अजय मल्होत्रा/हप्र
भिवानी, 11 जुलाई
स्कूली बच्चों के स्वास्थ्य की जांच के नाम पर बड़े घोटाले का पता चला है। जांच में स्कूली बच्चों को स्वास्थ्य सेवाएं मुहैया करवाने के नाम पर ट्रकों, मोटर साइकिलों व फर्जी गाड़ी नम्बरों के आधार पर स्वास्थ्य विभाग को करोड़ों रुपए का चूना लगाये जाने का मामला प्रकाश में आया है। जानकारों का कहना है कि अगर मामले की विस्तृत जांच होती है तो 2013 से लेकर 2019 तक लगभग 3 से 4 करोड़ रुपए का घोटाला सामने आयेगा।
ईंट-भट्ठों व स्कूलों में बच्चों की स्वास्थ्य जांच के लिए लगाए गए 21 वाहनों में से 5 वाहनों का तो आरटीए कार्यालय में रजिस्ट्रेशन का रिकार्ड तक नहीं मिला। ट्रक, ट्रैक्टर, बाइक, स्कूटी, ऑटो भी फर्जी तरीके से दिखाये गए हैं। स्वास्थ्य विभाग में 2013 से 2019 तक छह साल कागजों में फर्जी नम्बरों पर गाड़ियों को दौड़ाया गया है। स्वास्थ्य विभाग के अधिकारी कई करोड़ रुपए के घोटाले की आशंका जता रहे हैं।
मुख्य चिकित्सा अधिकारी ने विस्तृत जांच रिपोर्ट स्वास्थ्य विभाग के महानिदेशक को भेज दी है। अगर मामले की उच्च स्तरीय जांच होती है तो यह मामला विभिन्न नगर परिषदों में हुए घोटालों से कही कम नहीं होगा। मुख्य चिकित्सा अधिकारी ने आरटीए कार्यालय को 21 वाहनों के नम्बरों की एक सूची भेजकर उनसे इनके मालिकों की जानकारी भी मांगी है। इससे पहले ही कुछ वाहन मालिक तो इस बात से इंकार कर चुके हैं कि उनका स्वास्थ्य विभाग से कोई लेना देना है।
स्वास्थ्य विभाग की एक उच्च स्तरीय जांच टीम ने ऐसे तथ्य उजागर किये हैं जो कि चौंकाने वाले हैं। दो ट्रांसपोर्ट कम्पनियों को बिना टेंडर ही लगभग 10 लाख रुपए के बिलों का भुगतान कर दिया गया जबकि टेंडर की प्रक्रिया बाद में पूरी की गई।
गौरतलब है कि हरियाणा सरकार ने स्कूली बच्चों की सेहत जांचने के लिए राष्ट्रीय स्वास्थ्य मिशन के तहत स्कूल हेल्थ नामक एक योजना वर्ष 2013 में शुरू की थी। इसके तहत स्वास्थ्य विभाग द्वारा स्कूलों में जाकर नौनिहालों के स्वास्थ्य की जांच करनी थी। इस योजना के तहत स्वास्थ्य विभाग की टीमों को शहर व ग्रामीण आंचल में जाकर बच्चों के स्वास्थ्य की जांच का जिम्मा दिया गया। इन टीमों में एक चिकित्सक, एक फार्मासिस्ट, एक नर्स और एक चपरासी शामिल थे। इन टीमों के आने जाने के लिए एसी कमर्शियल वाहनों को किराये पर लिया जाना था।
