करनाल, 16 जनवरी (हप्र)
पूर्व मुख्यमंत्री एवं नेता विपक्ष भूपेंद्र सिंह हुड्डा ने शनिवार को कहा कि केंद्र सरकार किसानों की आवाज सुनने के बजाय उनसे टकराव के हालात पैदा कर रही है। उन्होंने कहा कि किसान आज कठोर हालात का सामना करते हुए देश का सबसे बड़ा आंदोलन चला रहे हैं, लेकिन सरकार उनकी बात मानने की बजाय अनदेखी, उकसावे और तानाशाहीपूर्ण रवैया अपनाए हुए है। हुड्डा करनाल स्थित बसताड़ा टोल पर कृिष कानूनों के खिलाफ धरने पर बैठे किसानों को समर्थन देने के लिए पहुंचे थे।
हुड्डा ने मुख्यमंत्री मनोहर लाल की किसान महापंचायत का विरोध करने वाले किसानों पर दर्ज मामले वापस लेने की मांग की। उन्होंने कहा कि वे प्रदेशभर में धरना दे रहे किसानों के बीच जा रहे हैं। किसान सरकार से किसी तरह का टकराव नहीं चाहते हैं। लेकिन मुख्यमंत्री केंद्र और किसानों के बीच जारी बातचीत के नतीजे का इंतजार किए बिना किसान महापंचायत करके किसानों को उकसा रहे हैं।
उन्होंने कहा कि करनाल के कैमला गांव में जो हुआ उसके लिए सरकार जिम्मेदार है, न कि किसान संगठन। इसलिए सरकार किसानों को झूठे मुकदमों में फंसाना बंद करे। सरकार को किसानों के प्रति द्वेष भावना या बदले की नीयत से कार्रवाई नहीं करनी चाहिए। लोकतंत्र में जनभावना और अहिंसक आंदोलनों को टकराव, उकसावे की कार्रवाई, वाटर कैनन की बौछार, आंसू गैस के गोले और पुलिस की लाठी के बल पर दबाया नहीं जा सकता। सरकार जनता की आवाज को जितना दबाने की कोशिश करेगी, उसकी गूंज उतनी ही जोर से सुनाई देगी। उन्होंने कहा कि सरकार आंदोलन में जान की कुर्बानी देने वाले किसानों को आर्थिक मदद और परिवार को नौकरी दे। अगर ये सरकार ऐसा नहीं करती है तो हमारी सरकार बनने के बाद ऐसा किया जाएगा।