भिवानी, 23 अक्तूबर (हप्र)
पिछले लंबे समय से किसानों की मांगों को लेकर मुखर रहे पूर्व केंद्रीय मंत्री बीरेंद्र सिंह ने प्रदेश सरकार द्वारा किसानों को लाभ देने के उद्देश्य से चलाई जा रही भावांतर भरपाई योजना को अव्यावहारिक बताया। उन्होंने कहा कि भावांतर भरपाई योजना सब्जियों और फलों के लिए उपयुक्त हो सकती है, लेकिन अनाज की फसलों के लिए बेहतरीन नहीं है।
पत्रकारों से बातचीत में पूर्व केंद्रीय मंत्री बीरेंद्र सिंह ने कहा कि सब्जियों के भाव प्रतिदिन के आधार पर कम-ज्यादा होते रहते है, जबकि अनाज की फसलों के भावों में प्रतिदिन के हिसाब से बहुत बड़ा अंतर नहीं होता। ऐसे में भावांतर भरपाई योजना फसल व सब्जियों के लिए ही उचित है। उन्होंने न्यूनतम समर्थन मूल्य का जिक्र करते हुए कहा कि एमएसपी को सिर्फ एक बैंच मार्क मानना चाहिए, जबकि एमएसपी से ऊपर फसलें बाजार में बिकनी चाहिए। उन्होंने कहा कि एमएसपी का फार्मूला सही मायनों में किसान को लाभ पहुंचाने वाला नहीं है। न्यूनतम समर्थन मूल्य के बैंच मार्क से ऊपर फसलों की बिक्री का माहौल सरकार को तैयार करना चाहिए।
किसी के हित में नहीं लंबा आंदोलन
पूर्व केंद्रीय मंत्री ने कहा कि लंबे समय तक आंदोलन का चलना न तो किसानों और न ही सरकार के हित में है। इसीलिए बातचीत का सिलसिला शुरू करके समस्या के हल तक पहुंचना चाहिए। उन्होंने यह भी कहा कि अब किसान आंदोलन में 12 राजनीतिक दल, ट्रेड यूनियन व विभिन्न संगठन जुड़ गए हैं और यह आंदोलन व्यापक रूप लेता जा रहा है। ऐसे में बगैर बातचीत के आगे बढ़ना समाज के लिए अच्छा सूचक नहीं है तथा बातचीत का सिलसिला शुरू किया जाना चाहिए। उन्होंने कहा कि किसान आंदोलन की व्यापकता 27 सितम्बर के देशव्यापी बंद में देखी जा सकती है। इस बंद के दौरान यह आंदोलन आम आदमी से जुड़ गया। इस मौके पर भिवानी में मीरपुर विश्वविद्यालय के पूर्व रजिस्ट्रार आत्म प्रकाश, वीरेंद्र सिंह सिवाच, रज्जू अहलावत, दयानंद शर्मा, राधेश्याम आदि मौजूद थे।