बिजेंद्र सिंह/निस
पानीपत, 17 जून
पानीपत में बलजीत नगर पुलिस नाके के पास बबैल रोड पर ड्रेन नंबर एक के आसपास अवैध रूप से चल रहे 7 उद्योगों को प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड ने क्लोजर नोटिस दिया है और इन उद्योगों के बिजली के कनेक्शन काटने को लेकर भी पत्र लिखा गया है। एक सप्ताह के अंदर इनके बिजली के कनेक्शन काट दिये जाएंगे। प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड की टीम ‘दैनिक ट्रिब्यून’ में 14 जून को समाचार छपने के उपरांत छापेमारी कर रही है। बोर्ड के अधिकारियों ने इन उद्योगों पर छापेमारी के उपरांत माना कि ये उद्योग अवैध रूप से चल रहे थे और इनमें प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड द्वारा अधिकृत फ्यूल की बजाय सस्ते ईंधन के चक्कर में वेस्ट जलायी जा रही थी। इन उद्योगों में डाई हाउस के अलावा डेका डाई उद्योग भी शामिल हैं। इनमें बैडशीट व कंबल पर स्टीम प्रेस का काम होता है। इन उद्योगों में बिना किसी अनुमति के बॉयलर चलाकर स्टीम ली जाती थी।
बोर्ड अधिकारियों की कार्यप्रणाली पर भी उठाये सवाल : जन आवाज सोसाइटी के प्रधान एवं पूर्व जिला पार्षद जोगिंद्र स्वामी ने कहा कि कोरोना महामारी में मई के पहले पखवाड़े में लोग ऑक्सीजन की कमी से मर रहे थे और ये उद्योग हवा में जहरीला धुआं फैला रहे थे, तो उस वक्त प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड के अधिकारी कहां थे।
इन उद्योगों के चलने में कहीं न कहीं प्रदूषण बोर्ड के अधिकारी भी जिम्मेवार हैं। स्वामी ने कहा कि सरकार को उद्योगों को बढ़ावा देने के लिये मूलभूत सुविधाएं व रियायतें देनी चाहिये लेकिन लोगों के स्वास्थ्य से खिलवाड़ करने वाले उद्योगों पर शिकंजा कसना चाहिये।
छापेमारी के दौरान जलता मिला वेस्ट
प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड के अधिकारियों ने बताया कि जब उन्होंने इन उद्योगों में छापेमारी की तो बॉयलर में वेस्ट जलता हुआ मिला और इन उद्योगों की चिमनियों से काला धुआं निकल रहा था। अधिकारियों ने बताया कि इन उद्योगों में पानी साफ करने के लिये ईटीपी भी नहीं मिला है। इन उद्योग मालिकों को जब छापेमारी की सूचना मिली तो कई मालिक तो फैक्टरी बंद कर मौके से चले गये।
सवा साल पहले किये थे चिन्हित
करीब सवा साल पहले ईपीसीए के तत्कालीन चेयरमैन भूरेलाल ने बबैल रोड पर ड्रेन के पास चल रहे इन कुछ उद्योगों को विशेष रूप से चिन्हित किया था और इनके खिलाफ कार्रवाई करने के आदेश दिये थे लेकिन भूरे लाल के रिटायर होने के उपरांत अधिकारियों ने भी इन उद्योगों की तरफ ध्यान नहीं दिया। हालांकि आरोप प्रदूषण बोर्ड के अधिकारियों पर लगाया जा रहा है।
अधिकारियों की मिलीभगत की हो जांच
पानीपत इंडस्ट्रियल एसोसिएशन के प्रधान राकेश चुघ ने बताया कि ये सभी उद्योग पिछले कई सालों से चल रहे थे और ईपीसीए के तत्कालीन चेयरमैन भूरेलाल ने इन उद्योगों को चिन्हित भी किया था लेकिन प्रदूषण बोर्ड के अधिकारियों ने इन पर कार्रवाई क्यों नहीं की। उन्होंने आरोप लगाया कि बिना अधिकारियों की मिलीभगत के कोई भी अवैध रूप से उद्योग नहीं चल सकता। उन्होंने सरकार से मांग की कि इस बात की जांच होनी चाहिये कि ये उद्योग कौन-कौन से अधिकारियों की मिलीभगत से चल रहे थे। उसके खिलाफ भी कार्रवाई होनी चाहिये।