अध्यापकों पर एसआईआर की ड्यूटी का बोझ गलत : अभय चौटाला
उन्होंने कहा कि एसआईआर की प्रक्रिया लंबी होती है, और ऐसे में स्कूलों से अध्यापकों की गैरमौजूदगी बच्चों की शिक्षा पर बेहद खराब असर डाल रही है। विशेष रूप से जिन स्कूलों में केवल 2 या 3 अध्यापक हैं, उनमें स्थिति बेहद चिंताजनक हो चुकी है। आज हालात यह हैं कि ज्यादातर स्कूलों में पढ़ाने वाला कोई नहीं है। चौटाला ने सरकार को सलाह दी कि अध्यापकों की जगह अन्य विभागों के कर्मचारियों को इस काम की जिम्मेदारी दी जाए, क्योंकि कई विभागों में पर्याप्त स्टाफ उपलब्ध है।
उन्होंने कहा कि शिक्षा प्रणाली को राजनीतिक और चुनावी कार्यों का बोझ बनाना बच्चों के भविष्य के साथ खिलवाड़ है। उन्होंने आरोप लगाया कि बीजेपी सरकार बिना किसी योजना और समझ के फैसले ले रही है। बीजेपी सरकार की दोषपूर्ण कार्यशैली से पूरा प्रदेश बेहाल है। भविष्य में भी न इनके पास सुधार की नीयत है और न कोई नीति दिखती है। अभय सिंह चौटाला ने सरकार से मांग की कि बच्चों की पढ़ाई को बचाने के लिए तुरंत कदम उठाए जाएं और अध्यापकों को एसआईआर व चुनावी ड्यूटी से मुक्त किया जाए।
