Cabinet Meeting : नायब कैबिनेट का बड़ा फैसला, 2026 से एग्रीगेटर कंपनियों के बेड़ों में डीजल-पेट्रोल वाहन पूरी तरह बंद
हरियाणा सरकार परिवहन बेड़े में भी लगातार ई-बसों को शामिल कर रही
हरियाणा सरकार ने प्रदूषण नियंत्रण और स्वच्छ परिवहन को बढ़ावा देने के लिए एक बड़ा कदम उठाया है। मुख्यमंत्री नायब सिंह सैनी की अध्यक्षता में हुई कैबिनेट बैठक में परिवहन विभाग की संशोधित एग्रीगेटर नीति को मंजूरी दे दी गई।
इस नीति का सबसे बड़ा असर निजी एग्रीगेटर और डिलीवरी कंपनियों पर पड़ेगा, क्योंकि पहली जनवरी, 2026 के बाद उनके बेड़ों में डीजल या पेट्रोल से चलने वाले किसी नए वाहन को शामिल करने की अनुमति नहीं होगी। यह फैसला सीधे तौर पर ओला, उबर, रैपिडो जैसे कैब एग्रीगेटर प्लेटफॉर्म, स्विगी- जोमैटो जैसे फूड डिलीवरी समूह, अमेजन व फ्लिपकार्ट जैसी ई-कॉमर्स कंपनियों और निजी लॉजिस्टिक सेवाओं के बेड़ों को प्रभावित करेगा। सरकार का लक्ष्य है कि अगले कुछ वर्षों में हरियाणा के शहरों में चलने वाला अधिकतम बेड़ा स्वच्छ ईंधन - सीएनजी और इलेक्ट्रिक पर आधारित हो। इस नियम का हरियाणा रोडवेज या सरकारी बस सेवाओं पर फिलहाल कोई असर नहीं पड़ेगा।
हालांकि हरियाणा सरकार परिवहन बेड़े में भी लगातार ई-बसों को शामिल कर रही है। सरकार का मानना है कि शहरी क्षेत्रों में बढ़ते प्रदूषण के मुख्य कारणों में वाहन धुआं बड़ी भूमिका निभाता है। एग्रीगेटरों और डिलीवरी कंपनियों का बेड़ा शहरों में लगातार बढ़ रहा है। इससे निकलने वाला धुआं वायु गुणवत्ता को गंभीर रूप से प्रभावित कर रहा है।
इसी वजह से नई नीति में यह प्रावधान किया गया है कि 2026 के बाद पेट्रोल-डीजल आधारित वाहन किसी भी एग्रीगेटर के बेड़े में शामिल नहीं होंगे। यह नियम तीन पहिया, दोपहिया, चार पहिया और हल्के वाणिज्यिक वाहनों सभी पर लागू होगा। केवल सीएनजी और इलेक्ट्रिक वाहन ही जोड़े जा सकेंगे। इससे शहरी परिवहन में स्वच्छ ऊर्जा का उपयोग बढ़ेगा और प्रदूषण तेजी से कम होगा। एग्रीगेटरों को अपने मौजूदा बेड़ों का अनुपात भी धीरे-धीरे स्वच्छ ईंधन की ओर शिफ्ट करना होगा। यानी भविष्य में इनके बेड़ों की बड़ी हिस्सेदारी इलेक्ट्रिक और सीएनजी होगी।
सीएक्यूएम के निर्देशों के बाद बना ड्रॉफ्ट
यह पूरी नीति वायु गुणवत्ता प्रबंधन आयोग के 3 जून, 2025 के निर्देशों के आधार पर तैयार की गई है। आयोग ने एनसीआर में प्रदूषण बढ़ने पर चिंता जताई थी और उत्तर भारत के राज्यों को स्पष्ट दिशानिर्देश दिए थे कि एग्रीगेटर और ई-कॉमर्स कंपनियाँ धीरे-धीरे अपने बेड़ों को स्वच्छ ईंधन की ओर ले जाएं। हरियाणा ने इन निर्देशों को गंभीरता से लेते हुए अपनी एग्रीगेटर नीति में बड़े बदलाव किए हैं।
तिपहिया व दोपहिया पर क्या असर
अब तीन पहिया वाहनों (ऑटो, ई-ऑटो) के रूप में डीजल और पेट्रोल ऑटो को एग्रीगेटर प्लेटफॉर्म पर जोड़ने की इजाजत नहीं मिलेगी। केवल सीएनजी या इलेक्ट्रिक ऑटो ही शामिल होंगे। वहीं दोपहिया वाहन (बाइक टैक्सी व डिलीवरी स्कूटर) को लेकर भी कैबिनेट ने स्पष्ट कर दिया है कि पेट्रोल बाइक को एग्रीगेटर बेड़े में जोड़ना पूरी तरह बंद होगा। डिलीवरी कंपनियों को इलेक्ट्रिक स्कूटरों की ओर जाना पड़ेगा। वहीं चार पहिया हल्के मालवाहक/लॉजिस्टिक वाहन को लेकर भी स्पष्ट किया है कि डीजल-पेट्रोल वाले नई एलसीवी/एलजीवी को जोड़ने पर पूर्ण रोक रहेगी। ई-कॉमर्स कंपनियां अब बड़े पैमाने पर ई-वैकल (ईवी) अपनाएंगी
हर वाहन की होगी ऑनलाइन मॉनिटरिंग
नीति के सफल क्रियान्वयन के लिए परिवहन विभाग क्लीन मोबिलिटी पोर्टल विकसित कर रहा है। इसकी विशेषता यह है कि हर एग्रीगेटर का बेड़ा ऑनलाइन दर्ज होगा। वाहन का ईंधन प्रकार आसानी से ट्रैक किया जाएगा। नियम न मानने पर तुरंत दंडात्मक कार्रवाई होगी। लाइसेंस नवीनीकरण की प्रक्रिया पूरी तरह डिजिटल की गई है। इस पोर्टल से न केवल निगरानी आसान होगी, बल्कि एग्रीगेटरों की जवाबदेही भी बढ़ेगी।

