अजय मल्होत्रा/हप्र
भिवानी, 22 अप्रैल
कहते हैं कि इंसान को मृत्युपरांत सांसारिक इच्छाओं व समस्याओं से मुक्ति मिलती है लेकिन भिवानी के अधिकांश श्मशान घाटों में मुर्दों व जलती हुई लाशों को भी रात में शराबियों तथा चोरों से रूबरू होना पड़ता है। उस पर श्मशान घाटों के प्रति सरकार की बेरुखी ने स्वर्ग का रास्ता दिखाने वाले श्मशान संचालकों के लिए भी परेशानी खड़ी कर दी है। भिवानी में चार श्मशान घाट हैं जिनमें रामबाग, श्यामबाग, मुक्तिधाम व बैकुंठ धाम हैं। इन चारों के समक्ष संचालन के लिए केवल दान ही एक सहारा है। ऐसे में इन श्मशान घाटों का रखरखाव व सुरक्षा आसान कार्य नहीं रह गया। परेशान संचालकों ने तो गत दिनों एक संयुक्त बैठक बुलाने का भी निर्णय लिया, ताकि सरकार के समक्ष मूलभूत समस्याओं को उठाया जा सके।
ये श्मशान घाट शहर के बाहर होने और इनमें से अधिकांश में कोई विशेष सुरक्षा ना होने के कारण शाम ढलते ही यहां शराबी आ धमकते हैं। उन्हें न तो मुर्दों से डर लगता है और न ही भगवान से। जलती चिताओं के सामने कई बार जाम छलकाते हुए ये शराबी परेशानी का सबब बन जाते हैं। खासतौर पर श्यामबाग में तो ये शराबी कई बार चोरी भी कर ले गए हैं। पानी की मोटर व बरामदों में लगे पंखे चोरों के निशाने पर रहते हैं। पेड़ों व झाडिय़ों से घिरे श्मशान घाट में अंतिम छोर तक पहुंचने में चौकीदार का कलेजा भी शायद कांपता होगा। उस पर सभी श्मशान घाटों की चार दिवारियां भी ज्यादा ऊंची नहीं हैं। छोटी चार दिवारियां होने के कारण चोर व शराबी आसानी से अंदर कूद आते हैं। जीतूवाला जोहड़ पर स्थित श्यामबाग के प्रधान राधा कृष्ण चावला का कहना है कि श्मशान घाट का संचालन पांच दशक से उनकी सोसायटी कर रही है। सरकार की तरफ से किसी प्रकार की कोई भी मदद नहीं है। यहां तक कि बिजली व पानी के कनेक्शन भी खुदके खर्चें पर लेने पड़ते हैं।
शमशान घाट संचालन समिति सदस्यों ने यह भी कहा कि सरकार को कम से कम चारों शमशान घाटों में एक-एक सफाईकर्मी, एक माली व एक चौकीदार का खर्चा वहन करना चाहिए। उनका यह भी कहना है कि कुल 16 कर्मचारियों की तैनाती से चारों शमशान घाटों की सफाई व्यवस्था दुरुस्त हो सकती है।रखरखाव व सफाई के लिए लगभग 30 से 50 हजार रुपए प्रतिमाह प्रत्येक शमशान घाट पर खर्च करने पड़ते हैं। चारों श्मशान घाटों की जमीन भी दानियों ने दे रखी है। श्यामबाग से जुड़े पुराने लाइफ मैम्बर विनोद मिर्ग का कहना है कि सरकार को आगे आकर सभी शमशान घाटों के लिए आर्थिक सहायता देनी चाहिए। उन्होंने कहा कि कई गरीब लोग लकड़ी खरीदने में भी सक्षम नहीं होते और वे खुद्दारी के चलते दान की लकड़ी भी नहीं लेना चाहते । ऐसे में विद्युत शवदाह गृह काम आ सकते हैं। शमशान घाट संचालन समितियों का यह भी कहना है कि सभी शमशान घाटों मेें सरकारी खर्चे पर बिजली से संचालित विद्युत शवदाह गृह स्थापित करने चाहिए
सामाजिक कार्यकर्ता कैप्टन पवन अंचल का कहना है कि शहर के फैलाव के चलते अब चार श्मशान घाट कम पड़ने लगे हैं। सरकार को एक श्मशान घाट रोहतक रोड पर शहर के बाहर खुद बनाना चाहिए ।