खेल-खेल में बच्चे काम की बातें बेहतर तरीके से सीखते हैं : विजय चावला
आरोही स्कूल ग्योंग कैथल में कार्यरत हिंदी प्राध्यापक डॉ. विजय कुमार चावला ने राष्ट्रीय शिक्षा नीति-2020 के तहत खेल-खेल में भाषा ज्ञान को मद्देनजर रखते हुए हिंदी भाषायी दक्षताओं को विकसित करने हेतु नवाचारी खेल गतिविधियों का पिटारा तैयार...
आरोही स्कूल ग्योंग कैथल में कार्यरत हिंदी प्राध्यापक डॉ. विजय कुमार चावला ने राष्ट्रीय शिक्षा नीति-2020 के तहत खेल-खेल में भाषा ज्ञान को मद्देनजर रखते हुए हिंदी भाषायी दक्षताओं को विकसित करने हेतु नवाचारी खेल गतिविधियों का पिटारा तैयार किया है। इस खेल पिटारा में बिंगो खेल, सांप-सीढ़ी का खेल, शतरंज, भूलभुलैया खेल, कार्ड का खेल, हमें हमारे परिवार से मिलाओ खेल, वर्ग पहेली का खेल, शब्द पिटारा का खेल, पासे का खेल, टिक-टैक-टो का खेल, बूझो तो जानें खेल, शब्द सीढ़ी का खेल, शब्द अंताक्षरी के खेल शामिल किए गए हैं। डॉ. विजय चावला ने बताया कि खेल-खेल में भाषा ज्ञान का अर्थ है खेलों के माध्यम से भाषा सिखाना। यह बच्चों को शब्दावली, संवाद कौशल और व्याकरण को मजेदार और स्वाभाविक तरीके से सीखने में मदद करता है। इस प्रक्रिया में भाषा सीखने के लिए खेल आधारित और अनुभवात्मक तरीकों का उपयोग किया जाता है, जिससे विद्यार्थियों का भाषा कौशल और रचनात्मकता बेहतर हो सके। आज विद्यालय के हिंदी भाषा लैब में भाषा सीखने को एक मजेदार और आकर्षक प्रक्रिया बनाते हुए उन्होंने नवाचारी खेल गतिविधियों के खेल पिटारा में से हमें हमारे परिवार से मिलाओ खेल, शतरंज, भूलभुलैया खेल व शब्द पिटारा खेल का सफल प्रयोग किया। कक्षा सातवीं और आठवीं के विद्यार्थियों ने तनावमुक्त और प्राकृतिक वातावरण में अपनी शब्दावली का विकास किया। उन्होंने नए-नए शब्दों के बारे में जाना। शब्द पिटारा खेल के माध्यम से संबंधित शब्दों को उनके परिवार से मिलाया और शतरंज भूलभुलैया खेल के माध्यम से संज्ञा, सर्वनाम, विशेषण, क्रिया और अव्यय शब्दों के बारे में छात्रों ने अपना ज्ञान बढ़ाया।

