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सीईटी : रिजल्ट से पहले धड़कनें तेज, नॉर्मलाइजेशन फॉर्मूला बदलेगा स्कोर

हरियाणा कर्मचारी चयन आयोग ने मांगे कानूनी सुझाव, ठगी से बचने की अपील
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हरियाणा के 13 लाख से ज्यादा युवाओं का भविष्य तय करने वाला ग्रुप-सी का सीईटी रिजल्ट अब नॉर्मलाइजेशन फॉर्मूले से गुजरेगा। इस फॉर्मूले के जरिए हरियाणा स्टाफ सिलेक्शन कमीशन (एचएसएससी) चार अलग-अलग शिफ्टों में हुए पेपर की कठिनाई के हिसाब से अंकों को बराबरी पर लाएगा। लेकिन इस तकनीकी प्रक्रिया से अभ्यर्थियों का रॉ-स्कोर और फाइनल स्कोर अलग हो सकता है। यही वजह है कि रिजल्ट से पहले ही युवाओं में जिज्ञासा और चिंता दोनों है। आयोग चेयरमैन हिम्मत सिंह ने शुक्रवार को सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म एक्स पर लिखा, ‘नॉर्मलाइजेशन को लेकर आपके पास कानूनी तौर पर मान्य कोई अच्छा सुझाव है तो भेजें। आयोग विचार करेगा। हम भरोसा दिलाते हैं कि नॉर्मलाइजेशन के बाद किसी को शिकायत का मौका नहीं मिलेगा।’ यह पहला मौका है, जब कमीशन ने इस प्रक्रिया पर अभ्यर्थियों से ओपन सुझाव मांगे हैं।

युवाओं को चेतावनी, कोर्ट केस के नाम पर न फंसें

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चेयरमैन ने युवाओं को एक और बड़ी सलाह दी है कि कोर्ट केस के नाम पर पैसे वसूलने वाले दलालों से सावधान रहें। उन्होंने कहा कि कई शिकायतों में पाया गया कि कुछ लोग 500-600 रुपये लेकर केस फाइल करने का दावा करते हैं, लेकिन न तो केस ठोस आधार पर होता है, न ही उसका कोई नतीजा निकलता है। कभी-कभी तो पैसे लेकर केस किया ही नहीं जाता और अभ्यर्थियों के हजारों-लाखों रुपये डूब जाते हैं। चेयरमैन ने कहा कि किसी भी निर्णय से पहले सोचें, ताकि समय और पैसा दोनों बचें।

स्कोर घट भी सकता है, बढ़ भी

नॉर्मलाइजेशन का सीधा असर उम्मीदवारों की रैंकिंग और मेरिट लिस्ट पर पड़ेगा। अगर किसी शिफ्ट का पेपर अपेक्षाकृत आसान था तो स्कोर घट सकता है, और अगर कठिन था तो स्कोर बढ़ सकता है। 2022 में भी यह फॉर्मूला सीईटी में लागू हुआ था, लेकिन विरोध इतना बढ़ा कि पंचकूला में हरियाणा कर्मचारी चयन आयोग दफ्तर के बाहर धरना तक देना पड़ा। उस समय युवाओं की मांग थी – एक पद के लिए एक ही पेपर हो, ताकि तुलना सीधी हो सके।

ग्रुप-डी के सीईटी की भी तैयारी

चयन आयोग ने ग्रुप-डी के लिए सीईटी कराने की घोषणा भी कर दी है। युवाओं को सलाह दी है कि वे अभी से अपने सभी डॉक्यूमेंट और सर्टिफिकेट तैयार रखें और रजिस्ट्रेशन फॉर्म खुद भरें। पिछले ग्रुप-सी रजिस्ट्रेशन में देखा गया कि किसी और से फॉर्म भरवाने पर गलतियां हुई और कई उम्मीदवार परीक्षा से वंचित रह गए।

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