चंडीगढ़ (ट्रिन्यू) : पहले अलग-अलग चुनाव लड़ने का ऐलान करने वाले भाजपा और जजपा ने अब निकाय चुनाव मिलकर लड़ने का फैसला लिया है। पहल भाजपा की ओर से की गई थी। सो, जजपा ने अपने उम्मीदवार उतार दिए थे। इसी दौरान नया घटनाक्रम यह हुआ कि कांग्रेस ने खुद को निकाय चुनाव से अलग कर लिया। ऐसे में मैदान में भाजपा के सामने उसकी गठबंधन सहयोगी जजपा होती।
‘दैनिक ट्रिब्यून’ ने पहले ही इस तरह के संकेत दे दिए थे कि अब दोनों पार्टियों के आमने-सामने आने की कम ही उम्मीद है। बृहस्पतिवार को दिनभर हुई मैराथन बैठकों के बाद आखिरकार दोनों दलों ने मिलकर ही चुनावी रण में जाने का निर्णय लिया। सूत्रों का कहना है कि भाजपा के हरियाणा मामलों के प्रभारी विनोद तावड़े की भी इसमें अहम भूमिका रही। खबरें ऐसी भी हैं कि हरियाणा में भाजपा द्वारा निकायों के चुनाव अपने बूते लड़ने के फैसले का मामला दिल्ली तक पहुंचा। जजपा इस फैसले से आहत और नाराज़ थी। संभवत: इसीलिए तावड़े को चंडीगढ़ आना पड़ा। तावड़े की मौजूदगी में हुई बैठक में पार्टी प्रधान ओमप्रकाश धनखड़, सीएम मनोहर लाल व संगठन मंत्री रविंद्र राजू मौजूद रहे। बहुत मंथन के बाद जजपा को साथ लेकर चलने पर सहमति बनी। बताते हैं कि इसी दौरान जजपा नेताओं से भी संपर्क साधा गया। विनोद तावड़े व धनखड़ सहित पार्टी के अन्य सीनियर नेताओं ने हरियाणा निवास में जजपा के अध्यक्ष निशान सिंह व प्रधान महासचिव दिग्विजय सिंह चौटाला के साथ बैठक की। फैसला हुआ कि 18 नगर परिषद में से चार पर जजपा और 14 पर भाजपा चुनाव लड़ेगी। बता दें कि भाजपा ने केवल जिला परिषद में अध्यक्ष के पद पार्टी सिम्बल पर लड़ने का फैसला किया है। नगरपालिका अध्यक्ष तथा वार्डों में पार्षद के चुनाव सिम्बल पर लड़ने हैं या नहीं, यह फैसला जिला इकाइयों पर छोड़ा है। बैठक में फैसला हुआ कि नरवाना, टोहाना, डबवाली और नूंह नगर परिषद पर जजपा का उम्मीदवार होगा। बाकी 14 नगर परिषदों में चेयरमैन पद पर भाजपा का उम्मीदवार होगा। भाजपा के प्रदेश अध्यक्ष ओमप्रकाश धनखड़ ने कहा कि कांग्रेस निकाय चुनाव के मैदान से बिना लड़े ही बाहर हो गई है। अब तय है कि सभी 18 सीटों पर भाजपा-जजपा गठबंधन विजयी होगा।