पानीपत, 26 मई (निस)
कपास के भाव में करीब 6 माह में दो गुणा वृद्धि होने से काटन के धागे के भाव में भी बेतहाशा वृद्धि हुई है और इसका सीधा असर पानीपत से होने वाले टेक्सटाइल उत्पादों के निर्यात पर पड़ा है।
काॅटन के बढ़े भाव और कई अन्य कारणों से टेक्सटाइल नगरी पानीपत से अमेरिका व यूरोपियन देशों में होने वाला निर्यात घटकर करीब आधा रह गया है। पानीपत के निर्यातकों को अब विदेशी बॉयरों से बहुत कम ऑर्डर मिल रहे हैं और बॉयरों के जो पुराने ऑर्डर अभी चल रहे थे, उनको भी बॉयरों ने 3-4 माह के लिये होल्ड कर दिया है।
इसके चलते पानीपत के 500 से भी ज्यादा निर्यातकों के लिये कई हजार करोड़ रुपए का तैयार माल अब अटक गया है। बॉयर अब कुछ माह बाद तैयार माल की डिलीवरी लेने की बात कह रहे हैं। बता दें कि पानीपत से 20-25 हजार करोड़ रुपए का कारपेट, बाथमेट, दरी, बैडशीट, कुशन, परदे आदि टेक्सटाइल उत्पादों का निर्यात होता है।
इसमें से करीब 50 फीसदी निर्यात तो अमेरिका और बाकि यूरोपियन देशों में होता है। काटन का धागा बनाने के लिये कपास व कॉम्बर नोइल का प्रयोग होता है और करीब 6 माह पहले कपास का रेट 5500 से 6000 रुपए प्रति मन(40 किलो) होता था जोकि अब बढ़कर 11000 प्रति मन तक पहुंच चुका है। कॉम्बर नोइल का भाव भी पिछले 5-6 माह में 80-85 रुपए से बढ़कर 140 तक पहुंच चुका है।
पानीपत में काॅटन का धागा बनाने की करीब 50 मिलें है, जहां पर कि पहले रोजाना करीब 900 टन धागा बनता था, लेकिन उसका उत्पादन भी घटकर अब आधा ही रह गया है।
निर्यात में गिरावट के ये हैं प्रमुख कारण
पानीपत से होने वाले टेक्सटाइल उत्पादों के निर्यात में गिरावट के काटन के धागे के बढ़े भाव के अलावा कई अन्य कारण भी हैं। निर्यातकों के अनुसार कोरोना की पहली लहर जब समाप्त हुई तो अमेरिका व यूरोपियन देशों की मार्केटों में टेक्सटाइल उत्पादों के सेल बहुत ज्यादा बढ़ गई और बॉयरों ने मार्केटों की सेल के अनुसार पानीपत के निर्यातकों से माल लेना शुरू कर दिया। कोरोना की दूसरी लहर आई और बॉयरों ने सोचा की इस लहर के बाद भी मार्केट बहुत तेज रहेगी, लेकिन मार्केट ढीली रही। इसके चलते विदेशी बॉयरों के पास टेक्सटाइल उत्पादों का सरप्लस स्टॉक हो गया। विश्व भर में पड़ी महंगाई की मार भी निर्यात में मंदी का कारण है। पानीपत से अमेरिका जाने वाले कंटेनर का दो वर्ष पहले भाड़ा 2500 डालर होता था जोकि अब बढ़कर 14 हजार डालर पर पहुंच चुका है और यह भी एक कारण है।
‘कपास के निर्यात पर प्रतिबंध रहे तो घटेंगे भाव’
पानीपत में आधा दर्जन धागा मिलों के संचालक एवं समाजसेवी राकेश मुंजाल का कहना है कि भारत विश्वभर में कपास के प्रमुख उत्पादक देशों में शामिल है। विश्व में भारत, चीन, यूएसए, ब्राजील, उज्बेकिस्तान व पाकिस्तान आदि कपास उत्पादक प्रमुख देश हैं। उन्होंने कहा कि केंद्र सरकार कपास के निर्यात पर रोक जारी रखे तो निश्चित रूप से काटन के धागे के भाव घटेंगे। इस बार केंद्र सरकार ने जब कपास के आयात पर आयात ड्यूटी को समाप्त किया तो उस वक्त तक अंतरराष्ट्रीय मार्केट में भी कपास के रेट बहुत बढ़ चुके थे और कपास के भाव कम नहीं हो पाये।