पलवल, 24 मई (हप्र)
जिले में कथित मनरेगा घोटाले को लेकर जिले में पंचायत विभाग के अधिकारियों व कर्मचारियों पर केस दर्ज होने के बाद हड़कंप मचा हुआ है। जिले में एकसाथ अलग-अलग पुलिस थानों में 6 बीडीपीओ, 8 एबीपीओ और 35 ग्राम सचिवों पर केस दर्ज होने पर अन्य कर्मचारी भी डरे हुये हैं। इसके चलते मंगलवार को जिले में ज्यादातर बीडीपीओ कार्यालय सूने पड़े रहे। नामजद बीडीपीओ, ग्राम सचिव व अन्य अधिकारी भूमिगत हो गए हैं। लोग अपने कार्यों के लिए पंचायत विभाग के कार्यालयों का चक्कर काट रहे हैं लेकिन उन्हें खाली कुर्सियों ही नजर आ रही हैं। बताया जा रहा है कि अभी इस मामले में कई एसडीओ, जेई, ठेकेदार, सरपंच और अकाउंटेंट के नाम भी शामिल हो सकते हैं। वहीं आरोपी अधिकारियों व कर्मचारियों पर गिरफ्तारी की तलवार भी लटक गई है। वहीं उन्हें सस्पेंड करने की भी तैयारी है। पुलिस कर्मचारियों को जांच में शामिल करने के लिए नोटिस की प्रक्रिया में लगी हुई है। 35 गांवों में 69 विकास कार्यों में अनियमितताएं का आरोप है।
मनरेगा में 50 करोड़ के घोटाले का आरोप
बता दें कि कोरोनाकाल के दौरान पिछले दो साल में मनरेगा के तहत करोड़ों के कार्य किए गए। इन कार्यों में बड़ी गड़बड़ी की बू आने पर एनआईटी के कांग्रेस विधायक नीरज शर्मा ने 50 घोटाले का आरोप लगाये थे।
काम प्रभावित, लोग परेशान
जब से बीडीपीओ व ग्राम सचिवों के नाम एफआईआर में आए हैं, तभी से ग्राम सचिवों के मोबाइल फोन बंद आ रहे हैं। यहां तक कि ग्राम सचिवों ने गिरफ्तार होने के भय से दफ्तर आना भी बंद कर दिया है। कई कर्मचारी अधिकारी भूमिगत हो गये हैं। वहीं सरकार ने नपा व नगर परिषदों के चुनाव घोषित कर दिए हैं तथा पंचायत चुनावों की तैयारी शुरू हो चुकी है। ऐसे में पंचायत चुनावों की तैयारी में सबसे बड़ा रोल ग्राम सचिव का होता है। इसके अलावा सरकार ने गांवों में लाल डोरे का सर्वे अभियान चलाया हुआ है। यह अभियान ग्राम सचिवों के जिम्मे है। अब सरपंचों पर जिम्मेदारी नहीं हैं, सरपंचों की जिम्मेदारी भी ग्राम सचिवों को सौंपी हुई है। गांवों में विकास कार्य भी प्रभावित हो रहे हैं।
उच्च अधिकारियों को रिपोर्ट भेजने के निर्देश
रेंज कमिश्रर संजय जून के अनुसार जिला अधिकारियों को निर्देश दिए गए हैं कि वे पूरी रिपोर्ट संबंधित विभाग के उच्च अधिकारियों को भेजें, ताकि विभागीय कार्रवाई की जा सके।
नोटिस भेजने की प्रक्रिया शुरू
डीएसपी यशपाल खटाना का कहना है कि सीईओ जिला परिषद की शिकायत पर एफआईआर दर्ज कर जांच शुरू कर दी गई है। रिकार्ड लेने और अधिकारियों के बयान दर्ज करने के लिए सेक्शन-91 के तहत नोटिस जारी करने की प्रक्रिया की जा रही है। जांच में शामिल न होने पर गिरफ्तारी की जाएगी।