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प्लाईवुड उद्योग पर संकट के बादल : कुछ व्यापारी पलायन कर गये कुछ ने बंद किया कारोबार

इधर, उत्तर प्रदेश ने उद्योगपतियों को दिया न्योता, सस्ती जमीन के साथ स्टेट जीएसटी 10 वर्षों तक माफ
यमुनानगर की प्लाईवुड फैक्ट्री। -हप्र
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सुरेंद्र मेहता /हप्र

यमुनानगर, 23 मई

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असाम में प्लाईवुड उद्योग समाप्त होने के बाद यह उद्योग हरियाणा के यमुनानगर में स्थापित हुआ था, लेकिन अब इस उद्योग पर संकट के बादल गहरा रहे हैं। लगातार यहां से उद्योग बंद होने लगे हैं। उद्योगपति यहां से पलायन कर उत्तर प्रदेश समेत दूसरे राज्यों में जा रहे हैं। वहीं इसी बीच उत्तर प्रदेश सरकार ने उद्योगों के लिए कई रियायतों की घोषणा की है, जिसके चलते हरियाणा के उद्योग उत्तर प्रदेश की तरफ आकर्षित होने लगे हैं। हरियाणा में विशेष कर यमुनानगर में किसी समय प्लाईवुड की 500 से अधिक फैक्ट्रियां थीं। जहां लगभग ढाई लाख लोग काम करते थे, लेकिन 2017 तक मात्र 380 इकाइयां ही रह गईं, जिसमें लगभग डेढ़ लाख के करीब मजदूर काम रहे थे। अब स्थिति और भी ज्यादा खराब हो चुकी हैं। वर्तमान में यहां मात्र 160 प्लाईवुड उद्योग ही चालू हालत में हैं। अगर ऐसी ही परिस्थितियां बनी रहीं तो आने वाले समय में अधिकांश उद्योग यहां से उत्तर प्रदेश समेत अन्य राज्यों में शिफ्ट हो सकते हैं।

प्लाईवुड मैन्युफैक्चरिंग एसोसिएशन के प्रधान जेके बिहानी व पूर्व प्रधान अजय मानिकतला का कहना है कि प्लाईवुड उद्योगों को लगातार दिक्कतों का सामना करना पड़ रहा है। एक तरफ जहां बिजली के रेटों में भारी वृद्धि की गई तो वहीं मंडी फीस बिना वजह ली जा रही है। इसके अलावा कच्चे माल के रूप में पॉपुलर और सफेदे के रेट आसमान छू रहे हैं। प्लाईवुड उद्योगों को नगर निगम अपने रिकॉर्ड में अवैध बता रहा है। जिसके चलते बैंकों से लोन भी नहीं मिल पा रहा और न ही अपने उद्योगों को बेच पा रहे हैं। उन्होंने कहा कि जब 20 से 25 वर्ष पहले उद्योग लगे थे तो सीएलयू नहीं होती थी। अब सीएलयू न होने के कारण उन्हें कई तरह की सुविधा नहीं मिल रहीं।

प्लाईवुड निर्माताओं का कहना है कि यमुनानगर में जो प्लाईवुड बनता है, उसकी क्वालिटी बेहतर है जिसकी पूरे भारत में अलग पहचान रही है। यहां के प्लाईवुड को नेपाल और इंडोनेशिया से आने वाली हल्की और सस्ती प्लाई के कारण भी काफी नुकसान हुआ है, लेकिन हमारी प्लाईवुड की क्वालिटी अच्छी है, लेकिन हरियाणा में प्रॉपर्टी टैक्स, हाउस टैक्स समेत कई तरह के टैक्स से ये और महंगी हो जाती है। जिसके चलते उद्योगपति परेशान हैं। ऐसे में अब प्लाईवुड उद्योग उत्तर प्रदेश समेत देश के अन्य राज्यों में पलायन करने लगे हैं। प्लाईवुड उद्योगपतियों का कहना है कि अगर सरकार ने जल्दी इस उद्योग को बचाने की पहल नहीं की तो हरियाणा सरकार को जहां काफी नुकसान होगा तो वहीं यमुनानगर समेत व कई इलाके आर्थिक रूप से प्रभावित होंगे जहां यह फैक्ट्रियां लगी हुई हैं।

व्यापारियों ने उत्तर प्रदेश में 25 से 30 एकड़ जमीन खरीदी

प्लाईवुड निर्माताओं का कहना है कि उत्तर प्रदेश सरकार ने उद्योगों को कई सुविधाएं देने का ऐलान किया है, जिसमें स्टाॅम्प ड्यूटी पूरी तरह माफ है, इसके अलावा लैंड खरीदने में ढाई हजार रुपए प्रति स्क्वायर मीटर की दर से जमीन उपलब्ध है। राज्य सरकार द्वारा ली जाने वाली जीएसटी 10 वर्षों के लिए माफ रहेगी, बिजली के रेट बहुत कम है। उन्होंने कहा कि इसके अलावा कई और सुविधाओं की घोषणा उत्तर प्रदेश के मुख्य सचिव मनोज कुमार ने रुड़की में आयोजित प्लाईवुड मैन्युफैक्चरिंग एसोसिएशन के कार्यक्रम में की थी। उन्होंने बताया कि अभी तक यमुनानगर के उद्योगपतियों ने 25 से 30 एकड़ जमीन उत्तर प्रदेश में खरीद ली है। उन्होंने कहा कि कच्चे माल के रूप में सफेदे और पॉपुलर का 75 फीसदी हिस्सा उत्तर प्रदेश से आता है और काफी संख्या में मजदूर भी वहीं से आते हैं। अगर वहां उद्योग लगते हैं तो उन्हें काफी लाभ होगा।

सरकार गंभीर, जुलाई-अगस्त में तंजानिया जाएगा प्रतिनिधि मंडल : विधायक घनश्याम दास अरोड़ा

यमुनानगर के विधायक घनश्याम दास अरोड़ा का कहना है कि यमुनानगर जिले का प्लाईवुड उद्योग भारत का सबसे बड़ा हब था, लेकिन अब यह उद्योग संकट में है। कुछ उद्योग यहां से पलायन हो गए हैं तो कुछ बंद हो गए। सरकार इसको लेकर गंभीर है। उन्होंने कहा कि हाल ही में तंजानिया से 300 कैंटर सफेदा सरकार ने इंपोर्ट किया है, ताकि यहां कच्चे माल के रेट कंट्रोल हो सकें। वहीं जुलाई-अगस्त में सरकार का एक प्रतिनिधि मंडल तंजानिया जाएगा, वहां के उद्योगों के बारे में रिपोर्ट लेगा, ताकि इसे लेकर कोई नीति बनाई जा सके।

 

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