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बच्चे सुनेंगेे दादी के किस्से, नानी की कहानी

संस्कार और व्यवहार कुशलता पैदा करने की पहल: मौलिक शिक्षा विभाग ने किया गृहकार्य में बदलाव
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जितेंद्र अग्रवाल/हप्र

अम्बाला शहर, 5 जनवरी

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जितेंद्र अग्रवाल/हप्र

अम्बाला शहर, 5 जनवरी

इस बार प्रदेश के पहली से पांचवीं कक्षा तक के छात्र शीतकालीन अवकाश में लिखित व याद करने के गृहकार्य के साथ-साथ दादी के किस्से सुनेंगे और उन्हें सुननी होगी नानी की कहानी।

इस दौरान बच्चे पुराने रीति रिवाजों के बारे में भी सीखेंगे। इसके लिए राजकीय विद्यालयों में संबंधित विद्यार्थियों के शीतकालीन अवकाश के गृहकार्य में बदलाव किया गया है। इसके बाद अब गृहकार्य में बच्चों का केवल लिखित कार्य और रट्टा मारने से काम नहीं चलेगा।

बच्चों को अपने बुजुर्गों के साथ वक्त गुजारना होगा और दादा-नाना से उनके जमाने के किस्से सुनने होंगे। इतना ही नहीं यह पुरातन संस्कृति से बच्चों को अवगत कराने का प्रयास है ताकि बच्चे अपने पारिवारिक इतिहास को जान सकें। मौलिक शिक्षा विभाग की ओर से बच्चों को संस्कारवान बनाने के लिए यह कदम उठाया गया है।

मौसम का भी रखेंगे ध्यान

नए नियमों के अनुसार इन विद्यार्थियों को शीतकालीन अवकाश के दौरान घर में लगे बिजली के मीटर की प्रतिदिन की रीडिंग जांचनी होगी। हर दिन सूर्योदय और सूर्यास्त के समय को नोट करना होगा। इन 15 दिनों में 1 दिन में कितने घंटे धूप निकली इसकी गणना करनी होगी। यही नहीं रसोईघर में उपलब्ध बर्तनों के नाम, संख्या, आकार, धातु का नाम विद्यार्थियों को पता करना होगा। आटा, दालें और अन्य खाद्य सामग्री की पहचान भी विद्यार्थियों को करनी होगी। इन सबके अलावा छुट्टियों के दौरान मोबाइल फोन और टीवी का प्रयोग एक दिन के लिए न करना आदि कार्य गृहकार्य से इत्तर होगा जो उन्हें करना होगा।

ये कार्य करने के भी निर्देश

विभाग की ओर से जारी आदेशों में कहा गया है कि शीतकालीन अवकाश में संबंधित विद्यार्थियों को रोज़ाना अखबार पढ़ना होगा। इलके अलावा घर के छोटे-मोटे काम, जैसे बिस्तर समेटना, कपड़ों के तह लगाना, योग व सूर्य नमस्कार करना, बुजुर्गों के साथ उनकी पसंदीदा फिल्में व धारावाहिक देखने को कहा गया है। इसके अलावा पिता की मोटरसाइकिल और साइकिल कितने किलोमीटर चलती है, इसकी दूरी लिखना, नहाने वाले साबुन का नाम, नमकीन, बिस्कुट, टॉफी, चॉकलेट का नाम लिखना, घर में रखी वस्तुओं के नाम लिखना, दादा-दादी और नाना-नानी के साथ फैमिली ट्री बनाना सीखना होगा।

खाली समय के दौरान बुजुर्गों के पैर दबाना, कम से कम एक भजन या प्रार्थना याद करना, 5 चुटकुले याद करना और कैरम, लूडो आदि खेलना, परिवार की आयु का जोड़ करना, झाड़ू, पोंछा, सब्जी और सलाद काटने में परिवार की सहायता करना, घर के कमरों और आंगन की लंबाई और चौड़ाई नापना, सब्जी मंडी में माता पिता के साथ जाना, 10 सब्जियों के रेट कॉपी में लिखना जरूरी होगा।

इस बार शीतकालीन अवकाश में दिए जाने वाले गृहकार्य में शिक्षा विभाग द्वारा आमूल चूल बदलाव किया गया है। बच्चों को संस्कारवान बनाने, उनमें व्यवहारकुशलता और परिवार से जुड़ाव पैदा करने के उद्देश्य से इसकी पहल की गई है। कालांतर में विभाग की इस पहल से बच्चों के व्यक्तित्व विकास में लाभ मिलेगा।

-सुधीर कालड़ा, जिला मौलिक शिक्षा अधिकारी अम्बाला

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