अजय मल्होत्रा/हप्र
भिवानी, 15 फरवरी
छोटी काशी के नाम से मशहूर भिवानी शहर में 5 दर्जन से अधिक पुरानी इमारतें अब जबरदस्त खतरे का कारण बन गई हैं। भूकंप के झटकों अथवा बारिश में इन खंडहर इमारतों के गिरने से कभी भी बड़ा हादसा हो सकता है। इस सबसे बावजूद भिवानी नगर परिषद व अधिकारी इन जर्जर इमारतों की सुध नहीं ले रहे। उन्होंने केवल इन भवन मालिकों को नोटिस देकर अपनी खानापूर्ति पूरी कर ली है।
शहर में 50 से 65 ऐसे जर्जर हाल शताब्दी पुराने खंडहरनुमा भवन खड़े हैं, जिन्हें गिराने की प्रक्रिया के लिए तीन बार सर्वे हुआ और फिर नगर परिषद नोटिस जारी कर भूल गया। सबसे बड़ी परेशानी तो यह भी है कि इन खंडहरनुमा भवनों के मालिक दूसरे प्रांतों या फिर विदेशों में बैठे हैं, जिनसे संपर्क भी नहीं साधा जा रहा है वहीं खंडहर भवन आसपास की घनी आबादी पर भी बड़े खतरे के रूप में मंडरा रहा हैं। पिछले सप्ताह हुई बारिश में एक खंडहर भवन का मलबा भी गली के अंदर गिरा था, जिसमें बड़ा हादसा होते-होते टला।
जालान नगर में बारिश के दौरान पिछले हफ्ते ही एक खंडहर इमारत का भारी भरकम मलबा गली में गिर गया था, उस समय आसपास कोई नहीं था, नहीं तो जनहानि की संभावना भी बन सकती थी। शहर के पतराम गेट, नुनसर जोहड़, दिनोद गेट, जैन चौक, घोसियान चौक, लोहड़ बाजार, सिटी पुलिस थाना के पास, चुहड़ सिंह की बजारी क्षेत्र, खाकी बाबा मंदिर क्षेत्र, ख्यालीकान गली क्षेत्र, बर्तन बाजार में ज्यादातर खंडहर भवन हैं। भूकंप भी इन भवनों के गिरने की वजह बन सकता है।
3-मंजिला भवन से हुआ था भारी नुकसान
वर्ष 2015 में बारिश के दौरान बाड़ी मोहल्ला में एक तीन मंजिला खंडहर भवन गिर गया था। इस वजह से आसपास के तीन मकान भी बुरी तरह से क्षतिग्रस्त हो गए थे। उस समय लोगों की सतर्कता की वजह से जनहानि नहीं हुई थी, मगर नुकसान बड़े पैमाने पर हुआ था।
क्या कहते हैं नगर परिषद अधिकारी
नगर परिषद के कार्यकारी अधिकारी संजय यादव का कहना है कि परिषद द्वारा खंडहर इमारतों के मालिकों को केवल नोटिस जारी किए हुए हैं, उन्हें गिराने की दिशा में भवन मालिक को ही अधिकार है। सर्वेक्षण में खंडहर भवनों की पहचान काफी पहले हो चुकी हैं, समय समय पर इन्हें नोटिस भी जारी किए जा चुके हैं।