गई और सदन में हंगामा मच गया। स्पीकर ने बीच-बचाव करते हुए कहा - ‘आपत्ति है तो लिखित में दो, जवाब मंगवा देंगे।’
गौतम का ‘आई एम हेल्पलैस’
दोपहर में फिर विधायक रामकुमार गौतम ने सड़कों का मुद्दा उठाया। बोले – ‘सफीदों, जींद, नारनौंद की सड़कें बदहाल हैं। फॉरेस्ट क्लियरेंस बरसों अटकी रहती है। इस पर वन एवं पर्यावरण मंत्री राव नरबीर सिंह ने चुटकी ली – ‘दादा, पिछली बार पांच साल सरकार आपके सहयोग से चली थी, तब क्यों नहीं सुधारा?’ गौतम झल्ला गए और बोले - ‘राव साहब तेरा सूत बैठ ग्या, मेरा नहीं बैठ्या। नहीं तो मैं देख लेत्ता।’और फिर ठंडी आह भरते हुए बोले, ‘आई एम हेल्पलैस।’
जब विज ने कहा- यह सवाल बीते सत्र में भी आया था
होडल से विधायक हरेन्द्र सिंह रामरतन पुराने बस अड्डे के मुद्दे पर अपनी ही सरकार पर बरस पड़े। बोले, ‘2016 से मुद्दा लटका है, अब तक हुआ क्या?’ जवाब देने उठे परिवहन मंत्री अनिल विज बोले, ‘ये सवाल पिछले सत्र में भी आया था। नियम 50 कहता है कि एक ही सवाल बार-बार नहीं पूछ सकते।’ विधायक भड़क उठे - ‘अगर हाउस में हलके की समस्या नहीं उठाऊंगा तो कहां उठाऊं?’ स्पीकर ने बीच में दखल दिया, विज से कहा - ‘सवाल एडमिट हो चुका है, जवाब दीजिए।’ विज बोले- ‘जवाब वही है जो पिछली बार था। कार्यवाही निकलवाकर विधायक को भेज देंगे।’ विधायक नाखुश रहे, पर कार्यवाही आगे बढ़ गई।