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सदियों पुराना शिवलिंग, गणेश एवं विष्णु की मिलीं मूर्तियां

फतेहाबाद के कर्ण कोट टीले के नीचे दबा है 15 शताब्दियों का इतिहास

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फतेहाबाद में कर्ण कोट टीले से मिली देवताओं की मूर्तियां। -हप्र
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मदन लाल गर्ग/हप्र

फतेहाबाद, 4 फरवरी

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फतेहाबाद के भूना के पास गांव भट्टू बुवान में 4700 साल पुरानी हड़प्पा काल से लेकर 15वीं शताब्दी तक का इतिहास दबा पड़ा है। क़रीब डेढ़ से दो किलोमीटर के क्षेत्र में फैला टीला पता नहीं कितना इतिहास अपने नीचे संजोये है। जब इसकी खुदाई शुरू होगी तो पता नहीं कितनी सभ्यताएं मिलें। जानकार इसे महाभारत में वर्णित तोशाना नगर भी बताते हैं, जिस पर पांडव पुत्र नकुल ने हमला किया था।

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जानकारों के मुताबिक तोशाना 1763 ईस्वी तक बड़ा राजस्व जिला था, लेकिन अफसोस की बात कि पुरातत्व विभाग ने आज तक इसकी खुदाई करवाना तो दूर, इसके संरक्षण तक के इंतजाम नही किए। विभाग ने मात्र एक गार्ड की ड्यूटी लगाकर अपने कर्तव्य की इतिश्री कर ली। अब एक महीने से गार्ड भी नहीं है। कुछ समय पहले यहां से कुछ नंद वंश के सिक्के भी मिले थे, सरकारी खजाने तक आधे सिक्के पहुंचे, बाकी आधे अब भी रिकवर करने के प्रयास किये जा रहे हैं।

यहां से मिले कुंए की ईंट एक से डेढ़ फुट की है, जिसे अब मिट्टी डालकर बंद कर दिया गया है। कुछ समय पहले यहां एक तलवार मिली थी, जो एक ग्रामीण के घर में है। अभी हाल ही में गांव भट्टू के कर्ण कोट टीले से पौराणिक मूर्तियां मिली हैं। इनमें भगवान श्री गणेश की एक खंडित मूर्ति मिली है, जो अष्टधातु से निर्मित बताई जा रही है। यह मूर्ति 650वीं ईसवी शताब्दी की बताई जा रही है। इसके अलावा इसी टीले से 11वीं शताब्दी का भगवान विष्णु का विग्रह मिला है।

इसके अलावा कुछ समय पहले यहां से शिवलिंग मिला था, जिस पर पानी के कारण बने निशान हैं। यहां से मिली श्री कृष्ण जी की मूर्ति का चेहरा खंडित है, लेकिन उनका बाल रूप में कालिया नाग व मोर पंख सही नजर आता है। पुराने मंदिर का डमी मॉडल भी मिला है। टीले पर एंग्लो-सिख युद्ध के समय के तोप के गोले सैकड़ों की संख्या में आज भी मिल रहे हैं।

गांव के ही खोजकर्ता, इतिहासकार, शोधकर्ता सेफ्टी इंजीनियर अजय बिरोका फिलहाल इन टीलों पर पुराने इतिहास को खोजने का प्रयास करते रहते हैं, या फ़िर किसी किसान को कोई वस्तु नजर आती है तो वह अजय को बुलाकर उसे सौंप देता है। उन्होंने बताया कि करीब 8 साल पहले जब वह टीले से गुजर रहे थे तो बारिश के दिनों में यहां पर कई पौराणिक महत्व की वस्तुएं दिखाई दी। इसके बाद उन्होंने पुरातत्व विभाग से संपर्क किया। अब तक यहां पर हाथी दांत की चूड़ियों के अवशेष, शिवलिंग, रात को प्रकाश में चमकने वाली मणी, सहित महाभारत व गुप्त काल की अनेक वस्तुएं मिल चुकी हैं। उन्होंने बताया कि यहां पर गुप्त काल की खरोष्टी भाषा में लिखे शिलालेख भी मिले हैं। गधे की खाल पर लिखने के कारण इसे खरोष्टी भाषा कहा जाता था। आपको बता दें कि फतेहाबाद जिला ऐतिहासिक जगहों के लिए जाना जाता है। फतेहाबाद के गांव बनावाली व कुनाल में हड़प्पाकालीन सभ्यता के अवशेष मिल चुके हैं।

गांव भिरडाना में भी 7700 साल पुरानी हाकड़ा सभ्यता, जिसे हड़प्पा से भी हजारों साल पुरानी सभ्यता माना जाता है, उसके उसके अवशेष मिल चुके हैं। भिरडाना में मिली सभ्यता के अवशेष पूरे देश में सबसे पुराने माने जाते हैं। फतेहाबाद जिला सरस्वती नदी के किनारे बसा माना जाता है।

क्या कहती हैं पुरातत्व विभाग की डायरेक्टर

विभाग की डायरेक्टर बुनानी भट्टाचार्य से बात की गई तो उन्होंने कहा कि कर्ण कोट टीले की साइट राज्य पुरातत्व विभाग के अधीन है। विभाग ने साइट के चारों ओर ग्रिल लगाने के लिए लोक निर्माण विभाग को पत्र भेज रखा है। उन्होंने बताया कि कर्ण कोट में कुषाण काल से गुर्जर परिहार काल तक की सभ्यता मिली है। फिलहाल विभाग कुणाल (भूना) में खुदाई कर रहा है। उसके बाद केंद्रीय पुरातत्व विभाग को लिखकर कर्ण कोट टीले की खुदाई की जायेगी। साइट की सुरक्षा पर उन्होंने कहा कि कुणाल से विभाग के लोग आते-जाते रहते हैं।

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