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‘शेर-ए-पंजाब’ सम्मान से सम्मानित हुए मुख्यमंत्री नायब सिंह सैनी

सिख परंपरा के आदर्शों को आगे बढ़ाने का लिया संकल्प

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चंडीगढ़ में सोमवार को आयोजित समारोह में मुख्यमंत्री नायब सैनी को पुरस्कार से सम्मानित करते ग्लोबल पंजाबी एसोसिएशन के पदाधिकारी। 
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मुख्यमंत्री नायब सिंह सैनी को सोमवार को ग्लोबल पंजाबी एसोसिएशन द्वारा प्रतिष्ठित ‘शेर-ए-पंजाब महाराजा रणजीत सिंह पुरस्कार’ से सम्मानित किया गया। यह सम्मान उन्हें सामाजिक सौहार्द, सिख समुदाय के कल्याण और प्रेरणादायी नेतृत्व के लिए प्रदान किया गया। मुख्यमंत्री ने यह सम्मान चंडीगढ़ के टैगोर थियेटर में आयोजित समारोह में ग्रहण किया।

इस अवसर पर उन्होंने कहा कि यह सम्मान केवल उनके लिए नहीं, बल्कि हरियाणा के उस समाज के लिए है जो गुरु परंपरा की शिक्षाओं पर चलकर मानवता और एकता का संदेश देता है। कार्यक्रम में मुख्यमंत्री ने ग्लोबल पंजाबी एसोसिएशन के मुख्य संरक्षक डॉ़ इकबाल सिंह लालपुरा द्वारा लिखित हिंदी पुस्तक ‘तिलक जंजू का राखा’ का विमोचन किया। यह पुस्तक नौवें सिख गुरु श्रीगुरु तेग बहादुर के जीवन, यात्राओं और उनके सर्वोच्च बलिदान पर आधारित है।

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मुख्यमंत्री ने कहा कि यह पुस्तक आने वाली पीढ़ियों को गुरुओं के आदर्शों और सिद्धांतों की याद दिलाती रहेगी। उन्होंने कहा कि गुरु तेग बहादुर जी ने न केवल धर्म की रक्षा की, बल्कि संपूर्ण मानवता के लिए बलिदान दिया। उनका जीवन साहस, सेवा और सत्य का प्रतीक है।

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मानवता की रक्षा के लिए दिया सर्वोच्च बलिदान

मुख्यमंत्री सैनी ने श्रीगुरु तेग बहादुर के अद्वितीय बलिदान को याद करते हुए कहा कि जब औरंगजेब के जुल्मों के दौर में धर्म पर संकट आया, तब गुरु जी ने निडर होकर सत्य और न्याय की राह चुनी। उन्होंने कहा कि जब कश्मीरी पंडित अपने धर्म की रक्षा के लिए शरण में आए, तो गुरु जी ने कहा कि यदि कोई महापुरुष अपना बलिदान दे, तभी धर्म बचेगा। तब उनके बालक पुत्र गोबिंद राय ने कहा – ‘पिता जी, आपसे बड़ा महापुरुष कौन?’ और गुरुजी ने धर्म की रक्षा के लिए अपना शीश कुर्बान कर दिया। मुख्यमंत्री ने उस साहसिक प्रसंग का भी उल्लेख किया जब भाई जैता गुरु जी का शीश लेकर श्री आनंदपुर साहिब पहुंचे और उनके शिष्य कुशाल ने अपना शीश बलिदान में दे दिया। उन्होंने कहा कि यह कथा केवल इतिहास नहीं, बल्कि हमारी संस्कृति की आत्मा है।

मनाया जा रहा ‘वीर बाल दिवस’

मुख्यमंत्री सैनी ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की पहल की सराहना करते हुए कहा कि ‘आजादी का अमृत महोत्सव’ के दौरान गुरु तेग बहादुर जी के 400वें प्रकाश वर्ष को देशभर में मनाया गया। प्रधानमंत्री ने दशम पातशाह श्रीगुरु गोबिंद सिंह जी के साहिबजादों जोरावर सिंह और फतेह सिंह के शहीदी दिवस को ‘वीर बाल दिवस’ के रूप में मनाने की परंपरा शुरू की। उन्होंने कहा कि यह भारत की आने वाली पीढ़ियों को अपने संस्कारों से जोड़े रखने की दिशा में ऐतिहासिक कदम है।

हरियाणा की भूमि का गुरुओं से गहरा नाता

मुख्यमंत्री ने कहा कि हरियाणा की पावन धरा का सिख गुरुओं से गहरा संबंध रहा है। प्रथम पातशाह श्रीगुरु नानक देव जी से लेकर दशम पातशाह श्री गुरु गोबिंद सिंह जी तक सभी गुरुओं ने इस प्रदेश में अपनी चरणधूलि दी। उन्होंने बताया कि प्रदेश के 30 से अधिक स्थान ऐसे हैं, जहां गुरुओं के आगमन की स्मृति में गुरुघर स्थापित हैं। हरियाणा सरकार ने गुरु परंपरा से प्रेरणा लेकर समाज सेवा और लोककल्याण के कई कार्य किए हैं। मुख्यमंत्री सैनी ने कहा कि उनकी सरकार ने सिख समुदाय की लंबे समय से चली आ रही मांग को पूरा करते हुए दिसंबर 2022 में हरियाणा सिख गुरुद्वारा प्रबंधन समिति का गठन किया। उन्होंने बताया कि सिरसा के गुरुद्वारा श्रीचिल्ला साहिब को 70 कनाल भूमि स्थानांतरित की गई, वहीं यमुनानगर मेडिकल कॉलेज का नाम ‘हिंद की चादर श्रीगुरु तेग बहादुर सिंह जी’ के नाम पर रखा गया। असंध कॉलेज का नाम बाबा फतेह सिंह जी और लखनौर साहिब के कॉलेज का नाम माता गुजरी जी के नाम पर रखा गया है।

गुरु परंपरा से प्रेरित शासन की दिशा

मुख्यमंत्री ने कहा कि हम विज्ञान और एआई के युग में जी रहे हैं, लेकिन ऐसे समय में भी गुरु तेग बहादुर जी जैसे महापुरुषों के उपदेश पहले से अधिक प्रासंगिक हैं। उन्होंने कहा कि हरियाणा सरकार गुरु परंपरा से प्रेरित होकर सेवा भाव से सर्वसमाज के कल्याण के कार्य कर रही है। इस अवसर पर गोस्वामी सुशील महाराज, महारानी उमा सिंह (नाभा), मुख्यमंत्री के ओएसडी वीरेंद्र बड़खालसा, कुलवंत सिंह धालीवाल और ग्लोबल पंजाबी एसोसिएशन के पदाधिकारी सहित अनेक गणमान्य व्यक्ति उपस्थित रहे।

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