असीम यादव/हप्र
नारनौल, 24 जुलाई
हरियाणा में एक तरफ तो सरकार स्कूली शिक्षा के स्तर को बेहतर बनाने के लिए विभिन्न योजनाएं बना रही है और मॉडल संस्कृति स्कूल खोल रही है, वहीं दूसरी तरफ किताबों के अभाव में सरकार के ये प्रयास दम तोड़ते नजर आ रहे हैं। प्रदेश के सरकारी स्कूलाें में पिछले 3 साल से नयी किताबें नही आई हैं, जिससे विद्यार्थी पुरानी कटी-फटी किताबों के सहारे शिक्षा प्राप्त कर रहे हैं। वर्तमान शैक्षणिक सत्र शुरू हुए भी 4 महीने होने वाले हैं, लेकिन अब तक प्राथमिक स्कूल के विद्यार्थियों को नयी किताबें नहीं मिल पाई हैं। अध्यापक अपने स्तर पर उत्तीर्ण हो चुके विद्यार्थियों से उनकी पुरानी किताबें मांग कर नये विद्यार्थियों को पढ़ा रहे हैं। हालांकि, बीते सप्ताह कुछ जिलो में पहली, पांचवीं और छठी की किताबें पहुंची हैं, लेकिन वे अपर्याप्त हैं। दूसरी, तीसरी और चौथी कक्षा की किताबें अब तक नहीं आई हैं।
कैथल जिले में अब तक किसी भी कक्षा की किताबें नही पहुंची हैं। शिक्षा विभाग से मिली जानकारी के अनुसार, चालू सत्र में सरकारी विद्यालयों में काफी संख्या में दाखिले हुए हैं। पहली कक्षा में 110075, दूसरी में 221442, तीसरी में 217786, चौथी में 222045 तथा पांचवीं में 228293 विद्यार्थियों ने दाखिला लिया है। लेकिन शिक्षा विभाग व प्रदेश सरकार की लेटलतीफी के चलते दूसरी, तीसरी व चौथी कक्षा के 661273 विद्यार्थियों का भविष्य किताबें न होने की वजह से दांव पर लगा हुआ है। हालत यह है कि अब तक इन कक्षाओं की किताबों का टेंडर भी नही हुआ है। पहली, पांचवी व छठी कक्षा की जो किताबें आई हैं वे प्रदेश के सभी जिलों में नहीं पहुंच पाई हैं। जिला महेंद्रगढ़ के 472 स्कूलों में भी कमोबेश यही स्थिति है। अध्यापक महेश यादव ने बताया कि कक्षा का परिणाम आते ही उनका पहला प्रयास होता है कि उत्तीर्ण बच्चे के घर जाकर उसकी पुरानी किताबें एकत्रित कर ली जाएं, जिससे नये विद्यार्थी को दी जा सकें। पुरानी किताबों में कई जानकारी भी पुरानी होती हैं, लेकिन वे अपने स्तर पर विद्यार्थियों को अपडेट करते हैं। अध्यापक वीरेंद्र कुमार का कहना है काम तो चला रहे हैं। फिर भी सभी बच्चों को किताबें नही मिल पाती हैं, जो मिलती हैं वो कटी-फ़टी होती हैं। बच्चों को पढ़ने में परेशानी होती ही है।
सरकारी स्कूलों को खत्म करने की कोशिश : अध्यापक संघ
हरियाणा विद्यालय अध्यापक संघ के प्रदेशाध्यक्ष धर्मेंद्र ढांडा ने आरोप लगाया है कि सरकार गरीब बच्चों को शिक्षा से वंचित कर रही है। किताबें समय पर उपलब्ध करवानी चाहिए। सरकार चिराग योजना के माध्यम से निजी स्कूलों को बढ़ावा दे रही है और किताबें न भेजकर सरकारी स्कूलों को खत्म करने की साजिश है।
अगले हफ्ते होगा टेंडर : जिला शिक्षा अधिकारी
जिला शिक्षा अधिकारी सुनील दत्त ने बताया कि पहले कोरोना की वजह से दिक्कत रही। अब पहली और पांचवी कक्षा की किताबें आ चुकी हैं, अगले सप्ताह टेंडर है। उसके बाद दूसरी, तीसरी और चौथी कक्षा की किताबें भी आ जाएंगी। फिलहाल बच्चों का नुकसान न हो इसके लिए अध्यापक पुरानी किताबों से पढ़ाई करवा रहे हैं।