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BPL Card for Vote Scam : दीपेंद्र ने कसा BJP पर तंज, कहा- वोट के लिए गरीबों के साथ किया छल

दीपेंद्र ने कहा - बीपीएल कार्ड घोटाले के जरिये भाजपा ने किए वोट चोरी
बृहस्पतिवार को नई दिल्ली में पत्रकारों से बातचीत करते रोहतक सांसद दीपेंद्र सिंह हुड्डा।
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BPL Card for Vote Scam : रोहतक से कांग्रेस सांसद दीपेन्द्र हुड्डा ने बीजेपी सरकार पर तीखे आरोप लगाते हुए कहा कि चुनाव के बाद प्रदेश में 10 लाख से ज्यादा बीपीएल कार्ड काटे गए। हुड्डा ने इसे सीधे तौर पर ‘बीपीएल कार्ड फॉर वोट घोटाला’ करार दिया। उन्होंने कहा कि हरियाणा विधानसभा के हालिया मानसून सत्र में सरकार के जवाब ने इस पूरे घोटाले की पोल जनता के सामने खोल दी है।

बृहस्पतिवार को नई दिल्ली में आयोजित प्रेस कांफ्रेंस में दीपेंद्र ने कहा कि बीजेपी ने 2024 के चुनाव से ठीक पहले 27 लाख से बढ़ाकर 51 लाख बीपीएल कार्ड बनाए, ताकि वोटरों को प्रलोभन देकर उनकी आंखों में धूल झोंकी जा सके। उन्होंने कहा कि इतनी गरीबी तो आजादी के समय भी नहीं थी। चुनाव के बाद 10 लाख से अधिक कार्ड काट दिए गए। पात्र परिवारों को नुकसान और गैर-पात्र परिवारों को लाभ मिला।

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उन्होंने कहा कि बीपीएल कार्ड का प्रलोभन देकर वोट लेने की साजिश पर चुनाव आयोग तुरंत संज्ञान ले। उन्होंने यह भी कहा कि हरियाणा में केवल 22 हजार वोटों या 0.5 प्रतिशत अंतर से सरकार बनी थी, ऐसे में यह अनैतिक कार्रवाई लोकतंत्र के लिए गंभीर चुनौती है। यह तथ्य सीएम के जवाब के हवाले से पेश किया गया।

जाति पूछकर पुलिस को किया शर्मसार

दीपेंद्र ने कहा कि हरियाणा पुलिस में सिपाही और हवलदार के ट्रांसफर के लिए ऑनलाइन पोर्टल के जरिए जाति पूछना प्रदेश को शर्मसार करने वाला कदम है। उन्होंने तीखे शब्दों में इसका विरोध करते हुए कहा कि किसी भी अधिकारी की जाति या धर्म नहीं होता, इंसानियत और जनसेवा ही उनका धर्म है। संत कबीर ने कहा था ‘जाति न पूछो साधु की, पूछ लीजे ज्ञान’। लेकिन बीजेपी कह रही है, ‘जाति पूछो सिपाही की’।

भाजपा की यह नीयत स्पष्ट है - जाति और धर्म के आधार पर समाज को तोड़ना। हुड्डा ने सवाल किया कि यह फैसला किसके आदेश पर लिया गया। यदि डीजीपी के स्तर पर हुआ तो उन्हें नैतिक जिम्मेदारी लेते हुए इस्तीफा देना चाहिए। यदि सत्ता शीर्ष से हुआ है, तो मुख्यमंत्री को जवाब देना होगा। उन्होंने कहा कि वे संत कबीर और बाबा साहब अंबेडकर के संविधान के सिद्धांतों पर विश्वास रखते हैं और इस प्रकार के विभाजनकारी फैसलों को लागू नहीं होने देंगे।

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