एस. अग्निहोत्री/ हप्र
पंचकूला, 1 जून
हरियाणा में भाजपा ने स्थानीय निकाय चुनाव में जननायक जनता पार्टी से नाता तोड़ लिया है। भाजपा प्रदेश कार्यकारणी के फैसले के बाद पंचकूला भाजपा पार्षदों में भी खुशी की लहर है। पंचकूला में भाजपा-जजपा ने मिलकर चुनाव लड़ा था। भाजपा के 9 और जजपा के 2 पार्षद जीते थे। गठबंधन धर्म के आधार पर सीनियर डिप्टी मेयर और डिप्टी मेयर में से एक पद जजपा अपने पार्षद के लिए मांग रही थी जबकि भाजपा के वरिष्ठ नेता इस बात पर राजी नहीं थे। इसी कारण एक साल 5 महीने बीत जाने के बाद भी चुनाव नहीं हो पाए।
भाजपा की इन दोनों पदों पर चुनाव के लिए कई बार बैठक हो चुकी है। परिवहन मंत्री मूलचंद शर्मा को पर्यवेक्षक बना रखा है। इन दोनों पदों के लिए भाजपा के कई पार्षद लाइन में हैं। भाजपा एक निर्दलीय पार्षद परमजीत कौर को पार्टी में शामिल करवा चुकी है, जिसके बाद उसकी निगम में संख्या 10 हो गई है। भाजपा इस प्रयास में भी है कि एक और निर्दलीय पार्षद ओमवती पुनिया को पार्टी में शामिल करवा लिया जाए। संभावना यह भी है कि ओमवती पुनिया को इन दोनों में से एक पद पर उम्मीदवार बना दिया जाए। यदि ये समीकरण नहीं बने, तो कांग्रेस और जजपा भी मिलकर ओमवती पुनिया पर दांव खेल दें, तो हैरानी नहीं होगी।
नगर निगम में भारतीय जनता पार्टी के 10, जननायक जनता पार्टी ने 2, कांग्रेस के 7 और एक निर्दलीय पार्षद है। यदि जजपा को भाजपा ने सीट नहीं दी, तो वह भाजपा का खेल बिगाड़ने के लिए भी कोई कसर नहीं छोड़ेगी। कांग्रेस और जजपा के पार्षद मिलाकर संख्या 9 बैठती है। एक निर्दलीय का यदि भाजपा की तरफ झुकाव नहीं हुआ, तो यह संख्या 10 भी हो सकती है। हालांकि भाजपा को मेयर का वोट भी मिलेगा, जिसके बाद भाजपा के पास 11 वोट होते हैं। लेकिन भाजपा किसी भी हालत में रिस्क नहीं लेगी और जब तक उसे पूरा विश्वास नहीं होगा कि ये दोनों सीटें वह जीत लेगी, तब तक चुनाव करवाने की ओर शायद नहीं बढ़ेगी।
बढ़ सकती है तल्खी
भाजपा और जजपा के बीच पंचकूला में पहले ही संबंध अच्छे नहीं चल रहे हैं। जजपा के पार्षद लगातार नगर निगम अधिकारियों और चुने हुए प्रतिनधियों पर अपने वार्डों की अनदेखी का आरोप लगाते आ रहे हैं। पार्षद सुशील गर्ग और राजेश निषाद कई बार नगर निगम की बैठक में अपने वार्डों के मुद्दे उठाते रहे हैं, लेकिन उन पर कोई गौर नहीं होता। अब भाजपा के फैसले के बाद तल्खी और बढ़ेगी।