सोनीपत, 4 मार्च (हप्र)
शहर की सरकार बनने के बाद हुई सदन की पहली ही बैठक में अफसरों और ठेकेदारों के गठजोड़ को लेकर जमकर हंगामा हुआ। हाल यह था कि इस गठजोड़ के सामने सदन बेबस नजर आया, तो कई पार्षदों को चेतावनी तक देनी पड़ी। बाद में सदन में मेयर निखिल मदान ने कहा कि अफसरों की मनमानी पर नकेल लगाने के लिए जवाबदेही तय की जाएगी। हालांकि मेयर से लेकर सभी पार्षद इस बात से नाराज थे कि अफसर काम करने की बजाए टालने में ज्यादा विश्वास करते हैं।
अफसरों की इस मनमानी पर भाजपा और कांग्रेस दोनों के पार्षदों ने सुर में सुर मिलाया और सदन में आवाज उठाई कि जनप्रतिनिधियों के प्रति इनकी जवाबदेही तय हो। पार्षदों ने यहां तक कहा कि कई अफसर तो आगे से आगे अफसरों के नाम बता देते हैं और खुद की बला टालते रहते हैं। 6 साल से निगम का चुनाव नहीं होने से ये अफसर बेलगाम हो गए हैं। वार्ड एक से पार्षद हरिप्रकाश सैनी ने जहां ठेकेदार पर काम नहीं करने के आरोप लगाए, तो वार्ड 2 के पार्षद सुरेंद्र नैयर ने जमीन के मामले में बड़े घोटाले के आरोप लगाते हुए जांच की मांग की।
अधिकारियों के रवैये परेशान पार्षदों द्वारा सोनीपत नगर निगम को भ्रष्टाचार के मामले में हरियाणा का नंबर एक नगर निगम तक करार दे दिया गया। वार्ड-3 के तहत सामने आया कि एक गली के निर्माण को लेकर टेंडर तक हो गया था लेकिन बाद में ठेकेदार की इंक्वायरी की गई तो पता चला कि गली बोगस है। सदन की बैठक में एजेंडा पास होने से पहले पार्षदों ने 2 माह के दौरान के उन सभी अनुभवों के बारे में भी बताया, जो निगम के अधिकारियों, कर्मचारियों व ठेकेदारों के बर्ताव के कारण उन्हें हुए।
पार्षदों ने स्ट्रीट लाइट से लेकर गलियों के निर्माण, पेयजल से लेकर सीवरेज तक के मामले में न केवल भ्रष्टाचार के आरोप लगाए, बल्कि इन सुविधाओं को दुरूस्त करवाने की मांग भी सदन से की।
जमीन से पैदा हो गई नयी जमीन : नगर निगम की बैठक में वार्ड-दो से कांग्रेस पार्षद सुरेंद्र नैयर जमीन के मामले में भ्रष्टाचार के एक गजब का मामला लेकर आए। उन्होंने बताया कि फर्जी तरीके से बिना मालिकाना हकों के नप के गृहकर विभाग द्वारा नाम चढ़ाए जाने और जमीनों पर कब्जे के मामले को उजागर किया। उन्होंने बताया कि उनके क्षेत्र शहर के फराशखाना मोहल्ले क्षेत्र में जायदाद नंबर 924/5 रामकिशन के नाम से 222 गज के हिसाब से 2001–02 के नगर परिषद के रिकार्ड में दर्ज है।
जांच में कुल जमीन निकली सिर्फ 322 वर्ग गज
इस मामले में तत्कालीन डीसी अंजश सिंह ने एसडीएम विजय सिंह, जिला राजस्व अधिकारी के साथ तहलीलदार विकास, कानूनगों रणबीर, गिरदावर व पटवारियों की पूरी टीम को मौके पर भेजकर मामले की जांच करवाई थी। इस टीम ने रिपोर्ट में दिया कि पूरे घर के क्षेत्रफल को टोटल मशीन के माध्यम से नापा गया। इस भवन व साथ लगती सांझी गली व चबूतरे पर अवैध कब्जों को भी मिलाकर यह केवल केवल 322 वर्गगज मिली। इस कारण डीसी को भेजी रिपोर्ट में साफ साफ कहा गया कि कब्जाधारकों के पास जो नक्शा था वह भी इस खंडहर पुराने भवन के क्षेत्रफल से मेल नहीं खाता था। इसका मतलब वह फर्जी नक्शा बनवाया गया था। नैय्यर ने सभी आरोपी अधिकारियों, कर्मचारियों व कंपनी पर मामला दर्ज कराने की मांग की है। इसी तरह वार्ड 18 के पार्षद बिजेंद्र मलिक ने ठेकेदार की कारगुजारी उजागर की और बताया कि जब पता चला कि पार्षद चुन लिए गए हैं, तो ठेकेदार सवा करोड़ रुपये के काम बीच में ही सरेंडर करके भाग गया। सबसे ज्यादा शिकायतें पार्षदों ने सीवरेज, पेजयल और स्ट्रीट लाइट से संबंधित उजागर की।