यमुनानगर से दिल्ली तक यमुना में होगा स्वच्छ जल
छठ महापर्व अब पूरे भारत में मनाया जाने लगा है। बिहार व उत्तर प्रदेश से शुरू हुई यह प्रथा धीरे-धीरे पूरे देश में चल रही है। यमुनानगर में भी बड़ी संख्या में बिहार व उत्तर प्रदेश, पूर्वांचल के लोग रहते हैं। यमुनानगर में पश्चिमी यमुना नहर के किनारे एक दर्जन से अधिक स्थानों पर यह पर्व हर्षोल्लास के साथ मनाया जाता है। पिछले कई दिनों से यमुनानगर नगर निगम के कर्मचारी यमुना के किनारों को साफ-सुथरा बनाने में जुटे हुए हैं। वहीं, श्रद्धालुओं ने भी यमुना के किनारे आकर तैयारी शुरू कर दी है। श्रद्धालुओं का मानना है कि विधिवत रूप से पूजा-अर्चना करने से जहां संतान की प्राप्ति होती है, सुख-समृद्धि प्राप्त होती है, वहीं समाज व प्रदेश का विकास होता है। श्रद्धालु पवन प्रताप यादव ने बताया कि 26 अक्तूबर को महिलाएं पकवान बनाकर खाएगी। उसके बाद 27 अक्तूबर को छिपते हुए सूर्य को अर्घ्य देकर यह व्रत आरंभ करेंगी। 28 अक्तूबर को उगते हुए सूर्य को अर्घ्य देकर यह व्रत समाप्त करेंगे। इस दौरान महिलाएं जल व अन का ग्रहण नहीं करेंगी। उन्होंने कहा कि विधिवत रूप से पूजा-अर्चना करने से सभी तरह की मनोकामनाएं पूर्ण होती हैं। माता कुंती और माता सीता ने भी यह व्रत रखे थे। सिंचाई विभाग के सुपरिंटेंडेंट इंजीनियर आरएस मित्तल ने बताया कि सरकार के आदेश पर यमुना की पिछले कई दिन से सफाई चल रही है। इस बार यमुना में दिल्ली तक स्वच्छ जल उपलब्ध होगा। छठ पूजा महोत्सव में महिलाएं विधिवत रूप से पूजा-अर्चना कर सकें, उन्हें किसी तरह की कोई दिक्कत का सामना नहीं करना पड़ेगा।
नगर निगम द्वारा यमुना किनारे इकट्ठा किए गए कूड़े में आग लगाने का मामला सामने आया है, जिससे आसपास के क्षेत्र में धुआं ही धुआं हो गया। आग क्यों और किसने लगाई इसकी जिम्मेवारी लेने को कोई तैयार नहीं है।
