भिवानी, 18 जुलाई (हप्र)
मुख्यमंत्री के ओएसडी द्वारा लिपिक को 35400 वेतन नहीं दिया जा सकता, के बयान से गुस्साए हरियाणा मिनिस्ट्रीयल स्टाफ एसोसिएशन के राज्य अध्यक्ष हितेंद्र सिहाग व महासचिव जगमेंद्र सिंह ने संयुक्त रूप से ओएसडी के बयान की घोर निंदा की तथा हड़ताल के बीच जान-बूझकर दिए इस बयान को जले पर नमक छिड़कने वाला करार दिया है। उन्होंने कहा कि सुप्रीम कोर्ट द्वारा वेतन निर्धारण के लिए तय किए गए 10 मापदंडों के आधार पर लिपिक की 35400 की मांग पूरी तरह से जायज व तर्क संगत है। इसलिए मुख्यमंत्री के ओएसडी ने गलत बयानबाजी कर जो लिपिक वर्ग का अपमान किया है, इसका खामियाजा सरकार को हर हालत में भुगतना पड़ेगा।
लिपिक वर्ग की भावनाओं को देखते हुए व्यापक एकता एवं एक-दूसरे को मान-सम्मान देते हुए 35400 की मांग की अधिसूचना जारी होने तक आंदोलन जारी रखने का ऐलान किया है। मुख्यमंत्री के ओएसडी ने कहा कि पूर्व की सरकार के किसी फैसले को किसी भी सूरत में लागू नहीं करेगी। परन्तु हम जो कहेंगे, वह 100 प्रतिशत करेंगे। उसमें न का कोई मतलब नहीं है। कर्मचारी नेताओं ने कहा कि वे छठे वेतन आयोग में लिपिक की पंजाब के समान वेतनमान 10300/34800 ग्रेड पे 3200 रुपये से लेकर सातवें वेतन आयोग में पै-मैट्रिक्स लेवल-6 में 35400 की मांग पर कायम हैं। लिपिक के वेतन का मामला 2014 से पहले भाजपा के संज्ञान में है। इस बारे में विधानसभा की कार्रवाई देखी जा सकती है। उन्होंने कहा कि जब विपक्ष में रहते भाजपा विधायक दल के नेता व वर्तमान गृह मंत्री अनिल विज विधानसभा में इस मांग की वकालत किया करते थे।
सीएम से कई बार हो चुका विमर्श
हितेंद्र सिहाग ने कहा कि लिपिक के वेतन की मांग पर मुख्यमंत्री समेत सभी अधिकारियों से कई बार विमर्श हो चुका है। यहां तक कि माधवन आयोग व सरकार द्वारा गठित वेतन विसंगति कमेटी के समक्ष भी लिपिक के कार्य शैक्षणिक व योग्यता, भर्ती का तरीका व प्रतिस्पर्धा का स्तर मानसिक व शारीरिक श्रम, स्वयं अध्ययन, जनता के प्रति जवाबदेही, प्रति व्यक्ति आय, पदोन्नति के कम अवसर को प्रशासनिक तंत्र में काम के महत्व से जुड़े सभी दस्तावेजों की जांच-परख हो चुकी है। ओएसडी का यह बयान लिपिक की आंखों में धूल डालने जैसा है।