ट्रिब्यून न्यूज सर्विस
चंडीगढ़, 5 दिसंबर
हरियाणा में जाट आरक्षण आंदोलन के दौरान हुए दंगों से जुड़े केसों को वापस लेने की तैयारी है। हालांकि काफी केस सरकार पहले ही वापस ले चुकी है, लेकिन अभी भी बड़ी संख्या में केस लंबित हैं। अखिल भारतीय जाट आरक्षण संघर्ष समिति द्वारा लम्बे समय से इन केसों को वापस लेने की मांग उठाई जा रही है। इस बाबत बड़ा आंदोलन भी राज्य में हो चुका है और सरकार ने आंदोलन खत्म करवाने के लिए भरोसा भी संघर्ष समिति को दिया था।
बताते हैं कि पिछले दिनों भी इस बाबत संघर्ष समिति की ओर से सरकार को ज्ञापन दिए गए हैं। राज्य के गृह मंत्री अनिल विज ने मंगलवार को गृह विभाग के आला अधिकारियों की बैठक बुलाई है। इस बैठक में जाट आरक्षण आंदोलन के दौरान दर्ज हुए मुकदमों की स्टेटस रिपोर्ट लेकर आने के निर्देश अधिकारियों को दिए गए हैं। फरवरी-2016 में जाट आरक्षण आंदोलन के दौरान हुई हिंसा में 32 लोगों की मौत हुई थी। आंदोलन की वजह से रोहतक, झज्जर, सोनीपत, पानीपत, भिवानी, कैथल, जींद, हिसार आदि जिले सबसे अधिक प्रभावित हुए थे। सूत्रों का कहना है कि बैठक में विज उन मुकदमों को वापस लेने संबंधित सिफारिश सरकार को कर सकते हैं, जो सरकार के स्तर पर खत्म हो सकते हैं। बताते हैं कि काफी सारे केस कोर्ट से भी खत्म हुए हैं। वर्तमान में भी कई मामले विभिन्न अदालतों में चल रहे हैं। इन केसों के चलते बड़ी संख्या में युवाओं को सलाखों के पीछे भी जाना पड़ा।
गृह विभाग के अधिकारियों के साथ होने वाली बैठक में फीडबैक लेने के बाद विज जाट आरक्षण संघर्ष समिति के पदाधिकारियों के साथ भी बैठक करेंगे। यह बैठक कब होगी, इस बारे में अभी कुछ तय नहीं किया गया है। यहां बता दें कि जाट आरक्षण आंदोलन की जांच के लिए यूपी के पूर्व डीजीपी प्रकाश सिंह की अध्यक्षता में बनाई गई जांच कमेटी की सिफारिशों और रिपोर्ट को सरकार पहले ही ठंडे बस्ते में डाल चुकी है।