चंडीगढ़, 6 जून (ट्रिन्यू)
हरियाणा में विकराल बेरोजगारी और प्रदेश सरकार की लकवाग्रस्त नीतियां युवाओं के लिए जानलेवा साबित हो रही हैं। यह कहना है पूर्व मुख्यमंत्री और नेता प्रतिपक्ष भूपेंद्र सिंह हुड्डा का। उन्होंने कहा कि बेरोजगारी से परेशान युवाओं द्वारा आत्महत्या करने की खबरें चिंताजनक हैं। इस तरह की खबरें न समाज के लिए अच्छी हैं और न ही सरकार के लिए। पढ़े-लिखे योग्य युवाओं का इस तरह हताशा में डूबना सरकार की नाकामियों का नतीजा है।
सोमवार को यहां से जारी एक बयान में हुड्डा ने कहा कि करनाल के पीएचडी धारक युवा डॉ़ प्रदीप द्वारा बेरोजगारी से परेशान होकर आत्महत्या करना बताता है कि बेरोजगारी किस हद तक बढ़ चुकी है। पिछले कई साल से हरियाणा पूरे देश में सबसे ज्यादा बेरोजगारी झेल रहा है। सीएमआईई के ताजा आंकड़े बताते हैं कि प्रदेश में इस वक्त देश में सबसे ज्यादा बेरोजगारी दर है। यही वजह है कि काम नहीं मिलने से हताश युवा नशे और अपराध की गिरफ्त में फंसते जा रहे हैं। कई युवा डिप्रेशन के शिकार होकर आत्महत्या जैसा कदम उठा रहे हैं। डॉ़ प्रदीप से पहले भिवानी जिले के तालू गांव निवासी पवन ने इसी तरह का दर्दनाक कदम उठाया था। पवन भी 3 साल से सेना भर्ती नहीं होने की वजह से हताश था, लेकिन बार बार सामने आ रही ऐसी खबरों पर सरकार की चुप्पी उसकी संवेदनहीनता को दर्शाती है। हुड्डा ने कहा कि अगर वह ऐसा नहीं कर पाती तो इसका खमियाजा युवा पीढ़ी और पूरे समाज को भुगतना पड़ता है। विपक्ष के तौर पर कांग्रेस की मांग है कि सरकार विकराल रूप अख्तियार कर चुकी बेरोजगारी को कम करने के लिए एक्शन प्लान तैयार करे। खाली पड़े 4 लाख पदों को जल्द से जल्द भरा जाए। नए पद सृजित करने बारे रणनीति बनाई जाए और सूबे में ठप पड़े औद्योगिक विकास को रफ्तार देने के लिए भ्रष्टाचार पर नकेल कसी जाए और इवेंट मैनेजमेंट की बजाए सरकार का फोकस रिजल्ट मैनेजमेंट पर हो।