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चरचा हुक्के पै

गुटबाजी के बीच शक्ति  प्रदर्शन कांग्रेस नेता राहुल गांधी की ‘क्लास’ का फिलहाल तो प्रदेश कांग्रेस के नेताओं पर कोई असर होता नहीं दिख रहा है। सभी गुट अपने-अपने हिसाब से ताकत दिखाने में जुटे हैं। रविवार को कांग्रेस के...
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गुटबाजी के बीच शक्ति  प्रदर्शन

कांग्रेस नेता राहुल गांधी की ‘क्लास’ का फिलहाल तो प्रदेश कांग्रेस के नेताओं पर कोई असर होता नहीं दिख रहा है। सभी गुट अपने-अपने हिसाब से ताकत दिखाने में जुटे हैं। रविवार को कांग्रेस के ग्रुप-एसआरके यानी कुमारी सैलजा, रणदीप सिंह सुरजेवाला और किरण चौधरी ने एसईटी सहित युवाओं से जुड़े कई मुद्दों को लेकर कैथल में बड़ा रोष प्रदर्शन किया। हालांकि सैलजा छत्तीसगढ़ में व्यस्त होने की वजह से नहीं आ पाईं, लेकिन अपने समर्थकों को भेजकर और नहीं आ पाने का ट्वीट करके उन्होंने संदेश दे दिया कि वे साथ हैं और मजबूरीवश नहीं आ सकी। वहीं सांघी वाले ताऊ का खेमा 20 अगस्त को हिसार में होने वाले ‘विपक्ष आपके समक्ष’ कार्यक्रम को लेकर पूरा जोर लगा रहा है। अपने ‘दीप्पू’ भाई ने पूरा मोर्चा संभाला हुआ है। चूंकि यह सेकेंड लास्ट ‘विपक्ष आपके समक्ष’ कार्यक्रम है, ऐसे में इसमें पुराने रिकार्ड तोड़ने की कोशिश हो रही है। इससे पहले चौ. बंसीलाल का गढ़ कहे जाने वाले भिवानी-महेंद्रगढ़ में सफल आयोजन कर चुका यह खेमा अब चौ. भजनलाल के प्रभाव वाले एरिया में सियासी ताकत दिखाने को बेचैन है। कह सकते हैं कि फिलहाल प्रदेश कांग्रेसियों के सुर एक होने के आसार दूर-दूर तक नहीं हैं।

दो विधायक आए डेंजर जोन में

अहीरवाल में एक साथ भाजपा के दो सिटिंग विधायकों की टेंशन बढ़ गई है। दक्षिण हरियाणा के सबसे बड़े ‘चौधरी’ अपनी बेटी को राजनीति में स्थापित करने की कोशिश काफी गंभीरता के साथ शुरू कर चुके हैं। ‘बहनजी’ भी पूरे जोर-शोर से नारनौल और अटेली हलके में सक्रिय हैं। किसी भी एक सीट से चुनाव लड़ने की तैयारी है। पिछले दिनों अहीरवाल में हुई जनसभा में ‘बहनजी’ ने एक विधायक को उनकी उम्र का हवाला देते हुए कह दिया कि अब उन्हें युवाओं को मौका देना चाहिए। यानी नेताजी की टिकट चुनाव से सवा साल पहले ही करीब-करीब कट गई है। वहीं साथ लगते अटेली हलके के विधायक की टेंशन भी इसलिए बढ़ी हुई है कि अगर ‘बहनजी’ यहां से चुनावी मैदान में आ गई तो उनकी टिकट पर भी बड़ा संकट होगा। यानी भाजपा के दो विधायक बैठे-बिठाए ‘डेंजर जोन’ में आ गए हैं।

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पंडितजी के दोहरे ख्वाब

कांग्रेस वाले बड़े पंडितजी और अपने सांघी वाले ताऊ के खासमखास की आंखों में इन दिनों दोहरे ख्वाब हैं। ताऊ की सरकार में सबसे बड़ी ‘कुर्सी’ पर बैठ चुके नेताजी को उनके समर्थक राजनीति का ‘चाणक्य’ भी बताते हैं। कहते हैं कि बेटे के लिए लोकसभा टिकट के जुगाड़ में लगे नेताजी साथ-साथ यह भी चाहते हैं कि उनके बेटे को जिलाध्यक्ष बनाया जाए। वहीं कांग्रेस की तिकड़ी के समर्थकों में गिने जाने वाले ललित बुटाना ने लोकसभा टिकट की दावेदारी करके मुश्किलें बढ़ाने का काम कर दिया है। इतना ही नहीं, नेशनल हाईवे पर लगाए बड़े-बड़े होर्डिंग्स में कुमारी सैलजा का बड़ा फोटो लगातार स्पष्ट कर दिया है कि वे किस गुट के साथ हैं। होर्डिंग में सांघी वाले ताऊ से पहले रणदीप सुरजेवाला और किरण चौधरी के फोटो लगाकर स्पष्ट कर दिया है कि वे कांग्रेस की ‘तिकड़ी’ के भरोसे इस मुहिम को आगे बढ़ाने वाले हैं। अब पंडितजी की ‘चाणक्य नीति’ कितनी कारगर होती है, इस पर सभी की नजरें लगी हैं।