टीमें स्कूलों में जायें या न जायें लेकिन इन टीमों को ट्रांसपोर्ट के जरिये भेजने का गोरखधंधा जरूर चलता रहा। मामले को लेकर सामाजिक कार्यकर्ता राज कुमार ने मुख्यमंत्री मनोहर लाल को दिसंबर, 2021 में एक शिकायत भेजी थी। शिकायत पर कार्रवाई करते हुए मुख्यमंत्री कार्यालय ने भिवानी के मुख्य चिकित्सा अधिकारी से रिपोर्ट तलब की। मुख्य चिकित्सा अधिकारी ने मामले की जांच के लिए चिकित्सकों की तीन सदस्यीय कमेटी गठित की जिसका नेतृत्व उपमुख्य चिकित्सा अधिकारी डा. कृष्ण कुमार कर रहे थे। उच्च स्तरीय कमेटी ने 23 जून, 2022 को अपनी रिपोर्ट स्वास्थ्य विभाग के महानिदेशक को प्रेषित कर दी है। जांच रिपोर्ट में कहा गया है कि मैसर्ज बालाजी एवं मैसर्ज तिरुपति नाम की ट्रेवल एजेंसियों को 14 जनवरी, 2014 को ट्रांसपोर्ट का ठेका दिया गया। रिपोर्ट में कहा गया है कि दस्तावेजों के अवलोकन के दौरान पाया गया कि योजना के उच्च अधिकारी के परिजनों को लाभ पहुंचाने के लिए नियमों को ताक पर रखकर इनके परिजनों की एजेंसियों को ट्रांसपोर्ट टेंडर अलॉट कर दिये गए। जांच में सामने आया है कि स्कूल हेल्थ के नाम पर बालाजी ट्रेवल एजेंसी को 90 लाख रुपए तथा तिरुपति टूर एंड ट्रेवलिंग एजेंसी को 36 लाख रुपए का भुगतान किया गया है। हेल्थ ट्रेवलिंग के नाम पर कुल 1 करोड़ 26 लाख रुपए का भुगतान हुआ है। अन्य भुगतान भी जांच के दायरे में हैं। जांच कमेटी ने जब ट्रांसपोर्ट कम्पनियों द्वारा दर्शाये वाहनों के नम्बरों की जांच की तो पता चला कि इस्तेमाल किये गए वाहनों में एक ट्रक, एक रोडवेज बस, स्कूटी, मोटरसाईकिल, टैंपो, थ्री-व्हीलर आदि शामिल हैं। जिन कारों को टैक्सी के रूप में दर्शाया गया है उनमें से दो के मालिकों ने तो यह भी लिखकर दे दिया कि उनका न तो भुगतान पाने वाली ट्रांसपोर्ट कम्पनियों से कोई सम्बंध है और न ही उन्होंने अपनी गाड़ियां किसी को किराये पर दीं।
सर्विस टैक्स नंबर के बिना ही अलाॅट कर दिया काम
मजेदार बात तो यह है कि टेंडर कार्य 14 जनवरी, 2014 को आवंटित किया गया जबकि दोनों कम्पनियों ने सर्विस टैक्स नम्बर 22 जनवरी, 2014 व 24 जनवरी, 2014 को प्राप्त किया। टेंडर में स्पष्ट कहा गया था कि टेंडर दाखिल करने की तिथि 6 जनवरी से पहले कम्पनी के पास सर्विस टैक्स नम्बर होना अनिवार्य है। जांच में ट्रांसपोर्ट कम्पनियों को भुगतान में भी अनियमितताएं पाई गई हैं। दोनों ट्रांसपोर्ट कम्पनियों के लगभग 10 लाख रुपए के ऐसे बिल हैं जिनका भुगतान तो पहले कर दिया गया और टेंडर उन्हें बाद मेें अलॉट किया गया।
क्या कहते हैं मुख्य चिकित्सा अधिकारी
भिवानी के मुख्य चिकित्सा अधिकारी डा. रघुबीर शांडिल्य का कहना है कि मुख्यमंत्री कार्यालय से प्राप्त शिकायत के बाद तीन डाक्टरों पर आधारित कमेटी से मामले की जांच करवाकर इसकी रिपोर्ट उच्च अधिकारियों को आवश्यक कार्रवाई के लिए भेज दी गई है। उन्होंने जांच रिपोर्ट पर सहमति प्रकट करते हुए कहा कि यह रिपोर्ट सीएम विंडो पर भी अपडेट कर दी गई है।