Tribune
PT
About the Dainik Tribune Code Of Ethics Advertise with us Classifieds Download App
search-icon-img
Advertisement

चार साल बाद बड़ा कदम : जींद-सफीदों हाईवे चौड़ीकरण को मिली मंजूरी की पहली किरण

पेड़ कटाई का केस केंद्र को भेजा गया, अब एनओसी का इंतजार। 6500 पेड़ों की होगी कटाई
  • fb
  • twitter
  • whatsapp
  • whatsapp
Advertisement

जसमेर मलिक/हप्र

जींद, 25 जून

Advertisement

चार साल तक फाइलों में उलझी रही जींद-सफीदों-पानीपत स्टेट हाईवे चौड़ीकरण परियोजना अब आखिरकार निर्णायक मोड़ पर पहुंच गई है। वर्षों से अटकी इस योजना को लेकर उम्मीदों को बल मिला है, क्योंकि वन विभाग को 6500 पेड़ों की कटाई के लिए एनओसी जारी करने का प्रस्ताव अब आधिकारिक रूप से भारत सरकार को भेज दिया गया है।

लगभग 180 करोड़ रुपये की लागत वाली इस परियोजना के तहत जींद से सफीदों तक सड़क को 7

डीसी मोहम्मद इमरान रजा। -हप्र

मीटर से बढ़ाकर 10 मीटर करने और सफीदों से पानीपत के बीच फोरलेन बनाने की योजना तैयार है। लेकिन इस चौड़ीकरण की राह में सबसे बड़ी बाधा थे 6500 हरे-भरे पेड़, जिन्हें हटाए बिना काम शुरू नहीं हो सकता था।

चार साल पहले तत्कालीन मुख्यमंत्री द्वारा की गई घोषणा, वन विभाग की अनुमति के अभाव में अधूरी रह गई थी। विभाग ने हरियाली की क्षतिपूर्ति के लिए 26 एकड़ भूमि की मांग की थी, जो अब जिला प्रशासन ने तीन पंचायतों के माध्यम से उपलब्ध करवा दी है। यह भूमि अब वन विभाग के नाम ट्रांसफर होने की प्रक्रिया में है।

बुधवार को लघु सचिवालय में हुई एक अहम बैठक में, डीसी मोहम्मद इमरान रजा, लोक निर्माण विभाग के कार्यकारी अभियंता राजकुमार नैन और वन मंडल अधिकारी पवन ग्रोवर सहित दोनों विभागों के अधिकारी शामिल हुए। बैठक में यह सहमति बनी कि एनओसी प्रस्ताव केंद्र सरकार के वन मंत्रालय को भेजा जाए, और अब वह प्रक्रिया पूरी कर ली गई है। यह पहली बार है जब इस परियोजना को लेकर इतनी ठोस पहल हुई है।

वन मंडल अधिकारी पवन ग्रोवर ने पुष्टि की है कि मामला दिल्ली भेजा जा चुका है और जल्द एनओसी मिलने की संभावना है। जैसे ही मंजूरी मिलती है, योजना जमीनी कार्य शुरू करने की स्थिति में आ जाएगी।

सबसे खतरनाक सड़कों में शामिल है यह मार्ग

ध्यान देने योग्य बात यह है कि जींद-सफीदों रोड जिले की सबसे खतरनाक सड़कों में शुमार है। जर्जर हालत में पड़ी इस सड़क पर सबसे अधिक सड़क हादसे होते हैं, और लोक निर्माण विभाग इसे मोटरेबल तक नहीं बना सका है।

Advertisement
×