पानीपत (ट्रिन्यू) :
मार्क्सवादी कम्युनिस्ट पार्टी ने विश्वविद्यालयों को ग्रांट की बजाय कर्ज दिये जाने के राज्य सरकार के निर्णय का कड़ा विरोध करते हुए कहा है कि यह शिक्षा के व्यवसायीकरण की ओर एक और घातक कदम है। जिला सचिव सुनील दत्त के अनुसार नई शिक्षा नीति में जो कुछ उजागर किया गया है उससे ज्यादा छिपाकर रखा हुआ है।
यह छिपा हुआ एजेंडा अब स्कूल और कालेज से लेकर विश्वविद्यालय स्तर तक तेज गति से लागू हो रहा है। माकपा ने शुरू से ही शिक्षा के निजीकरण के खिलाफ आवाज उठाई है लेकिन समग्र और व्यापक जनांदोलन के अभाव में केंद्र व राज्यों की भाजपा सरकारें निरंकुश ढंग से जनविरोधी शिक्षा नीति को लागू कर रही हैं। हाल में कुरूक्षेत्र विश्वविद्यालय द्वारा होस्टल फीस 13 हजार से बढ़ाकर 26 हजार रुपये करना और महर्षि दयानंद विश्वविद्यालय में विभिन्न तरह की फीसों में की गई भारी वृद्धि बाकायदा निजीकरण की ओर उठाए गए प्रतिगामी कदम ही हैं। माकपा लोगों अपील करती है कि सरकार के इस निर्णय के खिलाफ संयुक्त आंदोलन खड़ा करे। पार्टी ने निर्णय किया है कि वह इस मामले में सभी अभियान व संघर्षों का बढ़-चढ़कर समर्थन करेगी और अन्य वामपंथी व जनतांत्रिक ताकतों से परामर्श करके अपने स्तर पर भी आंदोलन खड़ा करेगी।