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सीएम का पलटवार - परीक्षा बनी उत्सव, विपक्ष ही भटका

सीईटी : कांग्रेस का आरोप - परीक्षार्थी भटके, सरकार हुई फेल
मुख्यमंत्री नायब सैनी।
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हरियाणा विधानसभा का मानसून सत्र सोमवार को सीईटी परीक्षा पर गरमा गया। कांग्रेस विधायक शीशपाल केहरवाला (कालांवाली) ने सरकार पर सीधा हमला बोलते हुए कहा कि तृतीय श्रेणी नौकरियों के लिए कराई गई कॉमन पात्रता परीक्षा (सीईटी) में अव्यवस्था चरम पर रही। हजारों बच्चे परीक्षा केंद्रों तक भटकते रहे। फ्री बस सेवा अव्यवस्थित रही और कई जिलों में इंटरनेट व बायोमीट्रिक की समस्या से छात्र बेहाल हुए। यह बहस केहरवाला के ध्यानाकर्षण प्रस्ताव पर चर्चा के दौरान हुई। मुख्यमंत्री नायब सिंह सैनी ने विपक्ष के आरोपों को झूठ ठहराते हुए तीखा पलटवार किया। उन्होंने कहा, ‘मैंने परीक्षा के दिन खुद यूट्यूब पर एक घंटे तक लाइव देखा। हर जगह सबकुछ सुचारू रहा। कहीं कोई परेशानी नहीं हुई। अगर कोई भटका तो वह विपक्ष था, परीक्षार्थी नहीं।’ सैनी ने कहा कि हरियाणा के लोगों ने सीईटी को उत्सव की तरह मनाया और प्रशासनिक मशीनरी ने मिलकर इस परीक्षा को रिकॉर्ड स्तर पर सफल बनाया।

92 फीसदी हाजिरी, 12.46 लाख ने दी परीक्षा

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सीएम ने सदन में बताया कि परीक्षा में रिकॉर्ड उपस्थिति रही। 13 लाख 48 हजार 893 युवाओं ने पंजीकरण कराया और 12 लाख 46 हजार 797 ने परीक्षा दी। कई जिलों में उपस्थिति 92 प्रतिशत से ज्यादा दर्ज की गई। उन्होंने कहा कि अगर किसी बच्चे को वाकई दिक्कत हुई तो उसके फोटो व सीसीटीवी मिलान कर रिजल्ट सुनिश्चित किया जाएगा। सैनी ने दावा किया कि सरकार ने परीक्षार्थियों की सुविधा में कोई कमी नहीं छोड़ी। अगर कोई परीक्षार्थी गलती से गलत केंद्र पर भी पहुंच गया तो हमारे अधिकारियों ने अपनी गाड़ियों से उसे वास्तविक केंद्र तक पहुंचाया। उन्होंने कहा कि सीईटी की वैधता तीन साल तय की गई है और उसी हिसाब से यह परीक्षा आयोजित की गई।

नार्मलाइजेशन और प्रमाण पत्र पर फिर बहस

विधायक शीशपाल ने नार्मलाइजेशन प्रणाली को युवाओं के लिए अनुचित बताया। उन्होंने कहा कि इससे कई छात्रों का नुकसान होगा। उन्होंने आरोप लगाया कि एससी-बीसी के युवाओं को जाति प्रमाण पत्र अपलोड करने का मौका नहीं मिला, जबकि आयोग ने पोर्टल खोलने का वादा किया था। इस पर सीएम ने जवाब दिया कि 1 लाख 87 हजार बीसी वर्ग के युवाओं ने प्रमाण पत्र पोर्टल से डाउनलोड किए हैं।

फ्री बस सेवा पर भी तकरार

कांग्रेस ने सवाल उठाया कि फ्री बस सेवा से सरकार का लाखों रुपये का राजस्व बर्बाद हुआ। इस पर सत्तापक्ष के विधायक भड़क उठे। उन्होंने कहा कि सरकार ने इतनी बड़ी परीक्षा को सफलता के साथ आयोजित करवाया। अभ्यर्थियों के लिए बेहतर प्रबंध किए और विपक्ष राजनीति कर रहा है। हंगामे को शांत करवाने के लिए स्पीकर हरविंद्र कल्याण को बीच में हस्तक्षेप करना पड़ा।

 

 

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