हरियाणा की सत्तारूढ़ भाजपा-जजपा गठबंधन सरकार के हैवीवेट मंत्री अनिल विज यानी ‘गब्बर’ एक बार फिर से सुर्खिंयों में आ गए हैं। ताजा मामले में वह आईएएस अधिकारी अशोक खेमका को लेकर पंचकूला डीसीपी दफ्तर ही जा पहुंचे। होम मिनिस्टर के पास तो डीजीपी तक को तलब करने की पावर है, लेकिन साहब खुद ही डीसीपी के दफ्तर पहुंच गए। अशोक खेमका द्वारा दो रोज पूर्व आईएएस संजीव वर्मा के खिलाफ दी गई शिकायत पर परचा दर्ज करवा कर ही लौटे। यह बात अलग है कि खेमका के खिलाफ संजीव वर्मा पहले ही एफआईआर दर्ज करने के लिए पुलिस को लिख चुके थे। अब बदलते घटनाक्रम के बीच जहां वरिष्ठ आईएएस अिधकारी खेमका पर केस दर्ज हुआ है, वहीं संजीव वर्मा पर भी एफआईआर हो चुकी है।
आईएएस-आईपीएस के साथ उनके ‘प्रेम’ के किस्से कम ही सुनने को मिलेंगे लेकिन विवाद दर्जनों मिलेंगे। कभी सीएमओ के अफसरों से टकराव होता है तो कभी होम सेक्रेटरी के खिलाफ ही चिट्ठी लिख देते हैं। फतेहाबाद ग्रीवांस कमेटी के चेयरमैन रहते हुए उस समय वहां की एसपी संगीता कालिया से उलझ गए थे। कई अधिकारियों को सस्पेंड करने के भी आदेश दिए, लेकिन अधिकांश या तो बहाल हो गए या फिर हाईकोर्ट से कार्रवाई पर रोक लग गई। अब तो शायद, खुद विज साहब को भी याद नहीं होगा कि उन्होंने कितने मामलों में विजिलेंस जांच के आर्डर दिए, लेकिन उनमें से कोई सिरे चढ़ीं हो, ऐसा उदाहरण ढूंढ़ने पर भी न मिले तो अतिशयोक्ति नहीं होगी। खट्टर पार्ट-। में उस समय हिसार से सांसद और अब डिप्टी सीएम दुष्यंत सिंह चौटाला पर ऐसी टिप्पणी कर डाली कि दुष्यंत कोर्ट में पहुंच गए। कोर्ट का तो आपको पता ही है, यहां तो मिलती है तारीख पर तारीख। विज और दुष्यंत का यह केस भी तारीखों तक ही सीमित है, अभी तक सुनवाई तक भी मामला नहीं पहुंचा है। विज के विवादों और कई बार उनके बोल्ड स्टैंड पर 1964 में आई शम्मी कपूर की फिल्म ‘राजकुमार’ का यह गाना-‘होशियार! जाने वाले, जरा होशियार! यहां के हम हैं राजकुमार। आगे-पीछे हमारी सरकार, यहां के हम हैं राजकुमार’, बिल्कुल सटीक बैठता है।
अनिल विज पहुंचे थे साथ देने, खेमका पर ही दर्ज हुआ केस
वेयर हाउसिंग के एमडी संजीव वर्मा समेत कई अन्य पर भी एफआईआर
एस. अग्निहोत्री/हप्र
पंचकूला, 26 अप्रैल
मंगलवार को हरियाणा के गृहमंत्री अनिल विज को पंचकूला पुलिस उपायुक्त कार्यालय लेकर पहुंचने वाले वरिष्ठ आईएएस अधिकारी अशोक खेमका के खिलाफ ही पुलिस ने केस दर्ज कर लिया। इसके साथ ही वेयर हाउसिंग के एमडी संजीव वर्मा पर भी केस दर्ज हुआ है। पुलिस ने हरियाणा राज्य भंडारण निगम के तत्कालीन प्रबंध निदेशक खेमका के अलावा भंडारण निगम से सेवानिवृत्त प्रबंधक सोम नाथ रतन, एससी कंसल और सहायक नरेश कुमार के खिलाफ केस दर्ज किया।
आरोप है कि वर्ष 2010 में हरियाणा वेयर हाउसिंग कारपोरेशन के एमडी पद पर रहते हुए खेमका ने दो अधिकारियों की गलत ढंग से नियुक्तियां कीं। मामले की जांच के लिए एक कमेटी बनी थी। आरोप है कि निगम में प्रबंधक ग्रेड-। के पद पर नियुक्त किए गए प्रदीप कुमार गुप्ता और सुरिंदर सिंह के पास अपेक्षित योग्यता और अनुभव नहीं था। रोचक प्रकरण है कि इससे पहले मंगलवार को गृह मंत्री अनिल विज सेक्टर-1 स्थित पुलिस उपायुक्त कार्यालय पहुंचे।
उनके साथ वरिष्ठ आईएएस अधिकारी अशोक खेमका भी थे। अशोक खेमका ने एक शिकायत पुलिस उपायुक्त मोहित हांडा को दी है। इस पर गृह मंत्री अनिल विज ने तत्काल प्रभाव से एफआईआर दर्ज करने के निर्देश दिए।
बता दें कि खेमका ने हरियाणा वेयरहाउसिंग कॉरपोरेशन के मौजूदा एमडी संजीव वर्मा के खिलाफ पंचकूला पुलिस को शिकायत दी। उन्होंने वाहनों के दुरुपयोग का आरोप वर्मा पर लगाया था। शिकायत पर कार्रवाई न होने पर खेमका ने गृह मंत्री अनिल विज को जानकारी दी। खेमका के साथ डीसीपी ऑफिस पहुंचे अनिल विज ने एफआईआर दर्ज करने को कहा। पुलिस ने बताया कि संजीव वर्मा एवं रविंद्र कुमार सहित अन्य के खिलाफ पुलिस अशोक खेमका की शिकायत पर केस दर्ज कर लिया है। अशोक खेमका ने संजीव वर्मा एवं रविंद्र कुमार पर झूठी शिकायत देने एवं हरासमेंट करने का आरोप लगाया है। पुलिस ने सेक्टर 5 थाने में धारा 167, 182, 195ए, 198, 211, 218 और 120बी के तहत केस दर्ज कर लिया है।
