यमुनानगर, 24 अप्रैल (हप्र)
प्रदेश में गेहूं की पैदावार में भारी गिरावट के चलते पशुओं के लिए सूखे व हरे चारे पर भी संकट के बादल मंडराता देखकर प्रदेश सरकार ने भूसे और हरे चारे को दूसरे राज्यों में बेचने पर प्रतिबंध लगा दिया है। बैन और बॉर्डर पर पहरे के बावजूद प्रदेश का चारा उत्तर-प्रदेश, हिमाचल प्रदेश व उत्तराखंड में बेचने की कोशिश की जा रही है। पड़ोसी राज्यों में जाने वाले जिले के रास्तों पर नाके लगाकर वाहनों की चेकिंग की जा रही है। चारा लेकर जा रहे कई वाहनों को रविवार को पुलिस ने कब्जे में लिया। दूसरे राज्यों में भूसा लेकर जा रहे यमुनानगर के कलानौर व खिजराबाद में 5 वाहनों को पकड़ा है। कलानौर पूरी चौकी इंचार्ज ओमप्रकाश का कहना है कि प्रदेश सरकार की पाबंदी के तहत नाके लगाए गए हैं और ऐसे वाहनों को कब्जे में लिया जा रहा है, जिसमें भूसा भरा हो। जिलाधीश पार्थ गुप्ता ने जिले से भूसा व अन्य चारा साथ लगते राज्यों तथा अन्य स्थानों पर निर्यात न हो इसके लिए उन्होंने प्रतिबंध लगाया है। जिलाधीश ने कहा है कि जिला यमुनानगर की सीमा से गेहूं की कटाई के बाद भूसा व अन्य चारा साथ लगते स्थानों पर बेचा जा रहा है जिससे जिले में पशुओं के चारे की कमी होने की सम्भावना है।
‘किसान का गला घोटना चाहती है सरकार’
प्रशासन के इस फैसले पर भारतीय किसान यूनियन (चढूनी) के जिला अध्यक्ष संजू गुंदियाना का कहना है कि एक तरफ जहां अबकी बार बरसात और मौसम के कारण किसान की फसल का उत्पादन घट गया है वहीं दूसरी ओर अगर किसान को भूसे के अच्छे दाम मिल रहे हैं तो प्रशासन इसमें दिक्कत पैदा कर रहा है। भूसा और हरा चारा जिले से बाहर जाना बंद हो गया तो किसान को भारी नुकसान होगा। भाकियू ऐलान करती है कि किसान अपनी फसल जहां मर्जी बेचे अगर प्रशासन किसानों को फसल बेचने से रोकेगा तो भारतीय किसान यूनियन आंदोलन करने पर मजबूर होगी।