सीबीआई को केस ट्रांसफर, गृह मंत्रालय ने भेजे दस्तावेज
इस ऐलान के बाद भिवानी पुलिस ने इस मामले में आगे की जांच इसलिए भी नहीं बढ़ाई क्योंकि केस सीबीआई के हवाले करने का फैसला हो चुका था। सीबीआई को पुलिस द्वारा दर्ज की गई एफआईआर, तीनों पोस्टमार्टम रिपोर्ट व इस केस से जुड़े सभी दस्तावेज व साक्ष्य भी अब सीबीआई के हवाले किए जाएंगे। मृतक मनीषा के परिवार ने सरकार ने सीबीआई जांच और मृतका का पोस्टमार्टम एम्स में करवाने की मांग की थी। सरकार ने दोनों मांगों को मंजूर किया था।
11 को हुई थी लापता, 13 को मिला शव
मनीषा 11 अगस्त को अपने गांव ढाणी लक्ष्मण स्थित घर से सिंघानी गांव के प्ले स्कूल में पढ़ाने गई थी। वहां से वह नर्सिंग कॉलेज में एडमिशन के लिए निकली, लेकिन शाम तक घर नहीं लौटी। जब देर रात तक कोई सुराग नहीं मिला तो परिजनों ने पुलिस में गुमशुदगी की शिकायत दर्ज कराई। दो दिन तक खोजबीन के बावजूद मनीषा का कोई पता नहीं चला। फिर 13 अगस्त को उसका शव सिंघानी गांव के खेतों में मिला। शव मिलने के बाद परिवार ने हत्या की आशंका जताई और पुलिस की जांच पर सवाल उठाए।
तीन बार हुआ पोस्टमार्टम
परिवार का आरोप है कि गुमशुदगी की शिकायत के समय पुलिस ने मामले को हल्के में लिया और कहा कि बेटी घर से भाग गई है, दो दिन में आ जाएगी। शव मिलने के बाद परिजनों ने हत्या की आशंका जताई और पुलिस की लापरवाही पर जमकर रोष प्रकट किया। पहला पोस्टमॉर्टम भिवानी के सिविल अस्पताल में हुआ, लेकिन परिवार ने रिपोर्ट पर भरोसा न करते हुए शव लेने से इनकार कर दिया। इसके बाद 15 अगस्त को मनीषा का दोबारा पोस्टमॉर्टम रोहतक के पीजीआई में कराया गया। इसके बाद तीसरा पोस्टमार्टम नई दिल्ली स्थित एम्स में हुआ।
पुलिस ने बताया आत्महत्या, परिवार बोला—हत्या
भिवानी पुलिस ने 18 अगस्त को दावा किया कि मनीषा ने आत्महत्या की है। पुलिस ने इस दौरान एक सुसाइड नोट भी दिखाया, जिसे मनीषा के पर्स से बरामद किया गया बताया गया। हालांकि, परिजनों और ग्रामीणों ने इस पर विश्वास नहीं किया और कहा कि उनकी बेटी की हत्या की गई है। लगातार बढ़ते दबाव के बीच सरकार ने भिवानी के एसपी मनबीर सिंह को हटा दिया, एसएचओ को लाइन हाजिर किया गया और 4 पुलिसकर्मियों को सस्पेंड कर दिया।