हुड्डा से ‘किनारे’ हुए करीबी, अब सैलजा के ‘पाले’ में!
मौका था, कांग्रेस के वरिष्ठ नेता ललित बुटाना के घर पर हुई ‘सियासी टी-पार्टी’ का। बेशक, कहने को तो यह एक पारिवारिक सा कार्यक्रम था, लेकिन इसमें पहुंचे नेताओं की मौजूदगी और चाय के बाद सामने आए उनके बयान कुछ और ही कहानी बयां कर रहे हैं। ललित बुटाना ने करनाल कांग्रेस के अधिकांश वरिष्ठ नेताओं को अपने यहां चाय पर बुलाया था। यह भी कह सकते हैं कि उनके साथ अच्छे संबंधों के चलते अधिकांश नेता पहुंचे भी।
कुछ नेता इस चाय पार्टी को लेकर कह रहे हैं कि यह राजनीतिकरण नहीं बल्कि शहरीकरण था। मतलब – शहरदारी में वे पहुंचे। पूर्व स्पीकर कुलदीप शर्मा, कार्यकारी प्रदेशाध्यक्ष सुरेश गुप्ता, रघबीर संधू, जयपाल मान, सुमिता सिंह, राकेश कंबोज, राजेश वैद्य, सुरेश लहरी, सोमिल संधू और कई अन्य नेता – इनमें से कई वे चेहरे हैं, जो हमेशा हुड्डा कैंप की बैठकों और कार्यक्रमों में अगली कतार में दिखाई देते थे।
इस बार वही नेता सैलजा के साथ चाय की चुस्कियां लेते नजर आए। इस बदलाव ने कांग्रेस के भीतर गुटबाजी को और उभार दिया है। इस दौरान मौजूद रहे नेताओं में से कई ने भले ही इसे पार्टी की एकजुटता बताते हुए ‘सिर्फ नेतृत्व परिवर्तन’ करार दिया हो, लेकिन इसका असल असर गहरा है। दरअसल, करनाल और जीटी रोड बेल्ट जैसे इलाकों में कांग्रेस की ताकत अब सीधे-सीधे दो धड़ों में बंटती नजर आ रही है।
एक तरफ हुड्डा और दूसरी तरफ सैलजा। आने वाले चुनावों में यह उलटफेर कांग्रेस की किस्मत तय कर सकता है। जयपाल मान पूर्व में हुड्डा के समर्थक हुए करते थे, लेकिन लम्बे समय से वे उनसे किनारा कर चुके हैं। रघबीर संधू और उनके बेटे सोमिल संधू की बयानबाजी ने हुड्डा खेमे के सामने बड़ा चैलेंज पैदा कर दिया है। यूथ कांग्रेस के प्रदेश उपाध्यक्ष सोमिल संधू ने यूथ कांग्रेस के पदाधिकारियों के शपथ ग्रहण समारोह से भी किनारा कर लिया था।
हुड्डा खेमे में ही शामिल रहे एचपीएससी के पूर्व सदस्य व अब करनाल के जिलाध्यक्ष राजेश वैद्य भी सैलजा के साथ ही सियासी गपशप करते नजर आए। रविवार को हुई इस राजनीतिक घटना के बाद सोमवार को कुरुक्षेत्र में भी कांग्रेस की सियासत हिलोरे लेती दिखी। कुरुक्षेत्र में सैलजा के दौरे के दौरान पूर्व स्पीकर व थानेसर विधायक अशोक अरोड़ा तथा कुरुक्षेत्र जिलाध्यक्ष व लाडवा के पूर्व विधायक मेवा सिंह सहित कई वरिष्ठ नेता साथ दिखे।
इन दोनों घटनाओं के बाद कांग्रेस गलियारों में चर्चाओं का बाजार गरम हो गया है। पार्टी के नेता चाहे कुछ भी कहें, लेकिन अब कांग्रेस में दो पावर सेंटर साफ दिखने लगे हैं - एक तरफ हुड्डा और दूसरी तरफ सैलजा। नेता भले ही दावा कर रहे हों कि कांग्रेस एकजुट है, लेकिन इस बदलाव ने हुड्डा कैंप की चिंता जरूर बढ़ती हुई दिख रही हैं। सवाल यह है कि क्या यह गुटबदल पार्टी को कमजोर करेगा या फिर इसमें नई ऊर्जा भर देगा।
नाराजगी राजनीति का हिस्सा : कुलदीप
पूर्व स्पीकर कुलदीप शर्मा ने इस घटनाक्रम को सहज बताते हुए कहा, ‘राजनीति में स्थायी नाराजगी नहीं होती। समय-समय पर मतभेद और मनमुटाव होना स्वाभाविक है। कांग्रेस पूरी तरह एकजुट है। चाहे हुड्डा हों या सैलजा, सबका लक्ष्य पार्टी को मजबूत करना है।’
रघबीर संधू ने बदले तेवर
पूर्व मुख्यमंत्री भूपेंद्र सिंह हुड्डा के करीबियों में गिने जाने वाले रघबीर संधू के तेवर और भी तल्ख नजर आए। दो-टूक कहा, अब बदलाव का समय है। लोग बीजेपी से छुटकारा चाहते हैं। हम कांग्रेस के सिपाही हैं, लेकिन अब सैलजा के नेतृत्व में आगे बढ़ेंगे।
मान ने बताया अगला मुख्यमंत्री
जयपाल मान यही नहीं रुके। उन्होंने कुमारी सैलजा को अगली मुख्यमंत्री बताते हुए नये समीकरण पैदा करने का काम कर दिया। कहने लगे, सैलजा मुख्यमंत्री बनें, यह जनता भी चाहती है। कहा – मैं पूरी तरह से सैलजा के साथ हूं। हालांकि मान की हुड्डा के साथ बहुत पहले दूरियां हो गई थीं।
सुमिता सिंह से साधा संतुलन
पूर्व विधायक सुमिता सिंह ने कांग्रेस को परिवार बताते हुए सैलजा के साथ हुई चाय बैठक के बाद भी संतुलन ही साधने की कोशिश की। सुमिता सिंह ने कहा, ‘करनाल में कोई भी नेता आए, हम सभी के कार्यक्रम में शामिल होते हैं। मैं हुड्डा से नाराज नहीं हूं। कार्यक्रम में भी जाती हूं।’
गोगी ने बहाया ‘सियासी दरिया’
खुलकर और बेबाकी से अपनी बात रखने वाले असंध के पूर्व विधायक शमशेर सिंह गोगी ने कहा – ‘वक्त किसी के लिए स्थायी नहीं होता। दरिया का पानी बह जाता है और दिशा बदल लेता है।’ जब उनसे पूछा कि यह दरिया अब किस ओर बहेगा तो हंसते हुए बात टाल गए।
मैं सभी की शुक्रगुजार हूं : कुमारी सैलजा
मीडिया के पूछने पर सैलजा ने कहा – ‘मैं सभी की शुक्रगुजार हूं। मुझे हमेशा सहयोग और आशीर्वाद मिला है। पार्टी से जुड़े बड़े फैसले हाईकमान के हाथ में होते हैं। हमें राहुल गांधी का संदेश जन-जन तक पहुंचाना है और कमियों को दूर करना है।’ हुड्डा गुट के नेताओं के साथ आने की बात को उन्होंने हंसते हुए टाल दिया।