हरियाणा में ‘सद्भावना यात्रा’ से बृजेंद्र साधेंगे सियासी समीकरण
हरियाणा कांग्रेस इन दिनों गुटबाजी से जूझ रही है, लेकिन संगठन को नई ऊर्जा देने और जनता से जुड़ाव मजबूत करने की कवायद भी तेज हो गई है। इसी क्रम में पूर्व सांसद बृजेंद्र सिंह 5 अक्तूबर से ‘सदभावना यात्रा’...
हरियाणा कांग्रेस इन दिनों गुटबाजी से जूझ रही है, लेकिन संगठन को नई ऊर्जा देने और जनता से जुड़ाव मजबूत करने की कवायद भी तेज हो गई है। इसी क्रम में पूर्व सांसद बृजेंद्र सिंह 5 अक्तूबर से ‘सदभावना यात्रा’ निकालने जा रहे हैं। राहुल गांधी की भारत जोड़ो यात्रा से प्रेरित यह पदयात्रा करीब 6 महीने तक चलेगी और 2600 से 2800 किलोमीटर का लंबा सफर तय करेगी। बृजेंद्र का कहना है कि यात्रा का मुख्य उद्देश्य जनता से सीधा संवाद करना और उनके असली मुद्दों को उठाना है। इसमें बेरोजगारी, महिलाओं की सुरक्षा, कानून-व्यवस्था की स्थिति, किसानों की समस्याएं और वोट चोरी जैसे अहम विषय केंद्र में रहेंगे। वे मानते हैं कि पदयात्रा ही जनता तक पहुंचने और उनकी नब्ज समझने का सबसे बेहतर तरीका है। राजनीतिक जानकारों के मुताबिक, ‘सदभावना यात्रा’ महज जनसंपर्क अभियान नहीं बल्कि कांग्रेस को हरियाणा की गुटबाजी से निकालने और संगठन को मजबूत करने का प्रयास है। खास बात यह है कि यात्रा की शुरुआत जाट बहुल इलाकों से की जा रही है। इसे कांग्रेस के पारंपरिक वोट बैंक की ओर संदेश माना जा रहा है। राहुल गांधी ने जिस तरह भारत जोड़ो यात्रा से राष्ट्रीय स्तर पर पार्टी की छवि सुधारने की कोशिश की थी, उसी तर्ज पर बृजेंद्र हरियाणा में कांग्रेस की पकड़ मजबूत करने और अपनी सियासी पहचान स्थापित करने का प्रयास कर रहे हैं।
पहला चरण जींद से...
यात्रा का पहला चरण जींद जिले से शुरू होगा। 5 अक्तूबर को नरवाना से इसकी शुरुआत होगी। इसके बाद वे कलायत, सफीदों, जींद, जुलाना, नारनौंद, उचाना कलां, उकलाना, बरवाला, बवानीखेड़ा, नलवा, हांसी, हिसार और आदमपुर हलकों को कवर करेंगे। यह चरण 8 नवंबर तक चलेगा। राजनीतिक विश्लेषकों का मानना है कि बृजेंद्र की यह लंबी पदयात्रा कांग्रेस के लिए दोहरी चुनौती और अवसर दोनों है। एक तरफ यह संगठन को जमीन पर खड़ा करने का मौका देगी, तो दूसरी तरफ गुटबाजी की गांठें खोलने का जरिया भी बनेगी। अब देखना होगा कि यह ‘सदभावना यात्रा’ हरियाणा की राजनीति में कितना असर दिखा पाती है, लेकिन इतना तय है कि इससे प्रदेश का सियासी तापमान जरूर बढ़ेगा।
बीरेंद्र-हुड्डा की ट्यूनिंग
नई दिल्ली में यात्रा की रणनीति को लेकर हाल ही में हुई बैठक में कमान पूर्व केंद्रीय मंत्री चौ. बीरेंद्र सिंह ने संभाली। उनके साथ बृजेंद्र और समर्थक भी मौजूद थे। बीरेंद्र पहले ही साफ कर चुके हैं कि वे सिर्फ चुनावी राजनीति से रिटायर हुए हैं, राजनीति से नहीं। दूसरी ओर, पूर्व मुख्यमंत्री भूपेंद्र हुड्डा ने भी हाल ही में कहा था कि वे ना टायर्ड हैं, ना रिटायर्ड। बृजेंद्र ने इसी बयान को आगे बढ़ाते हुए कहा कि यही बात चौधरी बीरेंद्र भी कहते हैं। साफ है कि पिता-पुत्र राजनीति में सक्रिय हैं और नई भूमिका तलाश रहे हैं।
गुटबाजी पर सीधा वार...
हरियाणा कांग्रेस लंबे समय से गुटों में बंटी हुई है। इस पर बृजेंद्र सिंह का कहना है कि पिछले 11 सालों में संगठन की कमजोरी ने गुटबाजी को जन्म दिया। अब संगठन खड़ा करने की प्रक्रिया शुरू हो चुकी है और ढांचा मजबूत होते ही गुटबाजी स्वतः खत्म हो जाएगी। उन्होंने यह भी स्वीकारा कि वरिष्ठ नेताओं के बीच नोकझोंक चलती रहती है, लेकिन इसे उन्होंने लोकतांत्रिक प्रक्रिया का हिस्सा बताया। उनका मकसद इस यात्रा के जरिये यही संदेश देना है कि पार्टी में सभी एकजुट हों और संगठन पहले की लाइन पर काम करें।