कोर्ट से निजात मिली तो ईडी पड़ी पीछे

‘जहाज वाले नेताजी’ अचानक से बड़ी मुश्किल में फंस गए हैं। एयर होस्टेस गीतिका शर्मा सुसाइड केस में कोर्ट से बरी होने के बाद नेताजी को दो दिन का चैन भी नसीब नहीं हुआ था कि ईडी वाले पीछे पड़ गए। 21 घंटे तक नेताजी के प्रतिष्ठानों पर ईडी की छापेमारी जारी रही। कोर्ट से बरी होने के बाद नेताजी को लगा था कि अब खुलकर राजनीति करेंगे। भाजपा को समर्थन भी दिया हुआ है। उनकी पार्टी एनडीए का हिस्सा भी है। अपने ‘काका’ के साथ भी करीबी रिश्ते हैं। इसके बाद भी ईडी की कार्रवाई झेल रहे नेताजी के समर्थकों में भी बेचैनी है। कहने वाले कह रहे हैं कि केवल ऊपरी तौर पर भाजपाइयों ने जहाज वाले नेताजी के साथ मीठे रिश्ते बनाए हुए हैं। वहीं अंदरखाने अलग ही सियासी बिसात बिछाई हुई है। अब नेताजी एकाएक आई इस बड़ी मुश्किल से कैसे बाहर निकलेंगे, यह कौतुक का विषय हो गया है।

गुर्जर को हराने के लिए दोहरे दावेदार

फरीदाबाद संसदीय सीट पर दोहरी दावेदारी ने एक नेताजी काे सिरदर्द दे दिया है। बड़ी बात यह है कि इस सीट पर टिकट के लिए दावा ठोकने वाले दोनों ही नेताओं की गिनती सांघी वाले ताऊ के नजदीकियों में होती है। एक पूर्व मंत्री को जहां उम्मीद है कि इस बार उनका लोकसभा चुनाव लड़ने का सपना पूरा हो जाएगा। उन्हें करीबी ‘रिश्तेदारी’ से भी काफी उम्मीदें हैं। वहीं दूसरे ‘चौधरी’ ताऊ की सरकार में कैबिनेट मंत्री रह चुके हैं। गुर्जर समाज में अच्छी पैठ भी है। उन्होंने दावा ठोकते हुए दो-टूक कह दिया है कि भाजपा के कृष्णपाल गुर्जर को हराने का दमखम वहीं रखते हैं। उनकी दलील है कि अगर पार्टी ने जीत के हिसाब से टिकट दी तो वे सबसे मजबूत दावेदार साबित होंगे। इन नेताजी का ‘प्रताप’ कितना असर करता है, इसको लेकर चर्चाएं सरगर्म हैं।

जीत पड़ेंगे शत्रुओं पर भारी !

हरियाणा पुलिस के नये ‘टाइगर’ का इंतजार अब खत्म होने को है। यूपीएससी से तीन आईपीएस का पैनल सरकार के पास पहुंच चुका है। तीनों अधिकारियों में से किसी को भी डीजीपी बनाने के अधिकार सरकार के पास हैं। इस तरह की चर्चाएं सियासी और प्रशासनिक गलियारों में हैं कि ‘जीत’ अपने ‘शत्रुओं’ पर भारी पड़ सकते हैं। वैसे कोशिशें पंडितजी भी पूरी तमन्यता के साथ कर रहे हैं। आखिरी फैसला ‘काका’ को करना है। अब ‘काका’ की पसंद-नापसंद के बारे में अधिकांश लोगों को पहले से ही पता है। वहीं ब्यूरोक्रेसी के कुछ लोग खुश हैं कि ‘शत्रु’ से जल्द उन्हें निजात मिल सकती है। दूसरी ओर, ‘खाकी’ वाले भाई लोगों में अजब ही बेचैनी देखने को मिल रही है। कहने वाले यह भी कह रहे हैं कि ‘संभावित’ नये ‘टाइगर’ की ‘पसंद-नापसंद’ काफी स्ट्राॅन्ग है। ‘बोल्ड’ फैसलों की वजह से जहां चाहने वाले हैं तो ना-पसंद करने वालों की भी कमी नहीं है। गेंद ‘काका’ के पाले में है और वे कभी भी अपना फैसला सुना सकते हैं।

कुछ बड़ा मिलेगा

सीएमओ के ‘किंग’ रह चुके ‘बड़े बाबू’ इसी माह रिटायर हो रहे हैं। जब तक सीएमओ में रहे, फैसले लेने में देरी नहीं की। ‘काका’ का काम काफी कम कर दिया था। जरूरी और गंभीर मसलों को लेकर ही ‘काका’ के साथ चर्चा करते थे। रुटीन के कार्यों की फाइलें लटकने नहीं दी। रिटायरमेंट के बाद इन ‘बड़े बाबू’ को कुछ बड़ा ही मिलने की उम्मीद है। चर्चाएं इस तरह की भी हैं कि ‘बड़े बाबू’ की फिर से सीएमओ में ‘ताजपोशी’ हो सकती है। वैसे साहब इन दिनों अध्यात्म को लेकर काफी संजीदा हैं। जीवन और मृत्यु को लेकर उनका ज्ञान गजब का है। बहरहाल, पूरी ब्यूरोक्रेसी और कई सफेदपोशों की नजर इस बात पर टिकी है कि रिटायरमेंट के बाद ‘बड़े बाबू’ किस बड़े ओहदे पर आते हैं।

-दादाजी

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