ऐसा पहली बार हुआ…
प्रदेश के इतिहास मेंं यह पहला मामला है जब प्रदेश के गृह मंत्री किसी आईएएस अधिकारी की शिकायत पर एफआईआर दर्ज करवाने खुद डीसीपी कार्यालय पहुंच गए। विज ने कहा, ‘किसी भी शिकायत पर एफआईआर होनी चाहिए। जब एक आईएएस की शिकायत पर मामला दर्ज नहीं होगा तो आम आदमी की शिकायत पर कैसे हो पाएगा।’
दुष्यंत मानहानि केस : समन पर बहस तक नहीं हो पाई
दवा घोटाला मसले पर विज ने कहा था नशेड़ी, 3 साल 9 माह में 26 तारीखें और 8 जज
कुमार मुकेश/हप्र
हिसार, 26 अप्रैल
दवा घोटाला उजागर करने पर हिसार के तत्कालीन सांसद (मौजूदा उप मुख्यमंत्री) को नशेड़ी बताने के स्वास्थ्य मंत्री अनिल विज के बयान के खिलाफ दायर मानहानि की आपराधिक शिकायत की पिछले तीन साल, नौ माह में आठ जजों ने 26 बार सुनवाई कर ली, लेकिन अभी तक समन जारी करना है या नहीं, इस पर बहस नहीं हो पाई। सोमवार 25 अप्रैल को भी सुनवाई हुई और अगली सुनवाई 9 मई को होगी।
दुष्यंत चौटाला ने 7 जुलाई, 2018 को मामला दायर किया था। फिर करीब 15 माह बाद ही दुष्यंत चौटाला भाजपा-जजपा सरकार में उप मुख्यमंत्री बन गए और अनिल विज स्वास्थ्य एवं गृह मंत्री बन गए। मामले के अनुसार 18 मार्च, 2018 को सांसद दुष्यंत चौटाला ने स्वास्थ्य विभाग में करोड़ों रुपये की दवा एवं उपकरण खरीद में चंडीगढ़ में प्रेस कान्फ्रेंस कर घोटाले को उजागर किया था। फिर विज ने अगले माह 3 अप्रैल को दुष्यंत चौटाला को पत्रकार वार्ता में नशेड़ी बताते हुए उनको किसी नशामुक्ति केंद्र से अपना इलाज करवाने की सलाह दी थी। दुष्यंत ने इसे अपनी मानहानि माना और स्वास्थ्य मंत्री को नोटिस जारी कर सार्वजनिक रूप से माफी मांगने को कहा। विज के जवाब न देने पर दुष्यंत कोर्ट चले गए। इस संबंध में दुष्यंत चौटाला के अधिवक्ता प्रणव संधीर ने बताया कि बहस इस बात पर होनी है कि स्वास्थ्य मंत्री अनिल विज को समन जारी किया जाए या नहीं।
टलती रही सुनवाई…
हिसार, 26 अप्रैल (हप्र)
7 जुलाई, 2018 को अदालत में केस गया और 14 अगस्त को दुष्यंत चौटाला ने न्यायिक दंडाधिकारी रिचू की अदालत में अपनी गवाही दर्ज करवाई। इसके बाद मामला मुख्य न्यायिक दंडाधिकारी निधि बल के पास आया, जिन्होंने 15 सितंबर को सहजवीर सिंह और सुखराज सिंह ने गवाही दर्ज कराई। फिर 30 नवंबर को एक अन्य गवाही और 11 फरवरी, 2019 को प्रमोद जैन और दीपक भारद्वाज की गवाही दर्ज की गई। फिर अदालत में इस बात पर बहस होनी थी कि अनिल विज को समन जारी किया जाए या नहीं। इसके बाद 19 मार्च व 19 अप्रैल, 2019 को विज की तरफ से एक अधिवक्ता पेश हो गए और उन्होंने उनकी हाजिरी माफी का आवेदन लगाया। 20 जुलाई, 2019 को जज छुट्टी पर चली गईं और 19 सितंबर को मामला न्यायिक दंडाधिकारी वर्षा जैन की अदालत में आ गया। 19 अक्तूबर को जज छुट्टी पर चली गईं। फिर 7 फरवरी, 2020 को सुनवाई हुई, लेकिन बहस नहीं हुई। 27 मार्च, 22 मई, 17 अगस्त, 23 अक्तूबर, 2020 को कोविड के कारण सुनवाई नहीं हुई। बाद में मामला मुख्य न्यायिक दंडाधिकारी शिफा की अदालत में आ गया। वहां भी बहस नहीं हो पाई। 29 सितंबर, 2021 को सुनवाई मुख्य न्यायिक दंडाधिकारी नीरू कंबोज की अदालत में हुई, लेकिन बहस नहीं हुई। ऐसा ही न्यायिक दंडाधिकारी सोनिया की अदालत में हुआ। कोविड के कारण मुख्य न्यायिक दंडाधिकारी निधि सोलंकी अदालत में सुनवाई नहीं हुई। अब मामला न्यायिक दंडाधिकारी अंतरप्रीत की अदालत में है। यहां भी गत 12 एवं 25 अप्रैल सुनवाई हुई, लेकिन बहस नहीं हुई।